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आज हम आपको शिवरात्री से जुडी बाते बताएंगे जिसमे हम आपको बताएंगे की शिवरात्री का व्रत क्यूँ किया जाता हैं इसके पीछे की क्या कथा हैं? इस महान शिवरात्री के व्रत को करने से क्या फल प्राप्त होता हैं तो आइये हम बताते हैं इसके बारे में फाल्गुन कृष चतुर्दशी को शिवरात्री पर्व मनाया जाता हैं. माना जाता हैं की श्रृष्टि के प्रारम्भ में इसी दिन मध्य रात्रि भगवान् शंकर का भगवान् शिव का ब्रह्मा से शिव के रूप में अवतरण हुआ था

इस दिन को शिवजी और पार्वती की विवाह वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है और ऐसा कहा जाता है जो कुंवारी लड़कियां महा शिवरात्रि का व्रत रखती हैं उनकी शादी जल्दी होती है और उन्हें शिव जैसा जीवनसाथी मिलता है। इसके अलावा अगर व‍िवाहित महिलाएं पूरी व‍िध‍िपूर्वक इस द‍िन भगवान श‍िव की पूजा-अर्चना करें तो उनके पति का स्वास्थ्य स्वस्थ रहता है और उन्हें लंबी उम्र का वरदान मिलता है। अगर आप भी अपने पति के लिए भगवान् शिव से ऐसा आशीर्वाद चाहती हैं तो आज इस ब्लॉग के ज़रिये हम आपको बता रहे हैं की इसके लिए क्या करें।

कहते हैं कि महाशिवरात्रि में किसी भी प्रहर अगर भोले बाबा की आराधना की जाए, तो मां पार्वती और भोले त्रिपुरारी दिल खोलकर कर भक्तों की कामनाएं पूरी करते हैं. महाशिवरात्रि पर पूरे मन से कीजिए शिव की आराधना और पूरी कीजिए अपनी हर कामना

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महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है. यह भगवान शिव के पूजन का सबसे बड़ा पर्व भी है. फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. माना जाता है कि सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था

महाशिवरात्रि से जुड़ी कथा


महाशिवरात्रि के दिन शिवभक्त बड़े धूमधाम से शिव की पूजा करते हैं. भक्त मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर बेल-पत्र आदि चढ़ाकर पूजन करते हैं. साथ ही लोग उपवास तथा रात को जागरण करते हैं. शिवलिंग पर बेल-पत्र चढ़ाना, उपवास तथा रात्रि जागरण करना एक विशेष कर्म की ओर इशारा करता है. यह माना जाता है कि इस दिन शिव का विवाह हुआ था, इसलिए रात्रि में शिवजी की बारात निकाली जाती है.

महाशिवरात्रि’ के विषय में भिन्न – भिन्न मत हैं, कुछ विद्वानों का मत है कि आज के ही दिन शिवजी और माता पार्वती विवाह-सूत्र में बंधे थे जबकि अन्य कुछ विद्वान् ऐसा मानते हैं कि आज के ही दिन शिवजी ने ‘कालकूट’ नाम का विष पिया था जो सागरमंथन के समय समुद्र से निकला था | ज्ञात है कि यह समुद्रमंथन देवताओं और असुरों ने अमृत-प्राप्ति के लिए किया था |एक शिकारी की कथा भी इस त्यौहार के साथ जुड़ी हुई है कि कैसे उसके अनजाने में की गई पूजा से प्रसन्न होकर भगवान् शिव ने उस पर अपनी असीम कृपा की थी | यह कथा पौराणिक “शिव पुराण” में भी संकलित है

शिव जी के गण

 

प्राचीन काल में, किसी जंगल में एक गुरुद्रुह नाम का एक शिकारी रहता था जो जंगली जानवरों का शिकार करता तथा अपने परिवार का भरण-पोषण किया करता था |एक बार शिव-रात्रि के दिन जब वह शिकार के लिए निकला , पर संयोगवश पूरे दिन खोजने के बाद भी उसे कोई शिकार न मिला, उसके बच्चों, पत्नी एवं माता-पिता को भूखा रहना पड़ेगा इस बात से वह चिंतित हो गया , सूर्यास्त होने पर वह एक जलाशय के समीप गया और वहां एक घाट के किनारे एक पेड़ पर थोड़ा सा जल पीने के लिए लेकर, चढ़ गया क्योंकि उसे पूरी उम्मीद थी कि कोई न कोई जानवर अपनी प्यास बुझाने के लिए यहाँ ज़रूर आयेगा |वह पेड़ ‘बेल-पत्र’ का था और उसी पेड़ के नीचे शिवलिंग भी था जो सूखे बेलपत्रों से ढके होने के कारण दिखाई नहीं दे रहा था,

रात का पहला प्रहर बीतने से पहले एक हिरणी वहां पर पानी पीने के लिए आई |उसे देखते ही शिकारी ने अपने धनुष पर बाण साधा |ऐसा करने में, उसके हाथ के धक्के से कुछ पत्ते एवं जल की कुछ बूंदे नीचे बने शिवलिंग पर गिरीं और अनजाने में ही शिकारी की पहले प्रहर की पूजा हो गयी |हिरणी ने जब पत्तों की खड़खड़ाहट सुनी, तो घबरा कर ऊपर की ओर देखा और भयभीत हो कर, शिकारी से , कांपते हुए स्वर में बोली- ‘मुझे मत मारो |’ शिकारी ने कहा कि वह और उसका परिवार भूखा है इसलिए वह उसे नहीं छोड़ सकता |हिरणी ने वादा किया कि वह अपने बच्चों को अपने स्वामी को सौंप कर लौट आयेगी| तब वह उसका शिकार कर ले |शिकारी को उसकी बात का विश्वास नहीं हो रहा था |उसने फिर से शिकारी को यह कहते हुए अपनी बात का भरोसा करवाया कि जैसे सत्य पर ही धरती टिकी है; समुद्र मर्यादा में रहता है और झरनों से जल-धाराएँ गिरा करती हैं वैसे ही वह भी सत्य बोल रही है | क्रूर होने के बावजूद भी, शिकारी को उस पर दया आ गयी और उसने ‘जल्दी लौटना’ कहकर , उस हिरनी को जाने दिया |

थोड़ी ही देर बाद एक और हिरनी वहां पानी पीने आई, शिकारी सावधान हो गया, तीर सांधने लगा और ऐसा करते हुए, उसके हाथ के धक्के से फिर पहले की ही तरह थोडा जल और कुछ बेलपत्र नीचे शिवलिंग पर जा गिरे और अनायास ही शिकारी की दूसरे प्रहर की पूजा भी हो गयी |इस हिरनी ने भी भयभीत हो कर, शिकारी से जीवनदान की याचना की लेकिन उसके अस्वीकार कर देने पर ,हिरनी ने उसे लौट आने का वचन, यह कहते हुए दिया कि उसे ज्ञात है कि जो वचन दे कर पलट जाता है ,उसका अपने जीवन में संचित पुण्य नष्ट हो जाया करता है | उस शिकारी ने पहले की तरह, इस हिरनी के वचन का भी भरोसा कर उसे जाने दिया |

अब तो वह इसी चिंता से व्याकुल हो रहा था कि उन में से शायद ही कोई हिरनी लौट के आये और अब उसके परिवार का क्या होगा |इतने में ही उसने जल की ओर आते हुए एक हिरण को देखा, उसे देखकर शिकारी बड़ा प्रसन्न हुआ ,अब फिर धनुष पर बाण चढाने से उसकी तीसरे प्रहर की पूजा भी स्वतः ही संपन्न हो गयी लेकिन पत्तों के गिरने की आवाज़ से वह हिरन सावधान हो गया |उसने शिकारी को देखा और पूछा –“ तुम क्या करना चाहते हो ?” वह बोला-“अपने कुटुंब को भोजन देने के लिए तुम्हारा वध करूंगा |” वह मृग प्रसन्न हो कर कहने लगा – “मैं धन्य हूँ कि मेरा यह शरीर किसी के काम आएगा, परोपकार से मेरा जीवन सफल हो जायेगा पर कृपया कर अभी मुझे जाने दो ताकि मैं अपने बच्चों को उनकी माता के हाथ में सौंप कर और उन सबको धीरज बंधा कर यहाँ लौट आऊं |” शिकारी का ह्रदय, उसके पापपुंज नष्ट हो जाने से अब तक शुद्ध हो गया था इसलिए वह विनयपूर्वक बोला –‘ जो-जो यहाँ आये ,सभी बातें बनाकर चले गये और अभी तक नहीं लौटे ,यदि तुम भी झूठ बोलकर चले जाओगे ,तो मेरे परिजनों का क्या होगा ?” अब हिरन ने यह कहते हुए उसे अपने सत्य बोलने का भरोसा दिलवाया कि यदि वह लौटकर न आये; तो उसे वह पाप लगे जो उसे लगा करता है जो सामर्थ्य रहते हुए भी दूसरे का उपकार नहीं करता | शिकारी ने उसे भी यह कहकर जाने दिया कि ‘शीघ्र लौट आना

1. शिवरात्रि का व्रत है वरदान

अगर शादीशुदा महिला शिवरात्रि का व्रत करें, फलाहार करें और श‍िव जी को उनकी पसंद की चीजें चढ़ाकर उनकी पूजा करें तो शिवजी की कृपा उनपर और उनके पति पर हमेशा बरक़रार रहेगी।

2. शिव की पसंदीदा चीज़ें

कहा जाता है की भगवान शिव को धतूरा बहुत पसंद है इसलिए धतूरे के साथ धतूरे का फूल भी भगवान शिव को अर्पित करें, इसके अलावा शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर दूध या गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके साथ ही साथ अगर आप चंदन, बेलपत्र, बेर और गन्ने का रस, गेंहू, जौ, सफेद तिल चढ़ाएं तो ऐसा माना जाता है की इससे अलग-अलग मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

3. अच्छे से करें अभ‍िषेक

श‍िवरात्रि के दिन विधिवत तरीक़े से भगवान् शिव का अभ‍िषेक करें और इसके लिए दूध, दही और जल का उपयोग करें सही तरीक़े से भगवान शिव का अभिषेक करने से भगवान् भोलेनाथ का आशीर्वाद आप पर सदा बना रहेगा।

4. ऊँ नम: श‍िवाय का करें जाप

श‍िवरात्रि के दिन पूरी श्रद्धा से ऊँ नम: श‍िवाय का जाप करें ऐसा करने से आपका और आपके पति का जीवन सुखमय होगा और आपके पति की लंबी आयु होगी और आपदोनों की मनोकामनाएं भी पूर्ण हो सकती है।

5. रात्रि पूजा का भी है खूब महत्त्व

शिवरात्रि में रात के पूजा का भी बहुत महत्व है, अगर आप किसी कारणवश दिन में शिवरात्रि की पूजा नहीं कर सकीं हैं तो आप रात में भी पूजा कर सकती हैं। यह आप पर निर्भर करता है की आप किस वक़्त पूजा करना चाहती हैं।करें भगवान् शिव की पूजा और पाएं सदा सुखमय जीवन का आशीर्वाद।


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