हम बहुत से विदेशियों, जो कि हिन्दू नहीं हैं को टीवी पर या मंदिरों में माथा टेकते और प्रार्थना करते देखते हैं। वो सब हमारे देवी-देवताओं की भक्ति में खुशी महसूस करते हैं और तब कईं बार लगते है क्या सच में भगवान इन सब जो कि हिन्दू नहीं हैं, पर भी अपनी कृपा बनाए रखते हैं। सभी देश और यहाँ तक कि धर्म भी सीमाओं में बंटे हुए हैं। हिन्दू यह विश्वास करते हैं कि उनका धर्म सबसे पुराना है और सभी धर्म इसी से निकले हुए हैं। लेकिन हम चाहे जितना भी तर्क-वितर्क कर लें लेकिन निष्कर्ष तक पहुंचना मुश्किल है।
सभी धर्म ग्रंथों में कुछ न कुछ समय बताया गया है जिससे उनकी उत्पत्ति का पता चल जाता है लेकिन हिन्दू धर्म ग्रंथ बहुत पुराने हैं और इसीलिए यह माना जाता है कि हिन्दू धर्म सबसे पुराना है। हम यह मानते हैं कि हम चाहे जहां भी चले जाएं लेकिन हमारे देवी-देवता हम पर कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं, लेकिन वो दूसरे धर्म और देशों के लोगों पर भी कृपा करते हैं। ऐसी बहुत सी कहानियां सुनने को मिल जाती हैं जहां हिन्दू देवी-देवताओं और संतों ने दूसरे धर्म के लोगों की प्रार्थनाएं सुनीं।
ऐसी ही एक कहानी है अगर मालवा, मध्यप्रदेश स्थित बैजनाथ मंदिर की जो कि अंग्रेजों द्वारा बनाया एक मात्र शिव मंदिर है। इस कहानी से महसूस होता है कि भगवान धर्म, देश आदि को नहीं बल्कि भक्तों की आस्था को देखते हैं। हम सब जानते हैं कि अंग्रेजों का शासन काल बहुत ही भयावह रहा और लोगों के प्रति क्रूरता भरा रहा। जब भारत पर अंग्रेजों का शासन था तो उस समय अगर मालवा के लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन के नेतृत्व में सेना की एक टुकड़ी अफगानिस्तान के खिलाफ युद्ध के लिए भेजी गई। तब लेफ्ट कर्नल मार्टिन मालवा में रह रही अपनी पत्नी को लगातार चिट्ठी भेजते रहते थे और अपनी सलामती की खबर पहुंचा रहे थे। लेकिन एक बार काफी दिनों तक मार्टिन की चिट्ठी नहीं मिलने से उनकी पत्नी को उनकी सुरक्षा की कोई खबर नहीं मिल पा रही थी।
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उनको परेशान देखकर स्थानीय लोगों ने पास के बैजनाथ मंदिर में काल विजेता शिवजी की पूजा करने की सलाह दी। जब वो मंदिर पहुंचीं तो उनको वहां मंत्र सुनाई देने लगे। उनकी परेशानी सुनकर पुजारी ने उनको 11 दिन का ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का लघुरूद्री अनुष्ठान करने को कहा। ऐसा करने पर 11वें दिन उनको टेलीग्राम मिल गया जिसमें लिखा था:
“मैं युद्ध क्षेत्र से लगातार संदेश भेज रहा था लेकिन अचानक पठानों ने हमें सब तरफ से घेर लिया था और बचने की उम्मीद नहीं थी। पर मैंने वहां एक भारतीय योगी को देखा जिसके लम्बे बाल थे और हाथ में तीन कोनों वाला(त्रिशूल) हथियार था। उसका व्यक्तितव इतना प्रभावशाली था कि उसे देखकर पठान भागने लगे और हमारी हार जीत में बदल गई। यह सब उस बाघ की छाल पहने और त्रिशूल पकड़े योगी के कारण ही हुआ।”
जब लेफ्ट कर्नल मार्टिन वापिस आए तो दोनों पति-पत्नी बैजनाथ मंदिर भगवान को धन्यवाद कहने गए और तब मार्टिन को पता चला कि उसको बचाने वाले और भगवान की मूर्ति एक जैसे हैं। उन्होंने फिर मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए पैसे दान किए और उनका मंदिर में रखी एक शिला पर लिखा गया है। बैजनाथ महादेव मंदिर अब तक अंग्रेजों के शासन में बना एक मात्र हिंदू मंदिर है।
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