हिमाचली लोक गीत :मिंजो कुनी नी आखया रोटी खा वो कुड़िए

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शादी के बाद एक लड़की की जिंदगी कैसे बदल जाती है। जहां वो लड़की अपने मायके में एक राजकुमारी की पलती बड़ी होती है और कैसे अपने ससुराल में आकर वो जिम्मेदारी के बोझ में दब जाती है। जब उसका पति घर से दूर कहीं नौकरी करने गया होता है तो कोई उसका ख्याल नहीं रखता है। इन सबका वर्णन करता है मशहूर हिमाचली गायक करनैल जी का यह गाना। जिसके बोल और मतलब कुछ इस तरह हैं।

फुलके पखदे रहे वो सब्जी रिजदी रयी ऐ
फुलके पखदे रहे वो सब्जी रिजदी रयी ऐ
मिंजो कुनी नी आखया रोटी खा वो कुड़िए।
फुलके पखदे रहे वो सब्जी रिजदी रयी ऐ
फुलके पखदे रहे वो सब्जी रिजदी रयी ऐ
मिंजो कुनी नी आखया रोटी खा वो कुड़िए।

(रोटी भी बन रही थी और सब्जी भी पक रही थी लेकिन मुझे किसी ने नहीं कहा कि खाना खा ले।)

मेरिया अम्मा बाज्जी ओ मेरे बाऊए बाज्जी
मेरिया अम्मा बाज्जी ओ मेरे बाऊए बाज्जी
मिंजो कुनी नी आखया रोटी खा वो कुड़िए।
फुलके पखदे रहे वो सब्जी रिजदी रयी ऐ
फुलके पखदे रहे वो सब्जी रिजदी रयी ऐ
मिंजो कुनी नी आखया रोटी खा वो कुड़िए।

(मेरी माँ के बिना और मेरे पापा के बिना किसी ने नहीं कहा कि बेटी खाना खा ले।)

मेरिया सस्सू खादी ओ मेरे सोरे खादी
मेरिया सस्सू खादी ओ मेरे सोरे खादी
मिंजो कुनी नी आखया रोटी खा वो कुड़िए।
फुलके पखदे रहे वो सब्जी रिजदी रयी ऐ
फुलके पखदे रहे वो सब्जी रिजदी रयी ऐ
मिंजो कुनी नी आखया रोटी खा वो कुड़िए।

(मेरी सास ने भी खाना खाया, मेरे ससुर ने भी खाना खाया लेकिन किसी ने मुझे ये नहीं कहा कि खाना खा ले।)

मिंजो सस्सू बी आखया मिंजो सोरे गलाया
मिंजो सस्सू बी आखया ओ मिंजो सोरे गलाया
तू डंगरां जो, डंगरां जो छड्ड पाणी दस्स ओ कुड़िए।
फुलके पखदे रहे वो सब्जी रिजदी रयी ऐ
फुलके पखदे रहे वो सब्जी रिजदी रयी ऐ
मिंजो कुनी नी आखया रोटी खा वो कुड़िए।

(मेरी सास ने भी कहा और ससुर ने भी बोला के पशुओं को पानी पिला दे लेकिन किसी ने ये नहीं कहा कि लड़की खाना खा ले।)

देर गलांदा नी पाबो रोटी खाईलै
मिंजो देर गलांदा नी पाबो रोटी खाईलै
मिंजो नणद गलाया ओ घाए ली वो आयां।
फुलके पखदे रहे वो सब्जी रिजदी रयी ऐ
फुलके पखदे रहे वो सब्जी रिजदी रयी ऐ
मिंजो कुनी नी आखया रोटी खा वो कुड़िए।

(मुझे मेरे देवर ने कहा कि भाभी खा लो और ननंद ने कहा कि घास काट कर ले आ। किसी ने नहीं बोले कि खाना खा ले।)

कदूं तां औणा ओ मेरे कंते घरे
रब्बा कदूं तां औणा ओ मेरे कंते घरे
कदूं तां खाणा ओ पेट भरी कने।
फुलके पखदे रहे वो सब्जी रिजदी रयी ऐ
फुलके पखदे रहे वो सब्जी रिजदी रयी ऐ
मिंजो कुनी नी आखया रोटी खा वो कुड़िए।

(भगवान पता नहीं कब मेरे पति घर आएंगे और मै पेट भरकर खाना खाऊंगी।)

मेरिया पैणा बाज्जी मेरे भाऊए बाज्जी
मेरिया पैणा बाज्जी मेरे भाऊए बाज्जी
मिंजो कुनी नी आखया रोटी खा वो कुड़िए।
फुलके पखदे रहे वो सब्जी रिजदी रयी ऐ
फुलके पखदे रहे वो सब्जी रिजदी रयी ऐ
मिंजो कुनी नी आखया रोटी खा वो कुड़िए।

(मेरी बहन के बगैर, मेरे भाई के बिना किसी ने मुझे नहीं कहा कि लड़की खाना खा ले।)

मिंजो कुनी नी आखया रोटी खा वो कुड़िए
मिंजो कुनी नी आखया रोटी खा वो कुड़िए
मिंजो कुनी नी आखया रोटी खा वो कुड़िए
मिंजो कुनी नी आखया रोटी खा वो कुड़िए।


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