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Baijnath Temple : शिव भगवान का प्रसिद्ध मंदिरvबैजनाथ में शिव भगवान का प्रसिद्ध मंदिर है जो कि हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा(पालमपुर) ज़िले में सुन्दर पहाड़ियों में स्थित है ,और पालमपुर का धार्मिक पर्यटन स्थल है। बैजनाथ का शाब्दिक अर्थ है – ‘वैद्य+नाथ’,जिसे ओषधियों का स्वामी भी कहा जाता है। बैजनाथ मंदिर पालमपुर का एक प्रमुख स्थान है और यह शहर से 16 कि.मी. की दूरी पर है l ‘बैजनाथ शिव मंदिर’ भगवान शिव को समर्पितहै। यहाँ पर लोग दूर -दूर से भगवान शिव के दर्शनों के लिए आते हैं इसका निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था l इसका पुराना नाम ‘कीरग्राम’ था l परन्तु बीतते हुए समय के साथ -साथ मंदिर का नाम भी प्रसिद्ध होता गया और ग्राम का नाम ‘बैजनाथ’ पड़ गया।इस मंदिर पर कुछ पौराणिक कथाएँ भी हैं l

Baijnath temple view
Baijnath temple view

बैजनाथ मंदिर की पौराणिक कथा कुछ इस प्रकार है-त्रेता युग में लंका के राजा रावण ने कैलाश पर्वत पर शिव भगवान की तपस्या की। कोई फल न मिलने पर उसने घोर तपस्या आरम्भ की। अंत में उसने अपना एक-एक सिर काटकर हवन कुंड में आहुति देकर शिव को अर्पित करना शुरू कर दिया । दसवां और अंतिम सिर कट जाने से पहले शिवजी ने प्रसन्न हो प्रकट होकर रावण का हाथ पकड़ लिया। उसके सभी सिरों को पुर्नस्थापित कर शिव ने रावण को वर मांगने को कहा। रावण ने कहा मैं आपके शिवलिंग स्वरूप को लंका में स्थापित करना चाहता हूँ।Himachali Rishta Himchal Matrimonial websiteक्या आप अपने परिवार में किसी के लिए हिमाचली रिश्ता ढूंड रहे है आज ही फ्री रजिस्टर करे हिमाचलीरिश्ता डॉट कॉम पर, हजारो हिमाचली वर-वधु के प्रोफाइल उपलब्ध

आपदो भागों में अपना स्वरूप दें और मुझे अत्यंत बलशाली बना दें। शिवजी ने तथास्तु कहा और लुप्तहो गए। लुप्त होने से पहले शिव ने अपने शिवलिंग स्वरूप दो चिह्न रावण को देने से पहले कहा कि इन्हें जमीन पर न रखना।रावण दोनों शिवलिंग लेकर लंका को चला। रास्ते में ‘गौकर्ण’ क्षेत्र (बैजनाथ) में पहुँचने पर रावण को लघुशंका का अनुभव हुआ। उसने ‘बैजु’ नाम के एक ग्वाले को सब बात समझाकर शिवलिंग पकड़ा दिए और शंका निवारण के लिए चला गया। शिवजी की माया के कारण बैजु उन शिवलिंगों के भार को अधिक देर तक न सह सका और उन्हें धरती पर रखकर अपने पशु चराने चला गया। इस तरह दोनों शिवलिंग वहीं स्थापित हो गए। जिस मंजूषा में रावण ने दोनों शिवलिंग रखे थे, उस मंजूषा के सामने जो शिवलिंग था, वह ‘चन्द्रभाल’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ और जोपीठ की ओर था, वह ‘बैजनाथ’ के नाम से जाना गया। मंदिर के प्रांगण में कुछ छोटे मंदिर हैं और नंदी बैल की मूर्ति है। नंदी के कान में भक्तगण अपनी मन्नत मांगते है।

Baijnath-Temple Kangra

 

गूगल मैप पर बैजनाथ मंदिर   (  Baijnath Temple on Google Map  ) :

कैसे पहुंचे

रेल मार्ग :
आप पठानकोट से जोगिन्दर चलने वाली ट्रेन से बैजनाथ स्टेशन उत्तर कर बैजनाथ मंदिर जा सकते है

सड़क मार्ग :

पठानकोट – मनाली हाईवे से भी आप बैजनाथ पहुंच सकते है ,दिल्ली और चंडीगढ़ से बैजनाथ के लिए वॉल्वो और साधारण बहुत सी बसे चलती है

वायु मार्ग : निकटतम एयरपोर्ट गग्गल ( धर्मशाला ,काँगड़ा )

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