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कहा जाता है हनुमान जी की पूजा जीवंत रूप में कलयुग में की जाएगी , दुनिया का भगवान श्रीराम के बिना चलना मुश्किल है और राम जी हनुमान जी को साथ लेकर चलते है ,हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना गया है I

को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम तिहारो

यु तो पुरे भारत में हनुमान जी के कई सारे मंदिर है जिसमे सालासर और मेहंदीपुर आदि तो विश्वप्रसिध है 

 

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का जाखू मंदिर भी एक विश्व प्रशिध मन्दिर है ,यह प्रसिद्ध मंदिर ‘जाखू पहाड़ी’ पर स्थित है। मंदिर परिसर में बहुत से बंदर रहते हैं। जाखू मंदिर की चोटी से शिमला शहर का विहंगम नज़ारा देखने का आनंद ही कुछ और है। यहाँ आने वाले पर्यटक 2100 मीटर से अधिक की ऊंचाई से कई किलोमीटर दूर तक परमपिता की अभिनव चित्रकारी का आनंद उठा सकते हैं।जाखू मंदिर, जाखू पहाड़ी पर समुद्र तल से 8048 फीट की ऊँचाई पर स्थित है

 

Jakhu Temple is situated on Jakhoo Hill, 2.5 km  east from the Ridge, Shimla at a height of 2,455 m (8,000 feet) above sea level.It is belived that Lord Hanuman stopped there to rest while he was searching for the Sanjivni Booti .a giant 108-feet-high idol of Hanuman was unveiled at Jakhoo Hanuman temple in 2010, overlooking the entire city

पोराणिक कथाये :

पोराणिक मान्यताओ के अनुसार जब हनुमान जी लक्षमण के इलाज के लिए संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे तो रास्ते में उन्होंने नीचे पहाड़ी पर ‘याकू’ नामक ऋषि को देखा तो वे नीचे पहाड़ी पर उतरे। जिस समय हनुमान पहाड़ी पर उतरे, उस समय पहाड़ी उनका भार सहन न कर सकी। परिणाम स्वरूप पहाड़ी जमीन में धंस गई। मूल पहाड़ी आधी से ज्यादा धरती में समा गई। इस पहाड़ी का नाम ‘जाखू’ है। यह ‘जाखू’ नाम ऋषि याकू के नाम पर पड़ा था। याकु ऋषि ने हनुमान जी को संजीविनी लानेका पूरा रास्ता और विधि बताई , जब हनुमान जी जाने लगे तो याकु ऋषि ने कहा की आप जब वापिस आये तो एक बार यहाँ अवस्य आये ,लेकिन हनुमानजी का व्यस्तता के कारण  यहाँ आना मुश्किल हो गया लेकिन वो  याकू ऋषि को नाराज नहीं करना चाहते थे, इस कारण अचानक प्रकट होकर और अपना विग्रह बनाकर अलोप हो गए। ऋषि याकू ने हनुमान की स्मृति में मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर में जहां हनुमानजी ने अपने चरण रखे थे, उन चरणों को संगमरमर पत्थर से बनवाकर रखा गया है। ऋषि ने वरदान दिया कि बंदरों के देवता हनुमान जब तक यह पहाड़ी है, लोगों द्वारा पूजे जाएंगे।

एक अन्य कथा :

एक अन्य किवदंति के अनुसार हनुमान जब संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे, तब उन्होंने जाखू मंदिर पर विश्राम किया था। बूटी के लिए जाते समय बजरंगबली ने शिमला की उक्त पहाड़ी पर विश्राम किया था। थोड़ी देर विश्राम करने के बाद हनुमान अपने साथियों को यहीं पर छोड़ कर अकेले ही संजीवनी बूटी लाने के लिए निकल पड़े थे। ऐसा माना जाता है कि उनके वानर साथियों ने यह समझकर कि बजरंगबली उनसे नाराज होकर अकेले ही गए हैं, उनका यहीं पहाड़ी पर वापस लौटने का इंतजार करते रहे। इसी के परिणामस्वरूप आज भी यहाँ व्यापक संख्या में वानर पाए जाते हैं।

जाखू मंदिर में अब हनुमान जी की एक विशाल प्रतिमा भी लगी है, जिसकी ऊँचाई 108 फीट है। ये प्रतिमा वर्ष 2010 में स्थापित की गई थी

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