कोटखाई का गुडिया प्रकरण हिमाचल के अब तक के इतिहास में शायद सबसे बड़ा काला कारनामा रहा है , अब तक हर दिन नये नये पहलु खुल कर आ रहे है,सबसे पहले तो मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपने फेसबुक पेज पर कुछ संदिग्धों के फोटो अपलोड कर दिए जिसे हालकी वाद में हटा दिया गया , यह फोटो तुरंत सोशल मीडिया पर वायरल हो गये ,उसके बाद जब पुलिस ने केस सोल्व करने का दावा करते हुए कुछ लोगो को हिरासत में लिया ,हालंकि इस पर भी मीडिया ने कुछ सवाल उठा दिए जैसे की :
1. जब चार जुलाई को गुड़िया की मौत हो गई थी तो 6 जुलाई तक खूंखार जानवरों वाले जंगल में उसकी लाश कैसे बची रही?
2. शव के साथ अगर उसके कपड़े रखे गए थे वे इससे पहले हुई बारिश के बावजूद सही सलामत कैसे थे?
3. अगर दो दिन तक लाश वहीं पड़ी रही तो उसके हाथ पैर और पूरा शरीर बिल्कुल साफ-सुथरा कैसे था?
4. दुराचार के दौरान आत्मरक्षा की कोशिश में उसके हाथ औऱ शरीर में मिट्टी क्यों नहीं लगी?
5. इस मामले में जो दो नेपाली पकड़े गए हैं, उनके डेरे से घटनास्थल सिर्फ 200 मीटर दूर है। सवाल उठता है कि उन्होंने ये हत्या की होती तो वे वहां शव क्यों फेंकते?
6. आमतौर पर जघन्य हत्या करने के बाद नेपाली भाग जाते हैं (क्योंकि नेपाल के साथ प्रत्यर्पण संधि न होने से उन्हें पकड़ना मुश्किल होता है)। लेकिन इस मामले में वे क्यों नहीं भागे?
लोगो की भारी मांग और पुलिस पर उठ चुके विश्वास की वजह से राज्य सरकार को यह केस सीबीआई से जाँच करवाने के लिए विवश होना पढ़ा
इसी बीच अब इस केस में नया मोड सामने आया है जिसमे की गुड़िया गैंगरेप और हत्या मामले में पकड़े गए एक आरोपी की हत्या कर दी गई है। पुलिस के अनुसार कोटखाई थाने के भीतर ही इसके साथी राजेंद्र सिंह उर्फ राजू ने नेपाली मूल के इस युवक की हत्या कर डाली
अब इस घटना के बाद गुस्साए लोगों ने कोटखाई थाना आग के हवाले कर दिया है। यही नहीं, पुलिस की कई गाड़ियां भी राख कर दी है। यहां जनता का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है।
अब यहाँ पर लोग यह भी सवाल करने लगे है की क्या कही ऐसा तो नही है की असली आरोपी कोई और हो और यह गिरफ्तारी,हत्या सब जनता का ध्यान भटका कर मामले को कोई दूसरी दिशा देने की कोशिश की जा रही हो ?
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