चंबा जिले का ऐसा एक क्षेत्र जहाँ सिर्फ किस्ती ही है एकमात्र साधन विदाई का :
होरना पतना इको एक बेडी वाला हिमाचली गाना तो आ सुना ही होगा,लेकिन यह बात उस जमाने कि नही वल्कि आज की है आज भी हिमाचल में एक गांव ऐसा है
हालंकि हिमाचल के हर गांव में काफी हद तक विकास हो रहा है लेकिन अभी भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जो अनछुए ही हैं। चंबा में ग्राम पंचायत द्रड्डा के गांव टिपरी, डुग्गा, कैहला और सेरू ऐसे ही गांव है जहां विकास के नाम पर कुछ नहीं है। कहते हैं अगर कुछ पाना है तो कुछ खोना भी पड़ता है। ये गांव चमेरा विद्युत प्रोजेक्ट लगने के कारण बाकी क्षेत्रों से विलग हो गए थे। हालांकि इतने बड़े प्रोजेक्ट और एक पर्यटक स्थल के पास होने के बावजूद भी अभी तक ये गांव अपनी प्राथमिक सुविधा सड़क से वंचित है और इन गांवों में जब भी कोई शादी समारोह होता हैं, तो बारात कश्ती के माध्यम से चमेरा बांध पार करके जाती हैं। यह सिलसिला चमेरा बांध के निर्माण के समय से चलता आ रहा है। यही नहीं वधु की विदाई के बाद बाराती वापसी भी कश्ती के माध्यम से ही करते हैं। इन गांवों को अभी तक सड़क सुविधा से नहीं जोड़ा गया है। स्थानीय लोगों का कहना हैं कि सड़क तक पहुंचने के लिए उन्हें पांच से छह किलोमीटर चढ़ाई तय करनी पड़ती है, जो लोगों के लिए मुश्किल है। इसलिए गांव में होने वाले शादी समारोह के दौरान बारात को कश्ती में ले जाना मजबूरी कहें चाहे कुछ और लेकिन इसके अलावा कोई और साधन नहीं रह जाता है।
Tag : rural life of chamba,vidai on a boat,chamba himachal vidai,chamera project,chamera dam villages,villages near chamera project
Leave a Reply