धर्मशाला हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा घाटी के ऊपरी भाग में स्थित है, और समुद्र तल से 1,475 मीटर की औसत ऊंचाई पर स्थित है।धर्मशाला हिमाचल प्रदेश की दूसरी राजधानी और कांगड़ा जिले में एक नगर निगम है।यह जिला मुख्यालय के रूप में भी कार्य करता है। 19 जनवरी 2017 को, तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने धर्मशाला को हिमाचल प्रदेश की दूसरी राजधानी के रूप में घोषित किया, हिमाचल प्रदेश जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र के बाद दो राजधानियों के साथ भारत का तीसरा राज्य बना। धर्मशाला को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत एक स्मार्ट शहर के रूप में विकसित करने वाले सौ भारतीय शहरों में से एक के रूप में चुना गया है ।
धर्मशाला इसके खूबसूरत परिवेश और दलाई लामा की उपस्थिति के कारण भारतीय पर्यटक और विदेशी पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया है। धर्मशाला को केंद्रीय तिब्बती प्रशासन और तिब्बत सरकार की निर्वासन की राजधानी के रूप में भी जाना जाता है, जिसका मुख्यालय मक्लोडगंज में है। इसका नेतृत्व 14 वें और वर्तमान महान तिब्बती नेता दलाई लामा “तेनज़िन ग्यात्सो” करते है।
मक्लोडगंज का नाम पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर डोनाल्ड फ्रिएल मैकलियोड के नाम पर रखा गया है ।
1 9 5 9 में, तेंज़िन ग्यात्सो, 14 वें दलाई लामा, चीन के तिब्बत पर विजय के बाद भारत आए तब भारत सरकार के द्वारा उनको यहां पे शरण दी गई थी।
धर्मशाला में पर्यटक पूरा साल आते है, परन्तु गर्मियों के दौरान यहां का पर्यटन अपने चरम पर होता है, अप्रैल, मई और जून के महीनो मे जब तापमान अपने चरम होता है तो शहरों की गर्मी से राहत पाने के लिए हजारों पर्यटक हर दिन इस पहाड़ी स्टेशन पर आकर शानदार मौसम और सौंदर्य का आनंद उठाते हैं। सर्दियों के दौरान बर्फबारी का अनुभव करने के लिए भी पर्यटक यहाँ आते है।
गर्मियों के मौसम में यहाँ अधिकतम और न्यूनतम तापमान लगभग 31 डिग्री सेल्सियस और 16 डिग्री सेल्सियस होता है ।
सर्दियों के मौसम में यहाँ अधिकतम और न्यूनतम तापमान लगभग 25 डिग्री सेल्सियस और 6 डिग्री सेल्सियस रहता है ।
धर्मशाला में कुछ लोकप्रिय पर्यटक स्थल हैं जो पर्यटकों को बड़ी संख्या में अपनी और आकर्षित करते है।
जो की इस प्रकार है:
मक्लोडगंज
समुद्र तल से 2,082 मीटर की औसत ऊंचाई पर स्थित मक्लोडगंज का नाम सर डोनाल्ड फ्रिएल मैकलियोड के नाम पर रखा गया है जो पंजाब के लेफ्टिनेंट-गवर्नर थे जिसके तहत इस क्षेत्र का विकास हुआ था। यह धर्मशाला में सबसे अधिक महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल है और तिब्बती संस्कृति, हस्तशिल्प और मंदिरों के लिए यह प्रसिद्ध है।
त्सुलागखांग कॉम्प्लेक्स
त्सुलागखांग कॉम्प्लेक्स की तुलना में तिब्बती संस्कृति पर एक झलक लेने के लिए कोई बेहतर जगह नहीं है। यह जगह 14 वें दलाई लामा का आधिकारिक घर है और तिब्बत के बाहर का सबसे बड़ा तिब्बती मंदिर है। यह स्थान निर्वासित तिब्बतियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और पूरे विश्व से पर्यटक दर्शन करने के लिए आते हैं।
नामग्याल मठ
नामग्याल मठ 1575 में तीसरे दलाई लामा द्वारा स्थापित किया गया था और 1959 तिब्बती विद्रोह के बाद धर्मशाला में स्थानांतरित किया गया था। मठ, धर्मशाला में स्थित तिब्बती के प्रमुख शिक्षण और सांस्कृतिक केंद्रों में से एक है। तिब्बती संस्कृति मैं रूचि रखने वालो के लिए ये आकर्षण का केंद्र है। बौद्ध भिक्षु यहां ध्यान में अपना समय व्यतीत करते हैं और बौद्ध धर्म के बारे में सीखते हैं।
मसूरूर
मसूरूर अपने विभिन्न रॉक-कट वाले मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। मंदिरों में नक्काशीयाँ सूक्ष्म रूप से विस्तृत हैं और वे महाराष्ट्र की एलोरा गुफाओं के समान हैं और इनमें हिंदू देवताओं जैसे भगवान राम, सीता और लक्ष्मण जैसे प्राचीन हिंदू महाकाव्य, रामायण की विभिन्न छवियां हैं।
कांगड़ा संग्रहालय
जो लोग कला से प्यार करते हैं, उनको कांगड़ा कला संग्रहालय की यात्रा करना आवश्यक है। संग्रहालय में कांगड़ा स्कूल से लघु चित्रों का एक दुर्लभ संग्रह है, स्थानीय ज्वैलरी के अलावा, पांचवीं शताब्दी तक की कुछ प्रदर्शनी के साथ पारंपरिक लकड़ी की नक्काशियां है।
कांगड़ा संग्रहालय में कांगड़ा घाटी, तिब्बती बौद्ध धर्म संस्कृति के कई लेख और कलाकृतिय को संग्रिहत कर के रखा गया है हैं। यहां विभिन्न पांडुलिपियां, हस्तशिल्प और मिट्टी के बर्तनों को भी संग्रिहत कर के रखा गया है यहां पढ़ने के लिए एक पुस्तकालय की सुविधा भी है।
धर्मशाला की डल झील
धर्मशाला की डल झील,जम्मू और कश्मीर में अपने उपनाम समकक्ष के नाम पर रखा गया है। झील 1 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है और कश्मीर की झील के समान है। यह लोकप्रिय पिकनिक स्थल में से एक है।
धर्मशाला के आसपास के अन्य आकर्षणों में सेंट जॉन चर्च, भागागुनाग मंदिर, कांगड़ा किला, कररी झील, ज्वालामुखी देवी मंदिर शामिल है। इसके इलावा मुख्य आकर्षणों में त्रिंड ट्रेक भी है ये मक्लोडगंज से करीब 9 किमी दूरी एक ट्रेक है यहां पर ट्रैकिंग के लिए देश विदेश से पर्यटक पूरा साल आते रहते है। इसके साथ साथ यहाँ पर बने क्रिकेट स्टेडियम का भी अपना एक आकर्षण है। इसकी खूबसूरती को देखने के लिए भारतीय और विदेशी पर्यटक आते है।
धर्मशाला में खाने के लिए बहुत से फ़ूड जॉइंट्स है जो की कुछ परंपरागत तिब्बती, जर्मन और इजरायल का स्वादिष्ट भोजन प्रदान करते हैं धर्मशाला में लगभग हर रेस्तरां में तिब्बती भोजन पेश किया जाता है, जो तिब्बती भोजन पसंद करता है उसको धर्मशाला एक बार जरूर आना चाहिए,यहाँ आप गर्म “मामोस” बेचने वाले भी कई स्टालों देखेंगे।
धर्मशाला अच्छी तरह से देश के सभी शहरों से जुड़ा हुआ है, नई दिल्ली से धर्मशाला तक नियमित बस सेवाएं हैं। धर्मशाला में निकटतम हवाई अड्डा गगल धर्मशाला से 15 किमी की दूरी पर है। धर्मशाला से निकटतम रेलवे स्टेशन 90 किमी की दूरी पर पठानकोट में है। रेलवे स्टेशन पर उतरने के बाद, आप धर्मशाला के लिए बस सेवा का लाभ उठा सकते हैं या निजी टैक्सियों को किराये पर ले कर धर्मशाला पहुंच सकते है।
लेखक : अमित सिंह,ज्वालाजी
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