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भारत देश में बहुत से रहस्य और चम्तकार देखने को अक्सर मिल जाते हैं। मंदिरो के इस देश में हजारों, लाखों साल पुराने मंदिर हैं जो अपनी-अपनी सुंदरता और प्रचीनता के लिए प्रसिद्ध हैं। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे मंदिर की जो देखने में एकदम भारतीय संसद की तरह लगता है। आप लोग भी जरूर जानिए।

The Chausath Yogini Temple, Morena also known as Ekattarso Mahadeva Temple located in Morena district of Madhya Pradesh, is one of the few such Yogini temples in the country which is in a very good condition. The temple is formed by a circular wall with 64 chambers and an open mandapa in the centre, separated by a courtyard, which is circular in shape, It is believed that the Parliament House, known as Sansad Bhavan, built in Delhi in the 1920s, has been patterned on the lines of this circular-shaped Chausath Yogini Temple, dated to 1323 AD.
The Chausath Yogini Temple, Morena
The Chausath Yogini Temple, Morena

हमारे संसद को माना जाता है कि इसे ब्रिटिश सरकार के वास्तुकारों ने बनाया था। मुरैना जिले के मितावली गांव में स्थित चौंसठ योगिनी शिवमंदिर अपनी वास्तुकला और गौरवशाली परंपरा के लिए आसपास के इलाके में तो प्रसिद्ध है, लेकिन मध्यप्रदेश पर्यटन के मानचित्र पर जगह नहीं बना सका है।

इस मंदिर को गुजरे ज़माने में तांत्रिक विश्वविद्यालय कहा जाता था। उस दौर में इस मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान करके तांत्रिक सिद्धियाँ हासिल करने के लिए तांत्रिकों का जमवाड़ लगा रहता था। मौजूदा समय में भी यहां कुछ लोग तांत्रिक सिद्धियां हासिल करने के लिए यज्ञ करते हैं।

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ग्राम पंचायत मितावली, थाना रिठौराकलां, ज़िला मुरैना (मध्य प्रदेश) में यह प्राचीन चौंसठ योगिनी शिव मंदिर है। इसे ‘इकंतेश्वर महादेव मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की ऊंचाई भूमि तल से 300 फीट है। इसका निर्माण तत्कालीन प्रतिहार क्षत्रिय राजाओं ने किया था। यह मंदिर गोलाकार है। इसी गोलाई में बने चौंसठ कमरों में हर एक में एक शिवलिंग स्थापित है। इसके मुख्य परिसर में एक विशाल शिव मंदिर है।

भारतीय पुरातत्व विभाग के मुताबिक़, इस मंदिर को नवीं सदी में बनवाया गया था। कभी हर कमरे में भगवान शिव के साथ देवी योगिनी की मूर्तियां भी थीं, इसलिए इसे चौंसठ योगिनी शिवमंदिर भी कहा जाता है। देवी की कुछ मूर्तियां चोरी हो चुकी हैं। कुछ मूर्तियां देश के विभिन्न संग्रहालयों में भेजी गई हैं। तक़रीबन 200 सीढ़ियां चढ़ने के बाद यहां पहुंचा जा सकता है। यह सौ से ज़्यादा पत्थर के खंभों पर टिका है। किसी ज़माने में इस मंदिर में तांत्रिक अनुष्ठान किया जाता था।

यह स्थान ग्वालियर से करीब 40 कि.मी. दूर है। इस स्थान पर पहुंचने के लिए ग्वालियर से मुरैना रोड पर जाना पड़ेगा। मुरैना से पहले करह बाबा से या फिर मालनपुर रोड से पढ़ावली पहुंचा जा सकता है। पढ़ावली ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यही वह शिवमंदिर है, जिसको आधार मानकर ब्रिटिश वास्तुविद् सर एडविन लुटियंस ने संसद भवन बनाया।

 

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