हिंदू धर्म में त्योहारों की मान्यता बहुत अधिक है। हर माह में कोई पर्व आ जाता है और गणेश चतुर्थी के पश्चात त्योहारों के मौसम की शुरुआत हो जाती है। इसी तरह कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाने वाला उपवास सुहागन स्त्रियों के लिए बहुत अधिक होता है। इस दिन करवाचौथ का व्रत किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की उम्र लंबी की प्रार्थना करती हैं और उनका गृहस्थ जीवन सुखध रहे इसके लिए व्रत करती हैं। पूरे भारत में हर त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन उत्तर भारत खासकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश आदि में तो इस त्योहार की अलग ही रौनक देखने को मिलती है। करवाचौथ व्रत के दिन एक और जहां दिन में कथाओं का दौर चलता है तो दूसरी और दिन ढलते ही विवाहिताओं की नजरें चांद के दिदार के लिये बेताब हो जाती हैं। चांद देखने के बाद ही महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखती हैं, जिनकी सगाई हो गई हो और शादी में समय हो।
सुहागन महिलाएं अपने पति की उम्र लंबी की प्रार्थना करती हैं और उनका गृहस्थ जीवन सुखध रहे इसके लिए व्रत करती हैं।
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को करवा चौथ का त्यौहार मनाया जाता है। सुहागन औरतें इस व्रत को पति की लंबी उम्र की कामना के साथ करती हैं, हालांकि अब अपने खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना के साथ पति भी यह व्रत रखते हैं।
यह निर्जला व्रत रखना काफी कठिन है लेकिन अगर आप यह व्रत रखते हैं तो कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें। इनकी अनदेखी करने पर संभव है आपको भविष्य में सौभाग्य की बजाय दुर्भाग्य का सामना ही करना पड़े।
कपड़े पहनने में सावधानी
इस दिन स्त्रियां दुल्हन की तरह तैयार होती हैं लेकिन इसका ध्यान रखें कि काला रंग भूलकर भी ना पहनें। इसे नकारात्मक माना जाता है और जिस मकसद से आप पूजा कर रही हैं उसमें व्यवधान पैदा करता है। सुहागनों के सोलह शृंगार में लाल रंग का बेहद महत्व है, इसे शुभता से जोड़ा गया है। इसलिए कपड़े और चूड़ियां लाल रंग की ही पहनें। पुरुष कम से कम काला रंग पहनने से बचें।
दान दान देना हमेशा ही फलीभूत होता है, शुभ मौकों पर इसकी महत्ता और भी अधिक बढ़ जाती है। लेकिन करवा चौथ के दिन जिन चीजों को आप दे रहे हैं उसका ध्यान आवश्य रखें। कुछ चीजें सौभाग्य से जुड़ी होने के कारण विशेष मौकों पर दान देना अशुभ माना गया है। इसलिए इस दिन किसी को भी दूध, दही, सफेद चावल, सफेद कपड़े या कोई भी सफेद वस्तु दान ना करें।
बड़ों का सम्मान
कोई भी पूजा बड़ों के आशीर्वाद बिना संपन्न नहीं होती, करवा चौथ के दिन भी पति-पत्नी दोनों ही अपने से बड़ों का आशीष अवश्य लें। लेकिन इस दिन उनसे छोटी-बड़ी किसी भी बात पर, किसी भी प्रकार की बहस या मतभेद से बचें। भूलकर भी उनसे अपशब्द ना कहें या उनका अपमान ना करें।
चांद की पूजा करवा चौथ का व्रत चांद की पूजा के बिना पूरा नहीं हो सकता, लेकिन ध्यान रखें कि इस पूजा से पहले आप गौरी की पूजा अवश्य कर लें। चांद निकलने से पहले भी आप यह पूजा कर सकती हैं।
करवा चौथ के व्रत की सही विधि
भारतीय महिलाओं के सबसे पसंदीदा त्यौहार करवा-चौथ की कहानी करवा चौथ व्रत विधि :- 1. सूर्योदय से पहले स्नान कर के व्रत रखने का संकल्प लें और सास दृारा भेजी गई सरगी खाएं। सरगी में , मिठाई, फल, सेंवई, पूड़ी और साज-श्रंगार का समान दिया जाता है। सरगी में प्याज और लहसुन से बना भोजन न खाएं।
2. सरगी करने के बाद करवा चौथ का निर्जल व्रत शुरु हो जाता है। मां पार्वती, महादेव शिव व गणेश जी का ध्यान पूरे दिन अपने मन में करती रहें।
3. दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें। इस चित्रित करने की कला को करवा धरना कहा जाता है जो कि बड़ी पुरानी परंपरा है।
4. आठ पूरियों की अठावरी बनाएं। हलुआ बनाएं। पक्के पकवान बनाएं। 5. फिर पीली मिट्टी से मां गौरी और गणेश जी का स्वरूप बनाइये। मां गौरी की गोद में गणेश जी का स्वरूप बिठाइये। इन स्वरूपों की पूजा संध्याकाल के समय पूजा करने के काम आती है।
5. फिर पीली मिट्टी से मां गौरी और गणेश जी का स्वरूप बनाइये। मां गौरी की गोद में गणेश जी का स्वरूप बिठाइये। इन स्वरूपों की पूजा संध्याकाल के समय पूजा करने के काम आती है।
6. माता गौरी को लकड़ी के सिंहासन पर विराजें और उन्हें लाल रंग की चुनरी पहना कर अन्य सुहाग, श्रींगार सामग्री अर्पित करें। फिर उनके सामने जल से भरा कलश रखें।
7. वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें। रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं।
8. गौरी गणेश के स्वरूपों की पूजा करें। इस मंत्र का जाप करें – ‘नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥’ ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही पूजा करती हैं। हर क्षेत्र के अनुसार पूजा करने का विधान और कथा अलग-अलग होता है। इसलिये कथा में काफी ज्यादा अंतर पाया गया है।
9. अब करवा चौथ की कथा कहनी या फिर सुननी चाहिये। कथा सुनने के बाद आपको अपने घर के सभी वरिष्ठ लोगों का चरण स्पर्श कर लेना चाहिये।
10. रात्रि के समय छननी के प्रयोग से चंद्र दर्शन करें उसे अर्घ्य प्रदान करें। फिर पति के पैरों को छूते हुए उनका आर्शिवाद लें। फिर पति देव को प्रसाद दे कर भोजन करवाएं और बाद में खुद भी करें
इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 8 अक्टूबर को है। इस दिन रविवार का दिन है। ये व्रत कार्तिक माह की व्यापिनी चतुर्थी को महिलाओं द्वारा रखा जाता है। इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा में पुरुष रुपी ब्रह्मा की उपासना की जाती है और इससे सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। चतुर्थी तिथि का आरंभ 8 अक्टूबर को शाम 4 बजकर 58 मिनट को होगा और चतुर्थी तिथि की समाप्ति 9 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 16 मिनट को होगी।
करवा चौथ पर गर्भवती महिलाएं रखें अपना ख्याल
महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सलामती के लिए करवा चौथ का व्रत रखेंगी, लेकिन गर्भवती महिलाएं चिंतित हैं। करवा चौथ का व्रत रखना है, इसे कैसे रख सकते हैं, व्रत रखने से गर्भस्थ शिशु को तो कोई परेशानी नहीं होगी। इस बार 19 अक्टूबर को करवा चौथ है।
स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ जयदीप मल्होत्रा (राष्ट्रीय अध्यक्ष, इंडियन मीनोपॉज सोसायटी) ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को हर दो घंटे बाद कुछ न कुछ खाना चाहिए, क्योंकि उनके साथ ही गर्भस्थ शिशु के लिए भी पौष्टिक आहार की जरूरत होती है। मगर, करवा चौथ के व्रत में महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं।
यानि खाना तो दूर पानी तक नहीं पीती। इस दौरान पानी न पीने से डीहाइड्रेशन होने की आशंका रहती है। वहीं, पूरे दिन खाना न खाने से हाइपोग्लाइसिमिक शुगर का स्तर गिरना होने की आशंका रहती है। इससे गर्भस्थ शिशु को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है। गर्भवती महिलाएं व्रत ना रखें तो अच्छा है। इसके बाद भी वह व्रत रखना चाहती हैं तो ध्यान रखने की जरूरत है।
इस तरह रख सकती हैं व्रत
व्रत शुरू होने से पहले ऐसा भोजन कर लें जो ज्यादा समय तक पेट में रहे, उसका जल्दी पाचन न हो।
भले ही कुछ ना खाएं, लेकिन जूस सहित तरल पदार्थों का सेवन करते रहें, जिससे पानी की कमी न हो।
परिवार में खुशी का माहौल रखें और काम करने के बजाय आराम करें।
व्रत पूरा होने के बाद एक बाद, यानि लम्बे समय बूखा रहने के बाद एक साथ ज्यादा न खाएं, इससे अपच और गैस के कारण पेट दर्द हो सकता है। तरल पदार्थ लें इसके बाद थोड़ा थोड़ा भोजन करें।
करवा चौथ का व्रत खोलने के बाद अस्पताल में डिलीवरी पेन को लेकर आने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ जाती है। लेकिन चैकअप के बाद पता चलता है कि इसकी वजह गैस या बदहज्मी है।
ये ना रखें व्रत
हाइपरटेंशन और मधुमेह रोगी महिलाएं व्रत ना रखें, इससे ब्लड प्रेशर बढ सकता है और दौरे पड़ सकते हैं।
गर्भावस्था के अंतिम तीन महीने वाली महिलाएं व्रत रखने से बचें।
ये लक्षण हैं तो डॉक्टर से करें संपर्क
गर्भस्थ शिशु की हलचल बढ़ जाए।
चक्कर और बेहोशी आने लगे और उल्टी होने लगें।
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