रक्षा करने और करवाने के लिए बांधा जाने वाला पवित्र धागा रक्षा बंधन कहलाता है. यह पवित्र पर्व श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई की रक्षा के लिए उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई बहनों को जीवन भर उनकी रक्षा का वचन देते हैं.
राजसूय यज्ञ के समय भगवान कृष्ण को द्रौपदी ने रक्षा सूत्र के रूप मैं अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था. इसी के बाद से बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हो गई. ब्राहमणों द्वारा अपने यजमानों को राखी बांधकर उनकी मंगलकामना की जाती है. इस दिन वेदपाठी ब्राह्मण यजुर्वेद का पाठ आरंभ करते हैं इसलिए इस दिन शिक्षा का आरंभ करना अच्छा माना जाता है.
रक्षा बंधन का पर्व श्रवण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. वर्ष 2021 में यह 22 अगस्त, के दिन मनाया जायेगा. यह पर्व भाई -बहन के रिश्तों की अटूट डोर का प्रतीक है. भारतीय परम्पराओं का यह एक ऎसा पर्व है, जो केवल भाई बहन के स्नेह के साथ साथ हर सामाजिक संबन्ध को मजबूत करता है. इस लिये यह पर्व भाई-बहन को आपस में जोडने के साथ साथ सांस्कृतिक, सामाजिक महत्व भी रखता है.
रक्षा बंधन के महत्व को समझने के लिये सबसे पहले इसके अर्थ को समझना होगा. “रक्षाबंधन ” रक्षा+बंधन दो शब्दों से मिलकर बना है. अर्थात एक ऎसा बंधन जो रक्षा का वचन लें. इस दिन भाई अपनी बहन को उसकी दायित्वों का वचन अपने ऊपर लेते है.
रक्षा बंधन की विशेषता (Importance of Rakdhabandhan)
रक्षा बंधन का पर्व विशेष रुप से भावनाओं और संवेदनाओं का पर्व है. एक ऎसा बंधन जो दो जनों को स्नेह की धागे से बांध ले. रक्षा बंधन को भाई – बहन तक ही सीमित रखना सही नहीं होगा. बल्कि ऎसा कोई भी बंधन जो किसी को भी बांध सकता है. भाई – बहन के रिश्तों की सीमाओं से आगे बढ़ते हुए यह बंधन आज गुरु का शिष्य को राखी बांधना, एक भाई का दूसरे भाई को, बहनों का आपस में राखी बांधना और दो मित्रों का एक-दूसरे को राखी बांधना, माता-पिता का संतान को राखी बांधना हो सकता है.
आज के परिपेक्ष्य में राखी केवल बहन का रिश्ता स्वीकारना नहीं है अपितु राखी का अर्थ है, जो यह श्रद्धा व विश्वास का धागा बांधता है. वह राखी बंधवाने वाले व्यक्ति के दायित्वों को स्वीकार करता है. उस रिश्ते को पूरी निष्ठा से निभाने की कोशिश करता है.
रक्षा बंधन का इतिहास
एक बार की बात है, देवताओं और असुरों में युद्ध आरंभ हुआ। युद्ध में हार के परिणाम स्वरूप, देवताओं ने अपना राज-पाठ सब युद्ध में गवा दिया। अपना राज-पाठ पुनः प्राप्त करने की इच्छा से देवराज इंद्र देवगुरु बृहस्पति से मदद की गुहार करने लगे। तत्पश्चात देव गुरु बृहस्पति ने श्रावण मास के पूर्णिमा के प्रातः काल में निम्न मंत्र से रक्षा विधान संपन्न किया।
“येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामभिवध्नामि रक्षे मा चल मा चलः।”
इस पुजा से प्राप्त सूत्र को इंद्राणी ने इंद्र के हाथ पर बांध दिया। जिससे युद्ध में इंद्र को विजय प्राप्त हुआ और उन्हें अपना हारा हुआ राज पाठ दुबारा मिल गया। तब से रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाने लगा।
आधुनिकरण में रक्षा बंधन के विधि का बदलता स्वरूप
पुराने समय में घर की छोटी बेटी द्वारा पिता को राखी बांधी जाती थी इसके साथ ही गुरुओं द्वारा अपने यजमान को भी रक्षा सूत्र बांधा जाता था पर अब बहनें ही भाई के कलाई पर यह बांधती हैं। इसके साथ ही समय की व्यस्तता के कारण राखी के पर्व की पूजा पद्धति में भी बदलाव आया है। अब लोग पहले के अपेक्षा इस पर्व में कम सक्रिय नज़र आते हैं। राखी के अवसर पर अब भाई के दूर रहने पर लोगों द्वारा कुरियर के माध्यम से राखी भेज दिया जाता है। इसके अतिरिक्त मोबाइल पर ही राखी की शुभकामनाएं दे दी जाती हैं।
प्यार के धागे का महंगे मोतियों में बदल जाना
रक्षा बंधन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण रेशम का धागा है, जिसे महिलाएं भावपूर्ण होकर भाई के कलाई पर बांधती हैं पर आज बाजार में अनेक प्रकार की राखियां उपलब्ध हैं, जिसमें कुछ तो सोने-चांदी की भी हैं। रेशम के सामान्य धागे से बना यह प्यार का बंधन धीरे-धीरे दिखावें में तबदील हो रहा है।
कैसे मनाएं रक्षाबंधन का त्योहार?
– थाल में रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षा सूत्र और मिठाई रखें.
– घी का एक दीपक भी रखें, जिससे भाई की आरती करें.
-रक्षा सूत्र और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान को समर्पित करें.
– इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करवाकर बैठाएं.
-पहले भाई को तिलक लगाएं, फिर रक्षा सूत्र बांधें और फिर आरती करें.
– इसके बाद मिठाई खिलाकर भाई की मंगल कामना करें.
-रक्षासूत्र बांधने के समय भाई तथा बहन का सर खुला नहीं होना चाहिए.
-रक्षासूत्र बंधवाने के बाद माता-पिता और गुरु का आशीर्वाद लें, इसके बाद बहन को सामर्थ्य के अनुसार उपहार दें
– उपहार मैं ऐसी वस्तुएं दें, जो दोनों के लिए मंगलकारी हो, काले वस्त्र तथा तीखा या नमकीन खाद्य न दें.
रक्षासूत्र या राखी कैसी होनी चाहिए ?
– रक्षासूत्र तीन धागों का होना चाहिए.
– लाल पीला और सफेद.
– अन्यथा लाल और पीला धागा तो होना ही चाहिए.
– रक्षासूत्र में चंदन लगा हो तो बेहद शुभ होगा.
– कुछ न होने पर कलावा भी श्रद्धा पूर्वक बांध सकते हैं.
Leave a Reply