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पिछले दिनों जब स्वाइन फ्लू का प्रकोप बढ़ा तो लोग आयुर्वेद की शरण में पंहुचे। इलाज के रूप में गिलोय का नाम खासा चर्चा में आया। 

गिलोय वो आयुर्वेदिक औषिधि हैं जिसका उपयोग सदियों से कई जटिल बीमारियो को ठीक करने में किया जाता रहा हैं| संस्कृत में गिलोय को अमृत कहा जाता है,इसकी पौराणिक कहानी भी यही है कि समुन्द्र मंथन के समय निकले अमृत को दानव जब लेकर भागने लगे और देव गण उनका पीछा कर रहे थे,तब दानवों के हाथ से  अमृत कलश के छलकने  से जो बुँदे गिरी उनसे बना पौधा ही गिलोय का पौधा कहलाया,इसीलिए इसमें अमृत समान गुण भी है

गिलोय एक आयुर्वेदिक औषधि है। इसका वनस्पतिक नाम Tinospora Cordifolia है तथा संस्कृत में इसे गुडूची,अमृता जैसे अनेक नामों से जाना जाता है।आयुर्वेद मे इसको कई नामो से जाना जाता है जैसे अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा,चक्रांगी, आदि। गिलोय इतनी गुणकारी है कि इसका नाम अमृता रखा गया है।गिलोय बेल के रूप में बढ़ती है और इसकी पत्त‍ियां पान के पत्ते की तरह होती हैं ।आयुर्वेद में गिलोय को अमृत बेल भी कहा जाता है। कारण है, न तो यह खुद मरती है और न ही सेवन करने वाले को कोई रोग होने देती है। गिलोय का सेवन किसी भी उम्र के व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। यह चमत्कारिक जूड़ी-बूटी दस्त जैसे सामान्य से लेकर डेंगू व कैंसर जैसे प्राण घातक रोगों में भी बहुत लाभदायक है।

गिलोय का इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों में किया जाता है. ये एक बेहतरीन पावर ड्रिंक भी है. ये इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने का काम करता है, जिसकी वजह से कई तरह की बीमारियों से सुरक्षा मिलती है, यह एक लता या बेल होती है जो की पेड़ों, दीवारों तथा गमले आदि में लगाने के बाद रस्सी के सहारे आसानी से ऊपर चढ़ जाती है यह पेड़ों पर चढ़ी हुई अक्सर पार्कों में दिखाई देती है। 

आधुनिक विज्ञान की अनेक शोधों में भी यह साबित हो गया है की गिलोय बीमारियों से बचाने तथा चिकित्सा दोनों ही रूप में बहुत उपयोगी है।

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गिलोय के फायदे

  1. आधुनिक विज्ञान कीअनेक शोधों में भी यह साबित हो गया है की गिलोय बीमारियों से बचाने तथा चिकित्सा दोनों ही रूप में बहुत उपयोगी है। Researchers के अनुसार गिलोय में anti inflammatory, analgesic, antipyretic तथा immune booster जैसे अनेक गुण पाए जाते हैं।

2.खून बढाए: प्रतिदिन सुबह-शाम गिलोय का रस घी में मिलाकर या शहद या मिश्री के साथ सेवन करने से शरीर में खून की कमी दूर होती है।

  1. चिकनगुनिया जैसे वायरल बुखार जो ठीक होने के बाद भी रोगी को महीनों तक जोड़ों केदर्द से परेशान करते रहते हैं, ऐसे मामलों में गिलोय प्रकृति द्वारा हमें दिया गया एक बेहतरीन उपहार है आयुर्वेद में तो गिलोय को अनेक बीमारियों में उपयोगी माना ही गया है।

4.हृदयरोग के लिये लाभकारी गिलोय एक रसायन है, यह रक्तशोधक, ओजवर्धक, हृदयरोग नाशक , शोधनाशक और लीवर टोनिक भी है। यह पीलिया और जीर्ण ज्वर का नाश करती है अग्नि को तीव्र करती है, वातरक्त और आमवात के लिये तो यह महा विनाशक है।

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5.गैस दूर करे: गैस, जोडों का दर्द ,शरीर का टूटना, असमय बुढापा वात असंतुलित होने का लक्षण हैं। गिलोय का एक चम्मच चूर्ण को घी के साथ लेने से वात संतुलित होता है ।

  1. गिलोय कोलेस्ट्रोल को कम करती है तथा खून में शूगर के नियंत्रण में सहायता करती है।
  2. गिलोय के नित्य प्रयोग से चेहरे पर तेज आता है और असमय ही झुर्रियां नहीं पड़ती।
  3. गिलोयत्रिदोशघ्न है अर्थात किसी भी प्रकृति के लोग इसे ले सकते हैं।
  4. गिलोय पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में सहायक है और इसके सेवन से अंत सम्बन्धी समस्याएं दूर होती हैं\
  5. गिलोय अपनी anti-inflammatory और anti-arthritic properties के कारण गठिया में भी फायदेमंद है
  6. बाँझपन से मुक्ति गिलोय और अश्वगंधा को दूध में पकाकर नियमित खिलाने से बाँझपन से मुक्ति मिलती हैं।
  7. कैंसर में लाभ गिलोय और गेहूं के ज्वारे का रस तुलसी और नीम के 5-7 पत्ते पीस कर सेवन करने से कैंसर में भी लाभ होता है।
  8. डेंगू बुखार में: Platelets कम होने पर गिलोय के रस के साथ, aloevera juice,अनार का juice तथा पपीते की पत्तियों का रस मिलाकर लेना फायदेमंद माना जाता है
  9.  कब्ज होने पर: गिलोय का चूर्ण गुड़ के साथ सेवन करना कब्ज को दूर करता है।
  10. पीलिया के मरीजों के लिए गिलोय लेना बहुत ही फायदेमंद है. कुछ लोग इसे चूर्ण के रूप में लेते हैं तो कुछ इसकी पत्त‍ियों को पानी में उबालकर पीते हैं. अगर आप चाहें तो गिलोय की पत्त‍ियों को पीसकर शहद के साथ मिलाकर भी ले सकते हैं. इससे पीलिया में फायदा होता है और मरीज जल्दी स्वस्थ हो जाता है
  11.  अगर आपके कान में दर्द है तो भी गिलोय की पत्त‍ियों का रस निकाल लें. इसे हल्का गुनगुना कर लें. इसकी एक-दो बूंद कान में डालें. इससे कान का दर्द ठीक हो जाएगा.

गिलोय के नुकसान भी हैं Side-Effects of Giloye

गिलोय बहुत ही फायदेमंद मानी जाती है,यह बहुत ही गुणकारी औषधि मानी जाती है। गिलोय की लता जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों आदि स्थानों पर आसानी से मिल जाती है। इसकी पत्तियां और रस दोनों ही गुणकारी होते हैं। सामान्‍य और खतरनाक बीमारी के उपचार में इसका प्रयोग किया जाता है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं इतने गुण होने के बाद भी कुछ बीमारियों में इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए:-

ब्‍लड शुगर का स्‍तर कम होने पर

गिलोय के सेवन से ब्‍लड शुगर कम होता है। इसलिए अगर आपका ब्‍लड शुगर पहले से ही कम है तो इसका सेवन बिलकुल न करें। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो ब्‍लड शुगर कम करते वक्‍त सावधानी बरतें। डायबिटीज में चिकित्‍सक की सलाह के बिना इसका सेवन न करें।

ऑटोइम्‍यून बीमारी का खतरा

इम्‍यूनिटी का सुचारु होना बहुत जरूरी है, लेकिन अगर इम्‍यूनिटी बहुत अधिक सक्रिय हो जाये तो भी खतरनाक है। क्‍योंकि इस स्थिति में ऑटोइम्‍यून बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। यानी इसके अधिक प्रयोग से ल्‍यूपस, मल्‍टीपल स्‍क्‍लेरोसिस और रूमेटाइड अर्थराइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। अगर आपको ये बीमारियां हैं तो गिलोय का सेवन बिलकुल न करें।

गर्भावस्‍था के दौरान

गर्भवती महिलाओं और स्‍तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए। क्‍योंकि इसके कारण इस दौरान शरीर पर नकारात्‍मक असर पड़ता है। इसके अलावा अगर आप सर्जरी कराने जा रहे हैं या सर्जरी हुई है तो भी गिलोय का सेवन न करें, क्‍योंकि यह ब्‍लड शुगर को को प्रभावित करता है, और इसके कारण सर्जरी के घाव सूखने में समस्‍या हो सकती है।

Disclaimer : इस लेख में दी गयी जानकारी कई स्त्रोतों से ली गयी है ,कृपया प्रयोग करने से पहले किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकिस्त्सक से परामर्श जरुर करे





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