जोत एक बेहद खूबसूरत पहाड़ी इलाका है पर अभी भी ये स्थान पर्यटन की दृष्टि से इतना प्रसिद्ध नही हो पाया है। अगर आप एक बार इस जगह आते हैं तो आप स्वतः ही कह उठेंगे धरती का स्वर्ग यंही है ,यंही है ,यंही है।
जोत पहाड़ो का राजा:-
जोत ये पहाड़ी बोली का शब्द है हिंदी में इसे दर्रा और अंग्रेजी में पास कहा जाता है। हिमाचल में बहुत से दर्रे हैं परंतु जिला चम्बा में भट्टियात क्षेत्र और चम्बा को मिलाने वाला जोत बहुत प्रसिद्ध है। हिमाचल को कुदरत ने बेपनाह खूबसूरती बख्शी है। और पहाड़ो की ऊंची चोटियों पर देवदार के वृक्षों में पड़े वर्फ़ के फाहों में जब आप मस्ती में झूम जाओ तो समझो आप हिमाचल की खूबसूरत धरती का आनंद उठा रहे हो। कुछ ऐसा ही नजारा है जोत का भी।
जोत का नाम:-
वैसे तो जोत अब इसी नाम से मशहूर हो चुका है परंतु इसके असली नाम “वसोदन” जोत है। परन्तु बहुत कम लोग इस नाम से परिचित हैं।
स्थान:-
जोत समुद्र तल से 2300 मीटर की ऊंचाई पर एक सुंदर पर्यटन स्थल है।यह स्थान चुवाड़ी से 23 km की दूरी पर है। चम्बा मुख्यालय से 25 km की दूरी पर ये स्थान चुवाड़ी और चम्बा को जोड़ता है।पठानकोट से ये स्थान लगभग 80 km दूर है।
जन्नत है जोत:-
जोत की आबोहवा इतनी शुद्ध है कि लोग इसे जन्नत कहते हैं। यंहा आने वाले पर्यटक जोत के एक एक जगह को अपने कैमरे में कैद करने को उत्सुक हो जाते हैं।
जोत की खूबसूरती देखते ही बनती है। जोत की ऊंची चोटी से नज़र दौड़ाये तो एक तरफ चुवाड़ी और एक तरफ चम्बा नज़र आता है। और खुले विशाल पहाड़ो पर आप मणिमहेश तक नज़र दौड़ा सकते हैं। जोत के साथ ही खुले पठारी घास के मैदान या आप इन्हें टिल्ले भी कह सकते हैं। जंहा वर्फ़ में पर्यटक खूब अठखेलियाँ करते हैं। ऊंचे ऊंचे देवदार के वृक्षों की ठंडी हवा गर्मी में भी ठंड का एहसास करवाती है।
पहाड़ो में प्रकृति की तस्वीर:-
यंहा का सनसेट व्यू बहुत ही आकर्षक है ऊंचे पहाड़ से सूरज को धरती पर डूबते देखना काफी रोमांचित करता है। बारिश के बाद बनने वाला इंद्रधनुष भी मन को हर्षित करता है।
सर्दियों में वर्फ़ का मजा:-
सर्दियों के मौसम में ये स्थान लगभग वर्फ़ से ढका रहता है। वर्फ़ में जोत की खूबसूरती देखने लायक होती है। चारों तरफ सफेद चांदी की परत, हर तरफ शांति ऐसा लगता है जैसे भोले बाबा के दर कैलाश में आ गए हों।
फिल्मो में स्थान:-
इस स्थान की खूबसूरती की झलक गदर फ़िल्म में दिखती है। गदर फ़िल्म के कुछ दृश्य जोत की खूबसूरत वादियों पर दर्शाए गए थे । इसे उस फिल्म में पाकिस्तान का हिस्सा बताया गया था। इसके अलावा ‘ताल’ फ़िल्म की शूटिंग भी जोत पर हुई है। परंतु अफसोस इस बात का है कि इसके बावजूद यंहा पर्यटन को वो स्थान नही मिला जो मिलना चाहिए।
गुजर समुदाय के कोठे:–
जोत पर गुजर समुदाय के लोगो के घर जिन्हें “कोठे” कहा जाता है आकर्षण का केंद्र रहते हैं। यंहा पर गुजर समुदाय के लोग गर्मी में अपने पशुओं के साथ आते हैं और यंही रहते हैं। सर्दियां शुरू होते ही फिर से वापिस मैदानी इलाकों में चले जाते हैं।
बर्फी है प्रसिद्ध:-
यंहा आते जाते कोई भी व्यक्ति यंहा की बर्फी लेना नही भूलता। यंहा की बर्फी शुद्ध ताज़े खोये से हर रोज तैयार होती है। जो कि बहुत स्वादिष्ट और लज़ीज़ होती है। इसके अलावा यंहा स्थानीय सब्जी भी लोगो को बहुत भाती है जैसे मूली, ककड़ी,घण्ड़ोली,लुंगड़ू,आदि । कोई भी यंहा से बिना सब्जी लिए और बर्फी लिए नही गुजरता।
ट्रैकिंग व अन्य स्थान :-
यदि आप ट्रैकिंग के शौकीन है तो यंहा पर आप ट्रैकिंग भी कर सकते हैं जोत से चलते हुए आप सुंदर पहलवानी माता के द्वार तक जा सकते हैं। जो एक बहुत ही खूबसूरत जगह है जिसका नाम “डेनकुण्ड” है।इसके साथ ही बहुत प्रसिद्ध सुंडल नाग भी आस्था का केंद्र है। आप जोत से कैंथली गांव के बीच घने जंगल से होकर भी ट्रैकिंग कर सकते हैं।रास्ते मे आप पर्यटन स्थल चुवाड़ी में घूमने का आनंद भी ले सकते हैं ये एक बहुत ही खूबसूरत शहर जोत से 23 km की दूरी पर आता है।
खज्जियार मिनी स्विट्जरलैंड:-
जोत के साथ ही 15 km की दूरी पर एक ओर बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खज्जियार भी है। खज्जियार झील का मनमोहक नजारा भी आप देख सकते हैं।
ऐतिहासिक और कला की नगरी चम्बा:-
यदि आप कुदरत के नजारे के साथ साथ कला के भी शौकीन हैं तो आप जोत के साथ लगते चम्बा शहर भी जा सकते हैं यंहा आपको कला और संस्कृति के अदभुत नजारे देखने को मिलेंगे। लक्ष्मी नारायण मंदिर में शिखर शैली से निर्मित मंदिर समूह ओर उस पर की गई शानदार नकाशी आपको मंत्रमुग्ध कर देगी तो वंही देश के प्राचीनतम संग्राहलयों में शुमार भूरी सिंह संग्रहालय में रखी कलाकृतियां आपको भारत के गौरवशाली इतिहास के दर्शन करवाती नज़र आएंगी।
चम्बा रुमाल की अदभुत कशीदाकारी और पहाड़ी चित्रकला का अदभुत नमूना आपको चम्बा में देखने को मिलेगा। चम्बा का चौगान और रावी नदी की कलकल आवाज किसी भी पर्यटक का मनमोह ले।
लेख :आशीष बहल,चुवाड़ी जिला चम्बा हि प्र
Jbt अध्यापक, राजकीय प्राथमिक पाठशाला काहरी शिक्षा खण्ड चुवाड़ी में कार्यरत हूँ।
समाज सेवा में जुड़ा हूँ और अपने लेखों के माध्यम से जन चेतना जगाना मेरा लक्ष्य है। हिमाचल के पत्र और पत्रिकाओं में लिखता हूँ।आप मेरी अन्य रचनाये मेरे ब्लॉग भारत का खजाना पर पढ़ सकते है
यह लेख चम्बा के आशीष बहल ने लिखा है ,आप भी चाहे तो बीइंग पहाड़ी पर हिमाचल से स्म्वंधित लेख लिख सकते है,इसके लिए आप को प्रोत्साहन राशि भी दी जायेगी ,अपनी रचनाये beingpahadi@himachalirishta.com पर ईमेल करे
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