परमवीर चक्र सम्मानित कारगिल हीरो शहीद कैप्टेन विक्रम बत्रा

Spread the love

बहुत किस्मत वाले होते है वो लोग जिनके जाने के बाद उनकी शहादत कि कहानिया आने वाली नस्लों के अंदर देशभक्ति के बीज बोती है |  हिमाचल प्रदेश तो है ही वीर जवानों का प्रदेश ,देश में प्राप्त अभी तक सर्वाधिक परमवीर चक्र हिमाचल के ही नाम है | 1999 ने हमारे पडोशी देश पाकिस्तान ने हम पर एक जंग थोपी थी , जिसको पुरे भारत के साथ साथ हिमाचल भी कभी नही भूल पायेगा | 1999 में हर दुसरे दिन तिरंगे में लिपटा एक शहीद हिमाचल के किसी न किसी गांव में आता था ,शहीद होने का दुःख तो हर किसी को होता था लेकिन वो अकेला शहीद हजारो युवाओ के अंदर सेना में जाने का जज्वा पैदा कर के जाता था | युद्ध का अंत वही हुआ जो सदियों से होता आया है बुराई पर अच्छाई कि जीत |

परमवीर चक्र सम्मानित शहीद कैप्टेन विक्रम बत्रा

बुराई पर अच्छाई कि जीत में हीरो बने जिला काँगड़ा के पालमपुर के कैप्टेन विक्रम बत्रा | एक ऐसा योधा जिसने  कारगिल युद्ध में अपना लोहा मनवाया था और उनका नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाता है। जी हां, मैं बात कर रही हूँ कैप्टन विक्रम बत्रा की। जिन्होने कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और देश का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र हासिल किया था। पाकिस्तान के संदेशों में वो इनको शेरशाह के नाम से बुलाते थे।

जन्म और शिक्षा :

विक्रम जी का जन्म 9 सितम्बर 1974 को हिमाचल के पालमपुर में गांव घुघ्घर में पिता श्री गिरधारी लाल बत्रा और माता श्रीमती जयकमल कांता बत्रा के घर हुआ था। इनकी दो बहनें और एक जुड़वां भाई है। इनके जुड़वां भाई का नाम विशाल रखा गया। माता-पिता ने बाद में दोनों भाईयों को प्यार से लव (विक्रम) और कुश (विशाल) बुलाना शुरू कर दिया।

 

Mrs Jaikamal Kanta Batra -Mother of Captain Batra
                                                                  माता श्रीमती जयकमल कांता बत्रा
                                                                 जुड़वाँ भाई विशाल

शिक्षा :

कुशाग्र बुधि,कुशल खिलाडी के साथ साथ ट्रैवल एजैंसी में पार्ट-टाईम ब्रांच मेनेजर कि नोकरी भी कि :

विक्रम जी की प्रारंभिक शिक्षा इनकी माता से ही मिली जो कि अध्यापिका थीं और बाद में वो डी ए वी स्कूल पालमपुर गए। उन्होंने अपनी वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा सेंट्रल स्कूल पालमपुर से प्राप्त की। स्कूल में वे बहुत कुशल खिलाड़ी रहे थे और टेबल टेनिस के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी थे। कराटे में भी उन्होंने ग्रीन बैल्ट प्राप्त की थी। सेंट्रल स्कूल से +2 के बाद उन्होंने डी एए वी काॅलेज चंडीगढ़ में बीएससीके लिए एडमिशन ली। प्रथम वर्ष में ही उन्होंने एन सी सी (एयर विंग) ज्वाईन कर ली और दो जोन में बेस्ट कैडिट रहे। अगले दो सालों तक वे आर्मी विंग के कैडिट रहे। इनको 40 दिवसीय हैलीकॉप्टर फ्लाइट कोर्स के लिए चुना गया जो कि पिंजौर फ्लाइंग क्लब में हुआ। 1994 में उन्होंने एन सी सी कैडिट के तौर पर गंणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लिया। वहां से लौट कर उन्होंने घरवालों से सेना में जाने की इच्छा जाहिर करी। उनके नाना भारतीय सेना में सिपाही थे।

Captain Vikaram Batra (09Sept1974-07 July 1999)

India’s highest and prestigious award Paraveer Chakra for 1999 Kargil war against Pakistan

Birth Place : Palampur,Kangra Himachal Pradesh

Unit : 13 JAK RIFF

War  : Kargil 1999 ( Operation Vijay )

Award : Param Veer Chakra

Information Source : Wikidia

आकर्षक पैकेज वाली मर्चेंट नेवी कि नोकरी न करे के देश सेवा के लिए सेना को चुना

ग्रेजुएशन के दौरान 1995 में उनका चुनाव मर्चेंट नेवी के लिए हो गया था परंतु उन्होंने ने सेना को चुना। इंगलिश में मास्टर डिग्री के लिए उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और साथ ही कंबाइंड डिफेन्स सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। वे चंडीगढ़ में एक ट्रैवल एजैंसी में पार्ट-टाईम ब्रांच मेनेजर के तौर पर काम भी करते थे। वे अपने पिता को कहते थे, ” डैड मैं आप पर बोझ नहीं बनना चाहता।”

ऐसे अपडेट के लिए हिमाचली रिश्ता का पेज लाइक करना न भूले

 

कारगिल युद्ध

1999 में पाकिस्तान के कारगिल हमले के दौरान, उस समय लेफ्टिनेंट बत्रा 13 जैक राइफल्स, जो कि हाल ही में अपने कमांडो कोर्स से वापिस आए थे, और उनकी डेल्टा कंपनी को हमले के पांच हफ्ते बाद 19 जून 1999 को 5140 पीक को पुनः कब्जे में लेने का काम सौंपा गया। अपने साहस के कारण उर्दू नाम “शेरशाह” जिसका मतलब राजा शेर होता है, से नामित किया गया था और उसको दुगना कर दिया जब उन्होंने पाकिस्तानी रक्षकों को आश्चर्यचकित करने के लिए पीछे से पहाड़ी तक पहुंचने का फैसला किया।
16000 फीट कि टाइगर हिल पर तिरंगा लहराने का टारगेट 
बत्रा जी और उनके लोग चट्टान पर चढ़े, लेकिन जैसे ही उनका ग्रुप ऊपर पहुंचा, दुश्मन ने उनको सामने से मशीन गन से फायरिंग शुरू कर दी। कैप्टन बत्रा, अपने पांच साथियों के साथ, ऊपर चढ़कर गए और वहां पहुंचकर उन्होंने मशीन गन पोस्ट पर दो ग्रेनेड फेंक दिए। उन्होंने अकेले ही तीन दुश्मनों को मार गिराया। वे इस लड़ाई में गंभीर रूप से घायल हो गए थे, लेकिन मिशन को जारी रखने के लिए अपने लोगों को पुन: संयोजन करने पर जोर दिया। कप्तान बत्रा द्वारा प्रदर्शित साहस से प्रेरित, 13 जैक राइफल्स के सैनिकों ने 20 जून 1999 को सुबह 3.30 बजे 5140 प्वाइंट को जीत लिया। उनकी कंपनी ने कम से कम 8 घुसपैठियों को मार गिराया और एक भारी मशीन गन रिकवर की।

 प्वाइंट 5140 पर कब्जा ” ये दिल मांगे मोर “

19 जून, 1999 को कैप्टन विक्रम बत्रा के नेतृत्व में भारतीय सेना ने दुश्मन के नाक के नीचे से 5140 प्वाइंट पर क़ब्ज़ा कायम करने में सफल हुई थी।

रणभूमि पर ही बने लेफ्टिनेट से कैप्टेन

5140 जितने के बाद बत्रा को लेफ्टिनेंट से कैप्टेन पद पर पदोन्नत किया, यह देश के साथ साथ पुरे हिमाचल के लिए फक्र का दिन था | उसी दिन देश को पता चल गया था कि अब कारगिल विजय दूर नही है ,उनकी वीरता के सामने दुश्मन थर थर काम्पने लगा था l

5140 प्वाइंट पर क़ब्ज़ा करने के बाद कैप्टन बत्रा ने स्वेच्छा से अगले मिशन के रूप में 4875 प्वाइंट पर भी क़ब्ज़ा करने निर्णय लिया था। यह प्वाइंट समुद्र स्तर से 16,000 फुट की उँचाई पर और 80 डिग्री सीधी खड़ी चोटी पर है।प्वाइंट 5140 पर कब्जा करना जीत एक पड़ाव था जिसमें प्वाइंट 5100, प्वाइंट 4700, जंपिंक पीक और थ्री पीमल्स भी थे। अपने एक साथी कैप्टन अनुज नय्यर के साथ, कैप्टन बत्रा ने अपनी टीम का प्वाइंट 4750 और प्वाइंट 4875 की जीत के लिए नेतृत्व किया। इससे टाइगर हिल के ऊपर दुश्मन कमजोर हो गया और घाटी पर भारत की अंतिम पकड़ मजबूत हो गई।

नौ दिन बाद कैप्टन बत्रा को 4875 पीक को जीतने का महत्वपूर्ण मिशन सौंपा गया। इस पीक को जीतना सबसे कठिन काम था क्योंकि दुश्मन 16000 फिट की ऊंचाई पर बैठा था और चढाई 80 डिग्री पर थी। कोहरे ने कैप्टन बत्रा और उनकी टीम कैमे लिए और मुश्किलें खड़ी कर दीं। 7 जुलाई 1999 के शुरुआती घंटों में, उन्होंने 4875 प्वाइंट पर, पाकिस्तानी मुकाबले के दौरान घायल हुए अधिकारी को बचाने के लिए एक मिशन का आदेश दिया। बचाव के प्रयास के दौरान, उन्होंने अपने एक सूबेदार को धक्का देकर कहा, “तू बाल-बच्चेदार है, हट जा पीछे।”
अपने इन अंतिम शव्दों के साथ बत्रा अपने दोस्त को बचाते हुए शहीद हो गये और दुश्मनों का सफाया करते समय कार्रवाई में मारे गए थे। उनके अंतिम शब्द थे ” जय माता दी” जो कि पंजाबी या डोगरी में माँ दुर्गा, विजय की देवी का सूचक है।
उनके कहे शब्द

“या तो मैं तिरंगा लहरा के आऊंगा या फिर उसमें लिपट कर। लेकिन मैं जरूर आऊंगा।”

” ये दिल मांगे मोर!”
” हमारी चिंता मत करो, अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करो।”
उनके अंतिम शब्द थे, ” जय माता दी ” 

शहीद कैप्टन बत्रा को अपने मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए तो जाना ही जाता है। साथ ही  युद्ध के दौरान उनके द्वारा दिया गया नारा “ये दिल मांगे मोर” काफ़ी लोकप्रिय हुआ था।

नही हुआ शादी का सपना पूरा :

विक्रम बत्रा कि एक प्रेम कहानी भी थी , दोनों कारगिल विजय के बाद शादी करना चाहते थे ,लेकिन दुर्भाग्य से उनका यह सपना पूरा नही हुआ कहते है उनकी प्रेमिका ने आज भी शादी नही है कि है l

सम्मान:

कैप्टन बत्रा “ये दिल मांगे मोर” नारे का उपयोग करने के लिए भारत में अच्छी तरह से जाने जाते है। यह उनका मिशन की सफलता का संचार करने के लिए संकेत होता था। वह एक साक्षात्कार के लिए भी जाने जाते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तानी सैनिक उन्हें “शेर शाह” के रूप में जानते थे और उनसे बातचीत के दौरान उन्हें संबोधित किया गया था। कई स्थानों के नाम उनके नाम पर रखकर उन्हें सम्मानित किया गया।
  • 4875 प्वाइंट की ऐतिहासिक जीत के बाद उनके सम्मान में पहाड़ी को ‘बत्रा टाॅप’ नाम का दिया गया।
  • सेवा चयन केंद्र इलाहाबाद में एक हॉल का नाम ‘विक्रम बत्रा ब्लॉक’ है।
  • जबलपुर छावनी में एक आवासीय क्षेत्र को ‘कैप्टन विक्रम बत्रा एनक्लेव’ कहा जाता है
  • आईएमए में संयुक्त कैडेट की मैस को ‘विक्रम बत्रा मैस’ से नामित किया गया है।
  • कैप्टन बत्रा सहित युद्ध के दिग्गजों की याद में उनके पूर्व काॅलेज डी ए वी चंडीगढ़ में सैनिकों की सेवाओं के सम्मान के लिए बनाया गया है।
  • 2003 में एक हिन्दी फिल्म “एल ओ सी कारगिल” में उनका रोल अभिषेक बच्चन ने निभाया था और बहुत चर्चित रहा था।
  • हिमाचल प्रदेश सरकार ने पालमपुर स्थित राजकीय महाविद्यालय का नाम विक्रम बत्रा महाविद्यालय रखा ।

A Video by India Defense on Captain Batra


Vande Mataram : A Tribute to Captain Vikram Batra ( By AajTak )

हिन्दी फिल्म “LOC Kargil” में उनका रोल अभिषेक बच्चन ने निभाया था और बहुत चर्चित रहा था।

 

 

हिमाचल के कुछ और लोग जिन्होंने हिमाचल गोरवान्वित किया ,पढ़े बीइंग पहाड़ी कि हिमाचल गौरव श्रृखला में 

Advt:

हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी मटरीमोनिअल सेवा में आज ही निशुल्क रजिस्टर कर के चुने हजारो हिमाचली लड़के लडकियों में से अपने लिए सुयोग्य जीवनसाथी ,रजिस्टर करने के लिए क्लिक करे

Tag : Yeh Dil Mange More, Param Veer Chakar winner Captain Vikram Batra, Captain Vikaram Batra Life

क्या आप हिमाचली है और अपने या किसी रिश्तेदार के लिए अच्छा रिश्ता ढूंड रहे है ?आज ही गूगल प्ले स्टोर से हिमाचली रिश्ता की एप डाउनलोड करे और चुने हजारो हिमाचली प्रोफाइल में उचित जीवनसाथी हिमाचली रिश्ता डॉट कॉम पर 

Himachal Matrimonial Service Himachali rishta

Facebook Comments

Leave a Reply