हिमाचल प्रदेश को सेब का तोहफा देने वाले सत्यानंद स्टोक्स का असली नाम सैमुअल स्टोक्स था। वह अमेरिकन थे और उनकी शादी एग्नेस से हुई। उन्होंने हिमाचल में शिमला के पास सेब का पहला पौधा लगाया था। आज सेब का फल हिमाचल की पहचान के साथ जुड़ गया है।
करीब 111 साल पहले 1905 में अमेरिका से एक युवक हिमाचल आया। सैम्युल इवांस स्टोक्स ने शिमला के लोगों को बीमारी और रोजी-रोटी से जूझते देखा तो यहीं बसकर उनकी सेवा करने का निर्णय लिया। वे स्थानीय युवती से शादी कर आर्य समाजी बन गए।
अपना नाम सत्यानंद स्टोक्स रख लिया। इस क्षेत्र में नकदी फसलें नहीं होने से लोग काफी गरीब थे। इसी बीच, इस युवक ने साल 1916 में अमेरिका से पौध लाकर कोटगढ़ की थानाधार पंचायत के बारूबाग में सेब का पहला बगीचा तैयार किया।सत्यानंद स्टोक्स ने स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया था। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ भी रहे। वे खादी पहनते थे।
बता दें कि अमेरिका के होते हुए भी सत्यानंद ने भारत की आजादी के लिए लम्बी लड़ाई लड़ी थी । साल 1919 में जलियावाला बाग़ हत्याकांड से उन्हें गहरा आघात पहुंचा था और उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की । बाद में उनकी महात्मा गांधी से भी दोस्ती हुई और उन्होंने सत्यानंद को पंजाब प्रोविंस कमिटी का मेंबर बना दिया । स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वे कई बार जेल भी गए
उनकी बहू विद्या स्टोक्स मौजूदा समय में हिमाचल सरकार में अहम भूमिका निभाती आयी है और बागवानी मंत्री भी रह चुकी हैं।
सत्यानंद स्टोक्स की बेटी सत्यावती की शादी बाद में हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ यशवंत सिंह परमार से हुई। इसके अलावा विद्या स्टोक्स उनकी बहू थी, जिनकी शादी लालचंद स्टोक्स से हुई थी
लोगों को सेब उगाकर दिखाया और उन्हें भी प्रेरित किया। सौ साल बाद आज हिमाचल एप्पल स्टेट बन चुका है। यहां के बागवान करोड़पति बन चुके हैं। प्रदेश के लाखों परिवार दूसरा काम धंधा छोड़कर सेब बागवानी से मोटी कमाई कर रहे हैं
शिमला जिले के कोटगढ़, कोटखाई, रोहडू़, चौपाल, कुल्लू जिला, किन्नौर जिला, लाहौल स्पीति, चंबा, मंडी जिले के कुछ इलाके, सिरमौर जिले के नौहराधार, हरिपुरधार क्षेत्र, कांगड़ा के बड़ा भंगाल, छोटा भंगाल क्षेत्र। 40 डिग्री तापमान में उगने वाला सेब बिलासपुर जैसे कुछ अन्य जिलों में उगाया जा रहा है।
मेरे ससुर सैम्युल इवांस स्टोक्स मूल रूप से अमेरिकन थे। वे यहां पहली बार सेब पौधे लाए थे। आज अगर हिमाचल सेब राज्य है तो पहला पौधा उनका ही लगाया हुआ है। हिमाचल ने उनके साथ आज तक न्याय नहीं किया है। उनके नाम पर आज तक बागवानी संस्थान तक नहीं है, लेकिन हिमाचल के लोग उन्हें जानते हैं
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