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विनय शर्मा,धर्मशाला :कुलभूषण जाधव मामले में “कॉन्सुलर एक्सेस” न देना पाकिस्तान को भारी पड गया और भारत फांसी की सजा को रुकवाने में सफल हो गया।

आखिर है क्या कॉन्सुलर एक्सेस

वियाना कन्वेंशन 1963 की धारा 36 के मुताबिक किसी देश का नागरिक विदेश में अगर किसी जुर्म में पकड़ा जाता है तो उसके देश के कॉन्सुलर को इसकी सुचना देनी जरूरी है।कुलभूषण जाधव को पकड़कर गुपचुप तरीके से पाकिस्तान की सैन्य अदालत में केस चला और उन्हें उनके एक कथित कबूलनामे के आधार पर फांसी की सजा सुना दी गई।भारत सरकार ने 19 बार कुलभूषण मामले में पाकिस्तान को वियाना समझोते की याद दिलवाई लेकिन पाकिस्तान ने उसे इस बिनाह पर रिजेक्ट कर दिया कि 2008 में हुए एक द्विपक्षीय समझोते में दोनों देशों ने कॉन्सुलर एक्सेस को ऑप्शनल घोषित कर दिया था मतलब कॉन्सुलर एक्सेस की मांग माने य न माने यह अधिकार संभंधित देश को दे दिया।पाकिस्तान ने इसी समझोते के अनुसार भारत की कॉन्सुलर एक्सेस की मांग को 19 बार ठुकरा दिया लेकिन अंतराष्ट्रीय अदालत ने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 2008 के समझोते को वियाना कन्वेंशन के खिलाफ माना और पाकिस्तान को कुलभूषण मामले में कॉन्सुलर एक्सेस न देने का दोषी पाया और उनकी सजा पर स्थगन आदेश पारित कर दिया।कुलभूषण मामले में अब पाकिस्तान को कॉन्सुलर एक्सेस देनी पड़ेगी जिसके तहत कुलभूषण जाधव पर लगे सभी आरोपों के सबूत भारत को देने पड़ेंगे ताकि भारत कुलभूषण जाधव मामले की पैरवी सुप्रीम कोर्ट में अपील के वक़्त सही ढंग से कर सके।प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्त के मुताबिक हर एक को सुनवाई और फेयर ट्रायल का अधिकार प्राप्त है।हर आरोपी को अपने ऊपर लगे चार्ज को डिफेंड करने का मोका दिया जाता है लेकिन कुलभूषण जाधव मामले में ऐसा नहीं हो पाया।उनपर चल रहे सैन्य अदालत के मुक़दमे के बारे में सिर्फ पाकिस्तान की सैन्य अदालत को ही था यहाँ तक की पाकिस्तानी मीडिया को भी तभी पता चला जब कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा का एलान हुआ।क़ानून के मुताबिक जांच एजेंसीज के सामने दिए गए मुजरिम के इकबलिये व्यान या कबूलनामे के आधार पर उसे सजा नहीं दी जा सकती।कुलभूषण मामले में अभी तक हुए खुलासे के मुताबिक उनके द्वारा दिए गए कबूलनामे के आधार पर उन्हें सजा सुनाई गयी जो कि कानूनी तोर पर गलत है।मामला जब अपील की शक्ल में पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में चलेगा तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो पायेगा।

विनय शर्मा,डिप्टी एडवोकेट जनरल,हिमाचल सरकार


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