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मण्डी की रिवालसर झील

यह झील मंडी में पर्यटकों का मुख्‍य आकर्षण केंद्र है जो समुद्र स्‍तर से 1350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां पर भगवान बुद्ध के तीन मठ बने हुए है जो हिंदू मंदिर में स्‍थापित है। यह जगह सिख धर्म के लिए भी महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि यहां 10 वें सिखगुरू गोविंद सिंह एक महीने के लिए आएं थे

रिवालसर मंडी से लगभग 24 किमी दूर, समुद्रतल से 1350 मी की दूरी पर, घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा स्थान है। यहाँ मंडी से लगभग 1घंटे में पंहुचा जा सकता है। इस झील के किनारे हिन्दू मंदिर, सिख गुरूद्वारा और बौद्ध मठ है जिसके कारण इसे त्रिवेणी कहा जाता है। इस प्राकर्तिक झील के अलावा कुछ और छोटी छोटी झीलें रिवालसर से थोड़ी दुरी पर हैं, स्थानीय लोग उन्हें सात सर के नाम से जानते हैं, इन सात छोटी छोटी झीलों में से ज्यादातर अब सूख चुकी हैं। रिवालसर एक सूंदर स्थान है यहाँ झील से साथ ही एक छोटा सा चिड़ियाघर भी है

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महर्षि लोमश की तपोभूमि

इसे महर्षि लोमश की तपोभूमि भी कहा जाता है। रिवालसर में भगवान कृष्ण, शिव जी तथा लोमश ऋषि के मंदिर हैं। प्रायश्चित के तौर पर लोमश ऋषि ने शिव जी के निमित्त रिवालसर में तपस्या की थी। रिवालसर झील में सात टापू हैं और मान्यता है कि उन पर उगी घास पर देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।

गुरु की चिता से बनी झील :

ऐसा कहा जाता है कि मंडी के राजा अर्शधर की पुत्री गुरु पद्मसंभव की तरफ आकर्षित हो गई शिक्षा थी और जब यह बात राजा को पता चली तो उसने गुरु पद्मसंभव को आग में जला देने का आदेश दे दिया था। उनके लिए बहुत बड़ी चिता बनाई गई जो सात दिन तक जलती रह ,लेकिन सात दिन के बाद भी यह चिता गुरु पद्मसंभव को जला नही पायी इससे वहाँ एक झील बन गई जिसमें से एक कमल के फूल में से गुरु पद्मसंभव एक सोलह साल के किशोर के रूप में प्रकट हुए।

In Rewalsar, known as Tso Pema in Tibetan, he secretly taught tantric teachings to princess Mandarava, the local king’s daughter. The king found out and tried to burn him, but it is believed that when the smoke cleared he just sat there, still alive and in meditation

यहाँ एक गुरूद्वारा भी है जिसे मण्डी के राजा जोगेन्द्र सेन ने बनवाया था। यहाँ जोगेन्द्रनगर नामक स्थान इसी राजा के नाम से प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि गुरु गोविंद सिंह ने मुग़ल साम्राज्य से लड़ते हुए सन् 1738 में रिवालसर झील के शांत वातावरण में कुछ समय बिताया था। बैसाखी के अवसर पर श्रद्धालु यहाँ स्नान के लिए आते हैं। सुंदर हरे रंग की इस झील के एक ओर बौद्ध अनुयायियों ने रंग-बिरंगी झंडियाँ लगाई हुई हैं। इस झील में बड़ी-बड़ी और बहुत अधिक संख्या में मछलियाँ हैं और इनको पकड़ना मना है। तीर्थयात्री इन्हें आटे की गोलियाँ खिलाते हैं मगर स्वच्छता की दृष्टि से प्रशासन ने ऐसा करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकारी वन विभाग ने एक छोटा-सा चिड़ियाघर भी य बनाया है जिसमें हिरण, भालू और रंग-बिरंगे पंखों वाले पक्षी देखे जा सकते हैं

दैविक चमत्कारोवाले तैरते टीले 

रिवालसर झील पर अकसर मिट्टी के टीले तैरते हुए देखे जा सकते हैं, जिन पर सरकण्डों वाली ऊँची घास लगी होती है। टीलों के तैरने की अद्भुत प्राकृतिक प्रक्रिया ने रिवालसर झील को सदियों से एक पवित्र झील का दर्जा दिला रखा है। वैज्ञानिक तर्क चाहे कुछ भी हो, परंतु टीलों का चलना दैविक चमत्कार माना जाता है। स्थानीय लोग कहते हैं कि प्रकृति की यह लीला केवल पुण्य कर्म करने वाले लोगों को ही दिखाई देती है

Considered as one of the most sacred lakes of Himachal Pradesh, Rewalsar Lake is revered by the people of different religions- Hindu, Sikh, Buddhist. Tibetan Buddhist calls it by the name of Tso-Pema, the lotus lake. People say that the king of Mandi tried to kill Guru Padmasambhava when he got to know that his daughter Mandarava is in love with him. The king tried to ruin their love by cursing them to die in a fire. By using his supernatural powers, Padmasambhava transformed the funeral pyre into a lake of sesame oil, surrounded by a ring of fire. In the middle of the fire bloomed a huge lotus flower on which Guru Padmasambhava was seated surrounded by rainbows and clouds. People even say that the Guru Padmasambhava’s (Guru Rinpoche) spirit resides in this lake in the form of a tiny reed flowing in the river.
Overlooking the lake, there is a 12 m-high statue of Padmasambhava, which is the main attraction of the place. Next to the lake there are three temples which are dedicated to Lord Krishna, Lord Shiva and the sage Lomas. The lake is also home to the Drikung Kagyu Gompa which is an academy for Buddhist studies and houses a Sakyamuni statue. Beyond that there is a Gurudwara dedicated to Guru Gobind Singh, the tenth Guru of Sikhism. The Guru Gobind Singh Gurudwara was built in 1930 to honor Guru Gobind Singh ji’s visit in 1738 to Rewalsar.
Other important pilgrimage sites nearby the lake are Padmasambhava Cave, Naina Devi Temple, Zigar Drukpa Kagyud Institute, Drikung Kagyud Gompa, Jigar Monastery, Kunt Bhyog and six other lakes which are associated with an epic episode of Mahabharata where an attempt was made to kill ‘Pandavas’ in the palace of wax. Every year, the place shrugs off its calm during the months of the Sisu and Baisakhi festival

प्रमुख स्थानों से रिवालसर की दुरी

मण्डी से रिवालसर – 24 किलोमीटर
कुल्लू से रिवालसर –93 किलोमीटर
शिमला से रिवालसर (वाया मण्डी) – 190 किलोमीटर
चंडीगढ़ से रिवालसर (वाया मण्डी)– 225 किलोमीटर

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