हिमाचली धाम की कुछ खास बाते जो आपने भी करी होंगी

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दोस्तों पिछले लेख में हिमाचल कि शादियों में जरूरी 11 लोगो के बारे में लिखा था और मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि आपने उस लेख को बहुत पसंद किया तो आज जो में बता रहा हु उसको कही फेसबुक पर ही पढ़ा था , हैंजी तो बात ऐसी है कि में कोई उच्च कोटि का विद्वान साहित्यकार तो हु नही जो लम्बा लेख लिखूंगा , एक सामाजिक प्राणी यानी कि सोशल एलिमेंट हु तो सोशल मीडिया से पड़कर कर थोडा तोड़ मरोड़ जोड़ कर सोशल मीडिया पर ही लिखूंगा न , कुछ फेसबुक विशेषग्य तो मुझे कोपियाअसुर भी बोलते है l तो कोई बात नही आप इस लेख का मजा लीजिये कोपियासुर कॉपी राइट्स कर पूरा ध्यान रखता है l

आज में आपको बता रहा हु हिमाचली धाम की कुछ खास बाते जो आपने भी चाहे बचपन में ही सही पर पक्का करी होंगी 

पहले जगह रोकना

आम तोर में जब पहली या दूसरी पंक्त लगती है तो उसमे लोग टूट पड़ते है और जाकर सबसे पहले जगह रोक लेते है ,कई बार तो अपने लिए एक सीट रोककर साथ वाली सीट पर हाथ या रुमाल रखकर अपने दोस्त या रिश्तेदारों के लिए रिज़र्व कर लेते है

बिना फटे पत्तल का सिलेक्शन: 

बिना फटे और साफ़ पत्तल कि सिलेक्शन करना अगला काम होता है ,क्युकी हिमाचली धाम पतलो पर सर्व कि जाती है तो कई बार जब पत्तल थोड़े पुराने हो जाते है तो उन्हें पाणी से गीला करके बांटा जाता है ऐसे में कुछ पतलो में छोटे मोटे कट लग जाते है l साफ़ और बिना कटे पतलो कि सिलेक्शन का कार्य आपने भी खूब किया होगा l

पत्तल पे ग्लास रखकर उड़ने से रोकना:

हिमाचली धाम जयादातर खुले आसमान के निचे परोसी जाती है ऐसे में पहाड़ी वातावरण में हवा के हलके झोंको का आना कोई बड़ी बात नही तो पत्तल को हवा से उड़ने के बचाव के लिए उस पर भरा हुआ पाणी का गिलास रख कर इस समस्या को दूर करने का यह जुगाड़ महाभारत काल से भी प्राचीन समय से प्र्यौग होता आया है l

धाम वाले दिन ब्रेकफास्ट स्किप करना :

अरा भाऊ जब गांव में किसी के घर धाम है तो पयागा का दतैलु ( नास्ता ) स्किप करना बनता ही है न ओवरआल कुंजा रिपिये बर्तन जो लिखवाना है वो बसूल नही होगा न

दाल -सब्जी देने वाले को गाइड करना ” हिला के दे या उँगलियों के इशारे से भात जय्दा लेना”

जब बोटी आता है तो उसको हाथ से गाइड तो आपने किया ही होगा पंडित जी जरा दुग्गी कडछी मारा , गोभी कने आलू भी ओउना चायिदा I और भात ज्यादा चाहिए उसके लिए जो इशारा होता है वो तो पता ही है न कमल के फुल कि तरह खिला कर हथेली खोलना – पाई दिया पायी दिया डरा मत पंडी जी

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पीछे वाली पंगत में झांक के देखना क्या क्या आ गया ! अपने इधर और क्या बाकी है :

सामने वाली पंगत में झाँकने कि आदत तो बचपन से ही होती है कि वह क्या आ गया और अपने यहाँ क्या आना अभी वाकी है  इनफैक्ट न खाने कि स्पीड भी कई बार तो दूसरी पंक्त को देख कर ही कण्ट्रोल होती है l

अपने बगल बाले की पत्तल में जबरदस्ती भात रखवाना :

पंडी जी इस्जो भी पायी दीन्यो थोडा दिया भात कने खट्टा ,ऐकचुअली न इसमें भी एक चाल होती है कि आपका अपना तो अभी खतम हुआ नही होता है तो साथ में कोई तो चाहिए साथ देने को

हाफ क्लोज पत्तल , फुल क्लोज पत्तल एंड हैण्ड साफ़ विद पत्तल :

वास्तब में पत्तल क्लोज या हाफ क्लोज होना भी कोई मामूली बात नही बल्कि यह कुछ कोड है जिनको पहाड़ी लोग ही डिकोड कर सकते है , हाल्फ क्लोज पत्तल का मतलब होता है बन्दा उस पर्टिकुलर डिश में interested नही है यानी कि वो इंकार कर रहा है ,कई बार वो डिश परोसने से पहले ही पत्तल के ऊपर हाथ रख देना भी इसकी सांकेतिक क्रिया है , फुल क्लोज पत्तल का मतलब है कि बन्दा धाम खा चूका है और उसे अब कुछ नही लेना देना

हैण्ड साफ़ विद पत्तल :

यह परम्परा कब शुरू हुई इसमें इतिहासकारों में मतभेद है , हालांकि कहते है कि पाषाणकालीन समय में इक बार सर मार्कजुगवार्ग अमेरिका में एक बार डिनर कर रहे थे तो उस समय फेसबुक तो थी नही इसलिए यूट्यूब पर एक पहाड़ी ने देखा कि डिनर ख़तम करने के बाद उन्होंने इक सफ़ेद कागज जैसे किसी चीज से हाथ साफ़ किये और वापिस अपने कंप्यूटर में लग गये ,पहाड़ी मनुष्य इस घटना से काफी प्रभाभित हुआ और उसने इससे प्रेरित हो कर थोडा मोडीफीकेशन कर के धाम में पत्तल से हाथ साफ़ करने के बाद हाथ धोने कि परम्परा शुरू कर दी , उनकी इस परम्परा को लोगो ने हाथो हाथ लिया और 21बी सदी में हिमाचली धाम में यह परमपरा देशी घी और हल्दी वाले जूठे हाथो को साफ़ करने में अत्यंत लाभदायक सावित हुई

गिलास में ही हाथ साफ करना :

हांजी ,बिलकुल आप मुझसे सहमत नही होंगे क्यों कि आप ठहरे सभ्य प्राणी l बहुत से लोग ऐसे होते है जो धाम खाने के बाद चुटी या फिर हाथ अत्यंत सभ्य तरीके से साफ़ करते है जैसे कि एक हाथ से पाणी गिराकर दोनों हाथो को गणितीय सिधांत बज्र गुणा या क्रॉस मल्टीप्लाई कि मुद्रा में मसल कर ,मल मल कर धोते है और फिर थोडा पानी मुह में डाल कर कुल्ला करते हुए दांतों को तब तक रगडते है जब तक कि किचु किचू कि आवाज न आ जाये l

 

लेकिन इसके विपरीत इस यूनिवर्सल फैक्ट को भी नही नकारा जा सकता कि कुछ लोग मेरे जैसे भी होते है जो पाणी के गिलास में डूबा कर सिर्फ सीधे हाथ (राईट हैण्ड ) को ही थोडा सा साफ़ कर के चुप चाप निकल लेते है l

आपको लेख अच्छा लगे तो कमेंट जरुर करे और कोई सुझाब हो तो कमेंट में जरुर बताये और हाँ दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे ,आपके कमेंट और सुझाब हमारा होंसला बढ़ाते है I

By : Satish Kr Malanch

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