इंडोनेशिया (Indonesia) में संशोधित राष्ट्रपति आदेश के अनुसार, वैक्सीन लगवाने से इनकार करने वाले लोगों को सरकार सजा दे सकती है. साथ ही उनके ऊपर जुर्माना भी लगाया जा सकता है
दुनियाभर में कोरोना वायरस महामारी ने अब तक करोड़ों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, राहत की बात यह है कि अब कई देशों में कोरोना वैक्सीनेशन का अभियान शुरू हो गया है। भारत, अमरीका, चीन समेत कई देशों में तेजी से लोगों को टीका लगाने की प्रक्रिया चल रही है। वहीं, कोरोना के खिलाफ लड़ाई में इंडोनेशिया ने भी वैक्सीनेशन शुरू किया है, लेकिन वहां की सरकार वैक्सीन नहीं लगवाने वालों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने जा रही है। दरअसल, ये देश है इंडोनेशिया (Indonesia), जहां कोरोना से अब तक 12 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं. सरकार का मानना है कि वैक्सीनेशन के जरिए वायरस को काबू में किया जा सकता है.
राष्ट्रपति आदेश के अनुसार, वैक्सीन लगवाने से इनकार करने वाले लोगों को सरकार सजा दे सकती है. साथ ही उनके ऊपर जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इसके अलावा, स्थानीय सरकारों को ये तय करना है कि ऐसे व्यक्ति पर किस तरह का प्रतिबंध लगाया जाए. इंडोनेशिया में बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन को लेकर असमंजस है. दरअसल, लोगों का मानना है कि वैक्सीन को तैयार करने में जल्दबाजी दिखाई गई है. ऐसे में ये खतरनाक हो सकती है. दूसरी ओर, कोरोना वैक्सीन को अनिवार्य बनाना एक असामान्य कदम प्रतीत होता है.
‘हलाल वैक्सीन’ पर हुआ विवाद
पिछले साल सितंबर में हुए एक सर्वेक्षण में पाया गाय कि करीब 65 फीसदी इंडोनेशिया के नागरिक वैक्सीन खुराक को लेना चाहते हैं. जबकि 35 फीसदी लोगों को वैक्सीन की कीमत, इसके दुष्प्रभाव और हलाल होने को लेकर चिंता थी. सरकार से इसके बाद से ही वैक्सीन को मुफ्त कर दिया है. इंडोनेशिया ने अभी तक 17 लाख लोगों को वैक्सीन की खुराक दी है. वैक्सीन खुराक लेने वालों में राष्ट्रपति जोको विडोडो (Joko Widodo) भी शामिल हैं, जिन्हें देश में पहली खुराक दी गई.
अब तक केवल 17 लाख लोगों को लगी वैक्सीन
दरअसल, इंडोनेशिया में हलाल वैक्सीन को लेकर काफी विवाद हुआ. इसके बाद देश के शीर्ष इस्लामिक निकाय इंडोनेशियन उलेमा काउंसिल ने चीन की कंपनी साइनोवैक बायोटेक लिमिटेड द्वारा निर्मित कोविड-19 वैक्सीन को हलाल घोषित किया और इस्तेमाल की मंजूरी दी. हालांकि, अभी केवल 17 लाख लोगों का टीकाकरण हुआ है, ऐसे में सरकार ने साल के आखिर तक 18 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा है. वैक्सीन के लिए देश ने एस्ट्राजेनेका और नोवावैक्स के साथ भी समझौता किया है.
कोड़े मारकर दी जाती है सजा
इंडोनेशिया में अधिकतर ही सजा के तौर पर कोड़े मारकर अपराधी को दंडित करने का रिवाज रहा है. यहां दुष्कर्म, समलैंगिक संबंध बनाने और अन्य अपराधों के लिए अपराधी को कोड़े मारे जाते हैं. हालांकि, किसी क्रूर अपराध पर आरोपी को मौत की सजा भी दी जाती है. ऐसे में अब अगर लोग वैक्सीन लगवाने से इनकार करते हैं, तो उन्हें कोड़े मारने की सजा दी जा सकती है. हालांकि, अब देखना होगा कि सजा के डर से कितने लोग वैक्सीन लगवाते हैं.
65 फीसदी लोग ही टीका लगवाने के इच्छुक
भारत, अमरीका समेत ज्यादातर देशों में कोरोना वैक्सीनेशन की प्रक्रिया को अनिवार्य नहीं बनाया गया है, जिसका मन होगा, वह ही वैक्सीन लगवा सकेंगे, लेकिन इंडोनेशिया में वैक्सीन लगवाने के लिए लोगों में व्याप्त हिचकिचाहट के बीच यह एक असामान्य कदम माना जा रहा है। हाल ही में करवाए गए एक सर्वे के अनुसार, इंडोनेशिया में 65 फीसदी लोग वैक्सीन को लगवाना चाहते हैं, जबकि बचे हुए अन्य लोगों के अंदर हैल्थ, कीमत को लेकर चिंताएं हैं। इसके अलावा, हलाल वैक्सीन पर भी लोग चिंतित हैं। हालांकि, सरकार ने वैक्सीन को जनता के लिए मुफ्त कर दिया है।
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