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भारत के मंदिर – शेषनाग की हुंकार से आजतक उबलता है यहाँ का पानी | Manikarn Sahib :

हिन्दू धर्म के तीनों देव बह्मा श्रृष्टि के सृजनहार, विष्णु श्रृष्टि के पालनहार, और महेश को त्रिमूर्ति कहा जाता है। हिमाचल के मणिकरण का यह प्राचीन मंदिर एक शिव मंदिर है यूं ताे मनाली घूमने-फिरने वालों की पसंदीदा जगह है। वहां की वादियां, नजारे किसी काे भी मोह लेते हैं। लेकिन मनाली में एक धार्मिक जगह ऐसी है, जहां बर्फीली ठण्‍ड में भी पानी उबलता रहता है। इस जगह का नाम है मणिकर्ण।

इतिहास

कहा जाता है कि शेषनाग ने भगवान शिव के क्रोध से बचने के लिए यहां एक दुर्लभ मणि फेंकी थी। इस वजह से यह चमत्कार हुआ और यह आज भी जारी है

मणिकर्ण में शेषनाग ने भगवान शिव के क्रोध से बचने के लिये यह मणि क्यों फेंकी, इसके पीछे की कहानी भी अनोखी है। मान्यताओं के अनुसार मणिकर्ण ऐसा सुंदर स्‍थान है, जहां भगवान शिव और माता पार्वती ने करीब 11 हजार वर्षों तक तपस्या की थी।

Manikaran
Manikaran is located in the Parvati Valley on river Parvati, northeast of Bhuntar in the Kullu District of Himachal Pradesh. It is at an altitude of 1760 m and is located about 35 km from Kullu.

मां पार्वती जब जल-क्रीड़ा कर रही थीं, तब उनके कानों में लगे आभूषणों की एक दुर्लभ मणि पानी में गिर गई थी। भगवान शिव ने अपने गणों को इस मणि को ढूंढने को कहा लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी मणि नहीं मिली। इससे भगवान शिव बेहद नाराज हो गए। यह देख देवता भी कांप उठे। शिव का क्रोध ऐसा बढ़ा कि उन्‍होंने अपना तीसरा नेत्र खोल लिया, जिससे एक शक्ति पैदा हुई। इसका नाम नैनादेवी पड़ा।Himachali Rishta Himchal Matrimonial website

नैना देवी ने बताया कि दुर्लभ मणि पाताल लोक में शेषनाग के पास है। सभी देवता शेषनाग के पास गए और मणि मांगने लगे। देवताओं की प्रार्थना पर शेषनाग ने दूसरी मणियों के साथ इस विशेष मणि को भी वापस कर दिया। हांलाकि वह इस घटनाक्रम से काफी नाराज भी हुए। शेषनाग ने जोर की फुंकार भरी, जिससे इस जगह पर गर्म जल की धारा फूट पड़ी।

मणि वापस पाने के बाद पार्वती और शंकर जी प्रसन्‍न हो गए। तब से इस जगह का नाम मणिकर्ण पड़ गया।

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According to a legend, when Lord Shiva and his better half Parvati were walking in the valley, Parvati dropped one of her earrings. The jewel was seized by Shesha-Nag, the serpent deity, who then disappeared into the earth with it. Shesha-Nag only surrendered the jewel when Shiva performed the cosmic dance, the “Tandava” and shot the jewel up through the water

मणिकरण स्थित गुरुनानक देव गुरुद्वारा

हिमाचल के मणिकरण का यह गुरुद्वारा बहुत ही प्रख्यात स्थल है। ज्ञानी ज्ञान सिंह लिखित “त्वरीक गुरु खालसा” में यह वर्णन है कि मणिकरण के कल्याण के लिए गुरु नानक देव अपने 5 चेलों संग यहाँ आये थे।

गुरु नानक ने अपने एक चेले “भाई मर्दाना” को लंगर बनाने के लिए कुछ दाल और आटा मांग कर लाने के लिए कहा। फिर गुरु नानक ने भाई मर्दाने को जहाँ वो बैठे थे वहां से कोई भी पत्थर उठाने के लिए कहा। जब उन्होंने पत्थर उठाया तो वही से गर्म पानी का स्रोत बहना शुरू हो गया। यह स्रोत अब भी कायम है और इसके गर्म पानी का इस्तमाल लंगर बनाने में होता है। कई श्रद्धालू इस पानी को पीते और इसमें डुबकी लगाते हैं। कहते है के यहाँ डुबकी लगाने से मोक्ष प्राप्त होता है।

Manikaran Gurudwara
Manikaran is a pilgrimage centre for Hindus and Sikhs. The Hindus believe that Manu recreated human life in Manikaran after the flood, making it a sacred area. It has many Temples and a Gurudwara. There are temples of Lord Rama, Krishna, and Vishnu. The area is well-known for its natural hot-water springs and its beautiful landscape

महाभारत के ग्रंथकार महारुशी वेद व्यास ने अपने “भविष्य पुराण” में लिखा था कि गुरु नानक के बाद सिखों के दसवे गुरु, गुरु गोबिंद सिंह अपने 5 प्यारों संग मणिकरण के दर्शन करेंगे।

 

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