गरीब मरीजों का सहारा,टांडा मेडिकल कॉलेज
हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले में बना डॉक्टर राजेन्द्र प्रशाद मेडिकल कॉलेज टांडा हिमाचल के लोगो को वेहतरीन सेवाए दे रहा है और गरीव लोगो के लिए एक सहारा बना हुआ है ,इस हॉस्पिटल के बाद अब हर मरीज को PGI चंडीगढ़ और IGMC शिमला या लुधियाणा नही भेजना पड़ता है
विनय शर्मा,डिप्टी एडवोकेट जनरल
हिमाचल सरकार के फेसबुक पोस्ट के आधार पर
सुपर स्पेशलिटी आने के बाद इसकी बजह से करोड़ों कमाने वाले प्राइवेट हॉस्पिटलस का धंधा मंदा पड़ गया है जिससे घबराकर इस संसथान को मीडिया में झूठी खबरें प्रकाशित करवाकर बदनाम किया जा रहा है।हिमाचल के उत्तरी क्षेत्र में अपना नाम बना चुके इस हॉस्पिटल में हर रोज हज़ारों मरीज फ्री में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।पेथ लैब के आ जाने से मरीजों के टेस्ट नाममात्र के खर्चे पर होने लगे हैं साथ में इलाज़ भी बेहतर तरीके से होने लगा है।मरीज का रहना,इलाज़ और डॉ का खर्च तो फ्री है सिर्फ दवा का खर्च मरीज को उठाना पड़ता है।
95 % से अधिक नार्मल डिलीवरी केस
100 में से 95 यहाँ नार्मल डिलीवरी के केस होते हैं जिसमे खर्च सिर्फ 2 से 5 हज़ार आता है वहीँ प्राइवेट हॉस्पिटल में 100 में से 95 केस सीजीरियन होते हैं और खर्चा 40 से 60 हज़ार।एक तो यह लोग महिला को छे महीने के लिए जबरदस्ती बेड-रिडन कर देते हैं और ऊपर से खर्चा 200 गुना ज्यादा।
दिल के मरीजो को स्टंट मात्र 50 हजार में :
यहाँ जो स्टेंट 50 हज़ार में डाला जा रहा है वही प्राइवेट हॉस्पिटल में दो से तीन लाख में।यहाँ सिर्फ जरूरत होने पर ही स्टेंट डाला जाता है जबकि प्राइवेट हॉस्पिटल बे बजह स्टेंट डाल देते हैं।बहुत से केसों में प्राइवेट हॉस्पिटल वाले मरीज़ को पूरी तरह निचोड़कर लगभग आखरी साँसों में टांडा रेफेर करते हैं उस हालत में टांडा बेचारा क्या करे ? तब कोई प्राइवेट हॉस्पिटल्स को नहीं पूछता कि आपने इतना बिल बनाने के बाद टांडा रेफर करना था तो पहले क्यों नहीं किया।
हजारो की संख्या में मरीज होने के कारण सभी सुविधाए मुहेया करवाना मुश्किल
जिस हॉस्पिटल में हज़ारों की संख्या में मरीज आते हों वहां हर सुख सुविधा मुहैया करवाना वो भी फ्री में किसी भी सरकार के बस की बात नहीं है।फिर भी यहाँ दो सो से ऊपर डॉक्टर्स आपकी सेवा में दिन रात लगे रहते हैं।थोड़ी से असुविधा सहन करने की क्षमता है तो यहाँ इलाज़ किसी भी प्राइवेट हॉस्पिटल से हज़ार गुना बढ़िया है और वो भी लगभग फ्री।इतने बड़े संस्थान में एक नहीं अनेक कमियां हो सकती है लेकिन इलाज़ में कोई कोताही यहाँ नहीं बरती जाती।कोई भी डॉक्टर नहीं चाहता की मरीज भगवान को प्यारा हो लेकिन सब कुछ डॉक्टर के हाथ भी नहीं है।डॉक्टर भी इंसान है।कई बार उसका या स्टाफ का मूड भी हमारी तरह बिगड़ा हो सकता है उसके साथ तालमेल बनाएं और इलाज़ करवाएं।आप वहां अपनी सुख सुविधा के लिए नहीं मरीज का इलाज़ करवाने आये हैं।अपने फायदे को नहीं मरीज के स्वास्थ्य लाभ को तरजीह दें।और हाँ वहां गंदगी न फैलाएं और न ही किसी के साथ बदतमीजी करें
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