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मैं हूँ हिमाचल का एक छोटा सा गाँव । पकृति ने खुब रंग – रुप बख्शा है मुझे । ऊँचे- ऊँचे पहाड़ों के बीच नदी के किनारे हरे-भरे खेतों के साथ अपनी सुंदरता पर इतराता हुआ एक गाँव  । मेरे सुत्र में रहने वाले लोगों से मेरी पहचान है सदियों से कई पीढ़ियों को आते – जाते देखा है मैंने । जैसे – जैसे समय बदलता है मुझे भी लोगों द्वारा अपनी आवश्यकता अनुसार ढाल लिया जाता है ।
शहर के दूर बसा होने के कारण शांत वातावरण है मेरा । लोग अक्सर मेरे इस शांत वातावरण का लुत्फ उठाते हैं । बहुत बार देखा है मैंने अपने गांव के कुछ लोगों को मेरे किसी शांत कोने में बैठकर खुद से बातें करते हुए। गांव के लगभग सभी लोगों के राज दबे है मेरे सीने में और न जाने कितनी प्रेम कहानियों से बाकिफ हूँ मैं । जिन में से कई तो सफल हुई और कई वक्त के किन्हीं पन्नों में सिमट कर रह गई ।
खैर छोड़िए ये तो गांव के बाहर की तरफ की कहानी थी । अब आपको अपनी आंतरिक जानकारी देता हूँ । मैं 80% कच्चे घरों से बना हूँ हाँ कुछ एक पक्के मकान भी है । जो घरों के मध्य पुरानी , ऊँची ईमारत दिखती है न वो है मंदिर। साल में एक बार मेला लगता है यहाँ उस दिन लोगों के साथ खुशी से मैं भी झूम उठता हूँ । सदियों से चले आ रहे रीति- रिवाजों को याद किया जाता है इस दिन । चमक-धमक , दुकाने , देवता की झांकी पुरी तरह से सज जाता हूँ मैं ।
ये तो हुई त्योहार की बात , आम दिन लोग सुबह ही उठते है और निकल जाते है खेतों में काम करने .। धूप जब तेज़ होने लगती है तो वापिस घरों में जाकर खाना खाकर आराम करते है ।
मेरे में आपको एक जगह ऐसी मिलेगी जहां गांव की औरतें हमेशा रहती है पानी भरने , कपडे धोने , पशुओं को पानी पिलाने और वो आजकल क्या कहते है उसे हाँ. .. गौसिप करने । अब ये रीत तो सदियो से चली आ रही है बस चार औरतों के इकट्ठे होने की देर रहती है ।

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एक जगह है टियाला साथ में चाय की एक कच्ची दुकान जिसके मालिक को गांव के लोग चाचु , मामू  , बड़केया कहकर पुकारते है। गांव के बच्चे ताश खेलना अक्सर यहीं से सीखते है। शाम के समय रौनक सी लग जाती है इस जगह पर । यहां लोगों की शाम की शुरुआत चाय की चुसकियों से शुरू होकर देसी के पैग पर खत्म होती है ।
असली बुड़के ( ढींगे ) लोग यहीं आंकते है ।
कुछ भी हो पर लोगों में एकता आज भी उतनी ही है जितनी पहले हुआ करती थी। अच्छे – बुरे समय में सब एक – दूसरे का भरपूर साथ देते हैं।


लेख : Uma Warda,Kullu ( लेखिका कुल्लू में एक अध्यापिका है और स्पीक आउट हिमाचल ,फेसबुक पेज की एडमिन भी है )

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