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बाथू की लड़ी-महारणा प्रताप सागर के बीच एक अद‌्भुत मंदिर

हिमाचल के कांगड़ा जिला के ज्वाली और पंजाब के जालंधर स्थित तलवाड़ा शहर से करीब 34 किलोमीटर की दूरी पर बनी पोंग डैम की झील महारणा प्रताप सागर के बीच एक अद‌्भुत मंदिर है, जो साल में सिर्फ मार्च से लेकर जून तक ही नजर आता है। साल के बाकी आठ महीने मंदिर पानी में ही डूबे रहते हैं। मंदिर बनाने के लिए बहुत ही मजबूत पत्थर प्रयोग किया गया है, तभी 30 साल से भी ज्यादा समय से पानी में डूबने के बाद भी ये मंदिर वैसे के वैसे ही हैं। ये मंदिर आठ मंदिरों की श्रृंखला है, जो बाथू नामक पत्थर से बनी हुई है। इसलिए इन मंदिरों का नाम बाथू की लड़ी पड़ा है।
इन मंदिरों के पत्थरों पर माता काली और भगवान गणेश जी की प्रतिमाएँ अंकित हैं। मंदिर के अंदर भगवान विष्णु और शेष नाग की मूर्ति रखी हुई है। इन मंदिरों के आस-पास टापू की तरह जगह है जिसे रेनसर नाम से जाना जाता है। रेनसेर में फॉरेस्ट विभाग का एक गेस्ट हाउस भी है। यहां पोंग डैम बनने से पहले देश के कोने-कोने से लोग यहां दर्शन करने के लिए आया करते थे।

आठ महीने पानी में डूबा रहता है काँगड़ा का यह मंदिर :Bathu Ki Ladi

यहां पर बहुत सी किस्मों के प्रवासी पक्षी आते हैं। मार्च से जून तक जब झील का जलस्तर कम हो जाता है तो दूर-दूर से पर्यटक इन मंदिरों को देखने के लिए आते हैं।
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए तलवाड़ा से ज्वाली बस द्वारा आया जा सकता है। इसके अलावा धमेटा और नगरोटा-सूरियां से बोट से इन मंदिरों तक पहुंचा छमजा सकता है।

इन मंदिरों के निर्माण की कहानी अभी तक साफ नहीं हो पाई है। कुछ लोगों के अनुसार ये मंदिर यहाँ के किसी स्थानीय राजा ने बनवाए हैं और कुछ लोगों की मान्यता है कि त्रेता युग से पहले अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां आश्रय लिया था और भगवान शिव की पूजा करने के लिए यह मंदिर बनवाया था। उस समय वो शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा किया करते थे। अब मंदिर साल में चार महीने ही नजर आता है। जिन दिनों में पानी होता है तो लोग किश्तियों की मदद से मंदिर तक जाते हैं। इन मंदिरों के पास एक बहुत ही बड़ा पिल्लर है। जब पौंग डैम पूरी तरह भर जाता है तब ये सभी मंदिर पानी में डूब जाते हैं, लेकिन सिर्फ इस पिल्लर का ऊपरी हिस्सा ही नजर आता है।

कहा जाता है कि ये स्वर्ग जाने का रास्ता था जिसे पांडवों ने बनवाने की कोशिश की थी लेकिन पूरा नहीं हो पाया था।

विश्व हिन्दू परिसर के प्रदेश प्रभारी श्री मनोज कुमार की देखरेख में यहाँ शिवलिंग पुनःस्थापित किया गया था।

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