मछिन्दर महादेव -Machhinder Mahadev Mumta
आटा खिलाने के लिए दूर दूर से आते है लोग
सतीश कुमार मलान्च ,काँगड़ा
हिमाचल प्रदेश को देवभूमि भी कहा जाता है , और इसका कारण भी बिलकुल उपयुक्त है , यहाँ पर जगह जगह कई स्थानीय देवी देवताओ के मंदिर है , बीइंग पहाड़ी में हम प्रयास कर रहे है ऐसे ही हिमाचल के अनदेखे मंदिरो को इस पत्रिका में प्रकाशित कर के दुनिया के सामने लाने की।
आज ऐसे ही एक मंदिर के बारे में हम आपको बता रहे है , यह मंदिर मछिन्दर महादेव के नाम से विख्यात है , यह मंदिर काँगड़ा जिला की तहसील नगरोटा बगवां के गाँव मुमंता में आता है।इस मंदिर को मछयाल भी कहा जाता है.
यहाँ पर जोगल खड्ड में बनी एक झील में बड़ी बड़ी मछलिया पायी जाती है , जिनको लोग आटा खिलाने के लिए दूर दूर से आते है , माना जाता है की मत्सय अवतार में भगवान विष्णु जी यहाँ पर साक्षात विराजित है। यहाँ पर यु तो हर दिन लोग आते रहते है परन्तु शनिवार के दिन यहाँ पर आटा डालने वाले लोगो की काफी भीड़ रहती है , स्थानीय लोगो का मानना है की यहाँ पर आटा डालने से मनोकामनए पूर्ण होती है।

जोगल खड्ड के एक तरफ मछिन्दर महादेव का मंदिर है और दूसरी तरफ कुछ अन्य मंदिर जैसे संतोषी माता , शनिदेव मंदिर इत्यादि है
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गूगल मैप पर मछिन्दर महादेव:
मंदिर के बारे में प्रचलित कथाएं :
यहाँ के स्थानीय निवासी मानते है की मुमता गांव में जब शादी समारोह या अन्य कारज होता था तो घर के लोग जब मछिन्दर देवता को नियुंदर (निमंत्रण) देने जाते थे तो वो साथ में धाम के लिए प्रयोग होने वाले बर्तनों ( जैसे चरोटी ,कढाई ) आदि की लिस्ट भी मंदिर में रख कर आते थे अगले दिन सुबह उन्हें लिस्ट के अनुसार बर्तन मिल जाते थे l जिसे समारोह के बाद लोटाना होता था l एक दिन किसी ने लालचवश वो वर्तन नही लोटाये उस के बाद से देवता रुष्ट हो गये और वर्तन देने बंद कर दिए
मनोकामनाएं पूरी करते हैं मछियाल देवता
नगरोटा बगवां [धर्मशाला], [नीरज दुसेजा]। मछिंद्र नाथ महादेव का प्राचीन मंदिर कांगड़ा के विधानसभा क्षेत्र नगरोटा बगवां से दो किलोमीटर की दूरी पर मूमता गांव से जाना जाता है। इस धार्मिक पवित्र स्थान का असली नाम मछियाल से प्रसिद्ध है।
मछियाल को एक ऐसे धार्मिक व सच्चे देवता के रूप में मनोकामनाएं पूरा करने के लिए आम जनता में विश्वास बना हुआ है। इस मंछिद्र महादेव मंदिर के साथ बहती खड्ड में एक झील बनी हुई है, जिसमें मछलियां कुदरत की देन हैं। इस झील का स्तर बढ़ने या घटने से मछलियां यहीं पर रहती हैं, जिसके साथ लोगों की आस्था जुड़ी है। इस मछियाल महादेव की कृपा से झील की मछलियों को लोग हर मंगलवार व शनिवार को आटा डाल कर अपने ग्रहों को शांत करते हैं तथा मनोकामनाएं मांगते हैं।
मान्यता है कि जिन लोगों की मान्यताएं पूरी हो जाती हैं, वे मछली को बालू (सोने की तार) डालते हैं। मछिंद्र महादेव के लिए लोग ढोल-नगाड़ों के साथ दर्शनों के लिए जात लेकर आते हैं। इस मंछिद्र महादेव मंदिर के चारों ओर छटा देखते ही बनती है। मंदिर के इर्द-गिर्द माता शेरावाली का मंदिर तथा भगवान श्री रामचंद्र तथा वीर हनुमान की मूर्तियां भी स्थापित हैं। इस मंदिर के साथ ही लगभग 12 फुट ऊंची भगवान शिव की मूर्ति का किसी भक्त द्वारा निर्माण करवाया गया है
कैसे पहुंचे :
मछिन्दर महादेव का मंदिर अब सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है ,यहाँ पर आप अगर काँगड़ा से पालमपुर की तरफ जा रहे हो तो नगरोटा से 3 KM पहले आपको बडोह रोड से दाई तरफ लेना होगा , वहां से 2 KM आगे बायीं और जाकर आप मूमता से होते हुए मछिन्दर महादेव पहुंच सकते है। नगरोटा बगवां से मुमता गाँव तक बस सुबिधा भी उपलब्ध है।
पठानकोट – जोगिन्दरनगर रेलवे लाइन से समलोटी स्टेशन पर उतर कर भी आप 1 -2 km पैदल चल कर मछिन्दर महादेव पहुंच सकते है
Article Shared by:- Satish Kr Malanch ,Kangra
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