बीइंग पहाड़ी की हिमाचल गौरव श्रृंखला में आज हम आपका परिचय करवा रहे है , लोक गायन के तारा मण्डल का ध्रुव तारा – मशहूर गददी गायक सुनील राणा जी से
गुड़कें चमकें भाउया मेघा हो…हो बरें राणी चंबयाली रे देशा हो..इस गद्दी लोकगीत की गूँज जब भी हमारे कानों में पहुँचती है , एक ही नाम आँखों के सामने आता है – जी हाँ हमबात कर रहे हैं सुप्रसिद्ध हिमाचली लोक गायक सुनील राणा जी की | 20 दिसंबर 1979 को धर्मशाला के सतोवरी गाँव में पैदा हुआ एक लड़का सुनील , किसने सोचा था कि एक दिन यही लड़का गद्दी लोक गायकी काध्रुव तारा बन जाएगा और लोक गायन के तारा-मण्डल को प्रकाशमय कर देगा| घर में लोक गायकी का माहौल तोथा पर कोई पेशेवर गायक नहीं था | सुनील जी भी अपने शौक के लिए लोक गीतों को गुन-गुनाने लगे |सुनील बचपन से ही गायन में रूचि रखते थे लेकिन उनकी गायकी की शुरुआत कॉलेज से हुई | इस दौरान कॉलेज के एक कार्यक्रम में सुनील ने भाग लिया और अपनी आवाज़ से सबकी वाह वाही लूटी | निर्णायक मंडल ने भी सुनील की आवाज़ को खूब सराहा लेकिन किसी कारणवश उन्हे विजेता का पुरूस्कार नहीं मिल पाया | खैर शायद किस्मत इनके लिए इससे भी बड़े पुरूस्कार लेकर खड़ी थी लेकिन मंज़िल अभी बहुत दूर थी |
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Sunil Rana is a Folk Singer of Himachal Pradesh.He however sings the songs for all the himachal but mainly focused on Chambyali/Gaddyali folk songs.He was born and brought up in Dharamshala of Kangra District and has performed in various occasion on national and international level.His song Nach Dhudua got quite good response on youtube
कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम हैं कहना:
सुनील अब गायक बनने का ख्वाब देखने लगे थे |कोई कलाकार बनने की ठाने तो ऐसा कैसे हो सकता हैं की समाज अपनी प्रतिक्रिया इस पर न दें |सुनील के बारे में भी तरह तरह की बातें होने लगी !लेकिन यह सब बातें सुनील के बढ़ते कदमों को नहीं रोक सकी | सुनील सब कुछ नजर अन्दाज करते रहे |वो कहते हैं न -कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम हैं कहना …!
गद्दी लोक गीतों को सुनील राणा जी ने एक नया आयाम प्रदान दिया है | गद्दी समुदाय में शायद ही कोई शादी होती होगी जहाँ सुनील राणा के गानों पर लोगों के कदम ना थिरकते हों | आज के दौर में सुनील राणा जी के बिना गद्दी लोक गायन की कल्पना बहुत मुश्किल हैं
जब सुनील कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे उस दौरान उन्हे महसूस हुआ की हमारी युवा पीढ़ी हमारी संस्कृति से दूरजा रही है | हमारे युवा हमारे लोकगीतों को सुनना पसंद नहीं कर रहे | सुनील जी को ऐसा विचार आया की क्यों नहम अपने लोकगीतों की मौलिकता को बरकरार रखते हुए उन्हे नये तरीके से रिकॉर्ड करवाके मार्केट मे लॉंचकरें | विचार तो अच्छा था पर किसी प्रोड्यूसर ने उनपर विश्वास नहीं जताया | शौक अब ज़ुनून बन चुका था- परेशानियाँ कहाँ अब रास्ता रोक सकती थी | सुनील ने अपना विचार दोस्तों के सामने रखा – और उनके साथमिलकर एक अलबम प्रोड्यूस करने की योजना बनाई | बहुत जद्दोजहद के बाद उनका अलबम मार्केट में लॉंचहुआ नाम था – ”लोक रामायण”
शुरुआत में अलबम को लोगों से इतना प्यार नहीं मिला| गानों में पारंपरिक गद्दयाली बोली का प्रयोग हुआ थाइसलिए ज़्यादातर लोगों को गाने समझ में ही नहीं आ रहे थे | जैसे जैसे समय बीता लोगों को गाने समझ आने लगे| देखते ही देखते सभी गाने लोगों की ज़ुबान पे चढ़ने लगे और अलबम हिट हो गया|सुनील राणा अब एक जानापहचाना नाम बनने लगे | और यहाँ से उनका लोक गायकी का सफ़र शुरू हो गया |इस अलबम के बाद उन्होने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा | उनकी –
‘परम्परा”,”गद्दी विरासत” , ”महक माटी की”, ‘प्रथा” ”शिव विवाह”
जैसी अलबमस एक के बाद जबरदस्त हिट हुई हैं |
सुनील ने वर्ष 2001 में आकाशवाणी शिमला की स्वर परीक्षा पास की थी | तब से वह आकाशवाणी के लिए भी लोकगीत गा रहे हैं | हाल ही में उनके एक गाने ”नचे धुडुया” को यूट्यूब पर लगभग पौने 3 लाख से ज़्यादा लोगों ने देखा है
नचे धुडुया को मिले यू ट्यूब पर लाखो व्यू :
आप भी देखें यह वीडियो –यहाँ क्लिक करें
सुनील राणा जी से जब पूछा गया की आज वो अपने आपको कहाँ देखते हैं –
उन्होने बताया की वो भगवान के बहुत शुक्र गुज़ार हैं की उन्हे जिस काम के लिए भेजा गया वो काम वह पूरी लगन के साथ कर रहे हैं | और साथ ही शुक्रियादा किया उन्होने अपने तमाम चाहने वालों का और प्रशंसकों का जो उन्हे काफ़ी पसंद करते हैं और सुनना चाहते हैं |
सुनील राना का एक और गाना मेरे मोचडू जो लिए गे चोर माणु
सुनील राणा जी बताते हैं की बहुत दुख की बात है की आज की युवा पीढ़ी लोक गीतों को बहुत कम सुनती हैं|हमारी युवा पीढ़ी का रुझान पंजाबी , इंग्लिश व हिन्दी गानो की तरफ ज़्यादा है | सुनील राणा जी का कहना है की उन्हे इस बात से कोई आपत्ति नहीं संगीत सभी तरह का सुना जाना चाहिए,परंतु साथ ही साथ हमें अपनी संस्कृति के साथ भी जुड़े रहना चाहिए व अपनी विरासत को भूलना नहीं चाहिए|
गददी समुदाय की एक बहुत ही प्यारी प्रथा शिव पुजा नुआला पर सुनील राणा का यह गाना :
सुनील राणा जी को सुनने वाले सभी संगीत प्रेमियों को यह जानकर खुशी होगी की जल्द ही उनकी
”लोक रामायण (पार्ट 2)”
”शिव विवाह नुआला (पार्ट 3)” और
”कृष्ण लीला” जैसी बेहतरीन अलबमस लॉंच होगी
यह पोस्ट हिमाचल की एक उभरती म्यूजिक कंपनी हिम म्यूजिक ने लिखा है जो हिमाचल की सांस्क्रतिक धरोहर को बचाने के लिए प्रयासरत है, हिम म्यूजिक के द्वारा बनाये गये सभी गानों और आगामी नये गानों के लिए आप उनका यु ट्यूब चैनेल अवश्य सब्सक्राइब करे (सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करे )
हिम म्यूजिक प्रोडक्शन के बैनर तले बने दो गानों के कलाकारों पर हमने पहले भी लेख लिखे है जिनके लिंक है :
1.चम्बा के पंकज भारद्वाज ,मेरी जान सरला एल्बम से मचा रहे धूम
2.कुली से गायक तक का सफ़र -उभरते हिमाचली कलाकार पवन ठाकुर
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- पांगी पक्की ठांगी – चम्बयाली गददी गाना
Tags :Sunil Rana,Himachal Gaddyali Singer, Chambyali Songs,Himachali Songs,Himachali Videos
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