एक घर मे तीन भाई और एक बहन थी.. बड़ा और छोटा पढ़ने मे बहुत तेज थे.. उनके माँ बाप उन चारो से बेहद प्यार करते थे.. मगर मझले बेटे से थोड़ा परेशान से थे..
बड़ा बेटा पढ़ लिखकर डाक्टर बन गया.. छोटा भी पढ लिखकर इंजीनियर बन गया.. मगर मझला बिलकुल आवारा और गंवार बनके ही रह गया.. सबकी शादी हो गई.. बहन और मझले को छोड़ दोनों भाईयो ने love marriage की थी..
बहन की शादी भी अच्छे घराने मे हुई थी.. आखीर भाई सब डाक्टर इंजीनियर जो थे.. अब मझले को कोई लड़की नहीं मिल रही थी.. बाप भी परेशान और माँ भी..
बहन जब भी मायके आती सबसे पहले छोटे भाई और बड़े भैया से मिलती.. मगर मझले से कम ही मिलती थी क्योंकि.. वह न तो कुछ दे सकता था.. और न ही वह जल्दी घर पे मिलता था..
वैसे वह दिहाडी मजदूरी करता था.. पढ़ नहीं सका तो नौकरी कौन देता.. मझले की शादी कीये बिना बाप गुजर गये..
माँ ने सोचा कहीं अब बँटवारे की बात न निकले इसलिए अपने ही गाँव से एक सीधी साधी लड़की से मझले की शादी करवा दी.. शादी होते ही न जाने क्या हुआ की मझला बड़े लगन से काम करने लगा..
इधर घरपे बड़ा और छोटा भाई और उनकी पत्नियां मिलकर आपस मे फैसला करते हैं की.. जायदाद का बंटवारा हो जाये क्योंकि हम दोनों लाखों कमाते है मगर.. मझला ना के बराबर कमाता है.. ऐसा नहीं होगा..
माँ के लाख मना करने पर भी.. बंटवारे की तारीख तय होती है.. बहन भी आ जाती है.. मगर चंदू है की काम पे निकलने के लिए बाहर आता है..
उसके दोनों भाई उसको पकड़कर भीतर लाकर बोलते हैं की आज तो रूक जा..? बंटवारा कर ही लेते हैं.. वकील कहता है ऐसा नहीं होता.. साईन करना पड़ता है..
चंदू – तुम लोग बंटवारा करो मेरे हिस्से मे जो देना है दे देना.. मैं शाम को आकर अपना बड़ा सा अगूंठा चिपका दूंगा पेपर पर..
बहन – अरे बेवकूफ.. तू गंवार का गंवार ही रहेगा.. तेरी किस्मत अच्छी है की तूझे इतने अच्छे भाई और भैया मिलें..
माँ – अरे चंदू आज रूक जा..
बंटवारे में कुल दस विघा जमीन मे दोनों भाई 5- 5 रख लेते हैं.. और चंदू को पुस्तैनी घर छोड़ देते है.. तभी चंदू जोर से चिल्लाता है..
अरे..? फिर हमारी छुटकी का हिस्सा कौन सा है..
दोनों भाई हंसकर बोलते हैं.. अरे मूर्ख.. बंटवारा भाईयो मे होता है और बहनों के हिस्से मे सिर्फ उसका मायका ही है..
चंदू – ओह.. शायद पढ़ा लिखा न होना भी मूर्खता ही है..
ठीक है आप दोनों ऐसा करो.. मेरे हिस्से की वसीयत मेरी बहन छुटकी के नाम कर दो.. दोनों भाई चकीत होकर बोलते हैं.. और तू..?
चंदू माँ की और देखके मुस्कुराके बोलता है.. मेरे हिस्से में माँ है न.. फिर अपनी बिबी की ओर देखकर बोलता है.. मुस्कुराके.. क्यों चंदूनी जी.. क्या मैंने गलत कहा..?
चंदूनी अपनी सास से लिपटकर कहती है.. इससे बड़ी वसीयत क्या होगी मेरे लिए की मुझें माँ जैसी सासु मिली और बाप जैसा ख्याल रखने वाला पति..
बस यही शब्द थे.. जो बँटवारे को सन्नाटा मे बदल दिया..
बहन दौड़कर अपने गंवार भैया से गले लगकर रोते हुए कहती है की.. मांफ कर दो भैया मुझे क्योंकि मैं समझ न सकी आपको..
चंदू – इस घर मे तेरा भी उतना ही अधिकार है.. जीतना हम सभी का.. पर मेरे लिए तुम सब बहुत अजीज हो चाहे पास रहो या दुर..
माँ का चुनाव इसलिए कीया ताकी तुम सब हमेशा मुझे याद आओ.. क्योंकि ये वही कोख है.. जंहा हमने साथ साथ 9 – 9 महीने गुजारे.. मां के साथ तुम्हारी यादों को भी मैं रख रहा हूँ..
दोनों भाई दौड़कर मझले से गले मिलकर रोते रोते कहते हैं.. आज तो तू सचमुच का बाबा लग रहा है.. सबकी पलको पे पानी ही पानी.. सब एक साथ फिर से रहने लगते है
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