श्री चामुंडा नंदीकेश्वर धाम से ठीक ऊपर धौलाधार श्रृंखला में स्थित है आदि हिमानी चामुंडा मंदिर,10 हजार फुट की ऊंचाई पर आदि हिमानी चामुंडा मंदिर एक पुराना रमणीक पर्यटक स्थान है। यहां वर्षों से यात्री पैदल जाते हैं।
चामुंडा माता पार्वती का ही एक रूप है। देश के कोने-कोने से भक्त यहां पर आकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। चामुण्डा देवी का मंदिर समुद्र तल से 1000 मी. की ऊंचाई पर स्थित है। यह धर्मशाला से 15 कि॰मी॰ की दूरी पर है।
जिला कांगड़ा में आदि हिमानी चामुंडा नंदिकेश्वर धाम में मां भगवती शक्ति रूप में विराजमान है। आदि हिमानी चामुंडा धाम पौराणिक काल से शिव शक्ति का अदभुत सिद्ध वरदान देने वाले स्थल के रूप में जाना जाता है। इसी स्थान पर असुर जालंधर और महादेव के बीच युद्ध के दौरान भगवती चामुंडा को अधिष्ठात्री देवी और रुद्रत्व प्राप्त हुआ था। इस कारण यह क्षेत्र रुद्र चामुंडा के रूप में भी ख्याति प्राप्त है। मां चामुंडा यहां जालंधर पीठ के उत्तरी द्वारपाल के रूप में स्थापित हैं। जब देवासुर संग्राम हुआ तो भगवती कौशिकी ने अपनी भृकुटि से मां चंडिका को उत्पन्न किया और उन्हें चंड व मुंड नाम के दैत्यों का वध करने को कहा। मां भगवती चंडिका व दैत्य चंड व मुंड के साथ भीषण संग्र्राम हुआ। मां ने दोनों दैत्यों का वध कर दिया और दोनों असुरों के सिरों को काटकर भगवती कौशिकी के पास ले गई। भगवती ने प्रसन्न होकर कहा कि तुमने दैत्य चंड व मुंड का संहार किया है। अब तुम संसार में चामुंडा नाम से प्रसिद्ध होंगी। तभी से कांगड़ा जिला के चामुंडा में मां चामुंडा क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी हैं।
भक्त आसानी से दर्शन कर सके इसलिए नये चामुंडा देवी मंदिर का निर्माण
मंदिर तक मार्ग दुर्गम होने के चलते भक्तों का वहां पहुंचना अति कठिन है। अत: मां की इच्छा व आज्ञा से वर्तमान स्थल पर भव्य नए मंदिर का निर्माण किया गया। मां चामुंडा देवी का मंदिर जिला कांगड़ा के कस्बा डाढ के निकट बाण गंगा के किनारे स्थित है। लेकिन अभी भी पुराने मन्दिर (आदि हिमानी ) प्रतिवर्ष हजारो यात्री पैदल कठिन चढ़ाई चढ़ कर दर्शन करने आते है
2014 को आदि हिमानी चामुंडा मंदिर पर आसमानी बिजली से मंदिर जल कर राख
2014 को आदि हिमानी चामुंडा मंदिर जल कर राख हो गया था,लेकिन श्री आदि हिमानी चामुंडा माता की मूर्ति पूरी तरह सुरक्षित बच गई थी।
आग का कारण जानने पहंचे फोरेंसिक एक्सपर्ट भी तब हैरान रह गए, जब उन्होंने देखा कि मंदिर पूरा राख हो गया, लेकिन माता की मूर्ति और चुन्नी को आग ने छुआ तक नहीं।
अब इस मंदिर के पुनर्निर्माण का निर्णय लिया गया है,आधुनिक तकनीक एवं प्राचीन कलाकारी से निर्मित होने जा रहे प्राचीन आदि हिमानी श्री चामुंडा माता मंदिर का निर्माण कार्य शीघ्र शुरू होने जा रहा है। मंदिर के निर्माण कार्य पर करीब 1 करोड़ 4 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। मंदिर का निर्माण कार्य जहां पूरी तरह से भूकम्परोधी होगा।
नये आदि हिमानी मंदिर में किन्नौर के मंदिरों की शैली पर लकड़ी की होगी नक्काशी
शीघ्र ही हिमानी चामुंडा मन्दिर का पुनर्निमाण कार्य शुरू होगा जिसमे मंदिर का बाहरी हिस्सा आधुनिक तकनीक से निर्मित किया जाएगा और मंदिर के अंदर किन्नौर के मंदिरों की शैली पर लकड़ी पर नक्काशी की जाएगी। इसलिए यह जिला कांगड़ा के अन्य मंदिरों से अलग तरह का मंदिर होगा। मंदिर प्रशासन द्वारा मंदिर निर्माण में श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।
रोप-वे द्वारा चामुंडा – आदि हिमानी से जोड़ने की परियोजना
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हिमानी चामुंडा देवी से चामुंडा देवी तक रोप वे परियोजना के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार प्रयासरत है और निकट भविष्य में हो सकता है की श्रद्धालू इस सुविधा का उपयोग कर सके
आदि हिमानी चामुंडा के लिए हैली टैक्सी सेवा
डाढ़ हेलीपैड से आदि हिमानी चामुंडा के लिए हैली टैक्सी सेवा 2014 से शुरू हो चुकी है
कैसे पहुंचे यहां आदि हिमानी चामुंडा
मां का प्राचीन मंदिर धौलाधार में अति दुर्गम स्थल पर स्थित है, जिसे मां हिमानी चामुंडा मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर तक मार्ग दुर्गम होने के चलते भक्तों का वहां पहुंचना अति कठिन है। अब मां की इच्छा व आज्ञा से वर्तमान स्थल पर भव्य नए मंदिर का निर्माण किया गया। यहां कई किलोमीटर सीधी चढ़ाई चढऩे के बाद श्रद्धालु दुर्गम स्थल पर स्थित मां के मंदिर पहुंचते हैं। अब इस स्थल पर भी सुविधाएं बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं ताकि आने वाले श्रद्धालुओं को ठहरने व खाने पीने की सुविधा मिल सके। गर्मियों में दुर्गम स्थल पर श्रद्धालु जातरों के रूप में यहां पहुंचते हैं। जबकि धर्मशाला-पालमपुर राजमार्ग में डाढ़ कस्बे के पास बाण गंगा (बनेर खड्ड) के मुहाने पर मां चामुंडा का मंदिर स्थापित है। जो श्रद्धालु दुर्गम स्थल तक नहीं पहुंच पाते वह श्रद्धालु यहां पर सरलता से माथा टेकने के लिए पहुंचते है। मां के मंदिर के साथ ही राजमार्ग गुजरता है, यहां पर श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए होटल व सराय बनी हुई है। मंदिर प्रबंधन की ओर से लंगर की व्यवस्था रहती है।
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