Even today, jawans posted at the Nathu-La post firmly believe that Singh’s ghost protects them. Soldiers even believe that his ghost warns them of any impending attack at least three days in advance. Even the Chinese, during flag meets, set a chair aside to honour Harbhajan Singh. The water from his shrine is believed to heal ailing soldiers. Singh’s shrine is guarded by barefooted soldiers, and his uniform and boots are cleaned on a daily basis. Stories about his ghost visiting the camps at night and even waking up the soldiers who sleep while on watch, are massively popular and very regular
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क्या कोई सैनिक मृत्यु के बाद भी ड्यूटी कर सकता है? यह सुनने-पढ़ने में अटपटा जरूर लगेगा। यही सवाल सिक्किम के वाशिंदों से पूछा जाए तो वे कहेंगे हां, एेसा होता है। बीते 45 साल से यहां ऐसा हो रहा है।

भारत मंदिरों का देश माना जाता है यहां पर प्रांत और जगह पर अनेक मंदिर दिख जाते हैं। मंदिरों को देवालय कहा जाता है – जहां देवता निवास करते हैं। अधिकतर मंदिरों में तो सिर्फ देव पूजा होती है, पर भारत में एक ऐसा भी मंदिर है जहां पर एक सैनिक की मृत आत्मा की भी पूजा- वंदना होती है। इतना ही नहीं यह आत्मा आज भी देश की सेवा करती है।इस अनोखे मंदिर का नाम है “बाबा हरभजन सिंह मंदिर” आईये विस्तार में जानते हैं

चमत्कार की कहानी जुड़ी है भारतीय सेना के जवान की जो शहीद होने के बाद भी सरहद पर एक फौजी के रूप में देश की रक्षा कर रहे हैं.

ऐसा माना जाता है कि यह शहीद आज भी वहां तैनात फौजियों को दिखाई देते हैं और अपना संदेश पहुंचाने के लिए साथी फौजियों के सपने में आकार अपनी इच्छा बताते हैं.

इस बात की पुष्टि भारत-चीन सीमा पर तैनात जवान कर चुके हैं. इतना ही नहीं चीन के सिपाहियों ने भी इस फौजी को घोड़े पर गश्त करते हुए उपनी आंखों से देखा है.

The Ghost Of An Indian Army Soldier Who Still Protects India's Border
The Ghost Of An Indian Army Soldier Who Still Protects India’s Border Baba HarBhajan Singh Temple,Its happens to be a shrine for a soldier name Harbhajan Singh who was martyred during Indo Sino war. the story goes that he protects all the soldiers in Nathula

बताया जाता है कि यह जवान जो मरने के बाद भी सबको दिखाई देता है वह पंजाब रेजिमेंट का है.इस जवान का नाम हरभजन सिंह है, जिसकी आत्मा पिछले 45 सालों से लगातार सीमा की रक्षा कर रही है.

सैनिकों ने एक और चौंकाने वाली बात बताई है कि भारत-चीन के बीच होने वाली हर फ्लैग मीटिंग में हरभजन के मान की कुर्सी भी लगाई जाती है.ताकि वो मीटिंग अटेंड कर सके

यहां है मंदिर

बाबा हरभजन सिंह का मंदिर गंगटोक में जेलेप्ला दर्रे और नाथुला दर्रे के बीच, 13000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्तिथ है। वहीं, पुराना बंकर वाला मंदिर इससे 1000 फ़ीट ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर के अंदर बाबा हरभजन सिंह की एक फोटो और उनका सामान रखा है।

कौन है हरभजन सिंह

हरभजन सिंह का जन्म 30 अगस्त 1946 को, जिला गुजरावाला जो कि वर्तमान में पाकिस्तान में है, हुआ था ।हरभजन सिंह 24 वि पंजाब रेजिमेंट के जवान थे जो की 1966 में आर्मी में भारत हुए थे। पर मात्र 2 साल की नौकरी करके 1968 में, सिक्किम में, एक दुर्घटना में मारे गए। हुआ यूं की एक दिन जब वो खच्चर पर बैठ कर नदी पार कर रहे थे तो खच्चर सहित नदी में बह गए। नदी में बह कर उनका शव काफी आगे निकल गया।

Baba Harbhajan Singh Memorial Temple,Gangtok ,Sikkiam
Baba Harbhajan Singh Memorial Temple,Gangtok ,Sikkiam

दो दिन की तलाशी के बाद भी जब उनका शव नहीं मिला तो उन्होंने खुद अपने एक साथी सैनिक के सपने में आकर अपनी शव की जगह बताई। सवेरे सैनिकों ने बताई गई जगह से हरभजन का शव बरामद अंतिम संस्कार किया। हरभजन सिंह के इस चमत्कार के बाद साथी सैनिको की उनमे आस्था बढ़ गई और उन्होंने उनके बंकर को एक मंदिर का रूप दे दिया।

हालांकि जब बाद में उनके चमत्कार बढ़ने लगे और वो विशाल जन समूह की आस्था का केंद्र हो गए तो उनके लिए एक नए मंदिर का निर्माण किया गया जो की ‘बाबा हरभजन सिंह मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर गंगटोक में जेलेप्ला दर्रे और नाथुला दर्रे के बीच, 13000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्तिथ है। पुराना बंकर वाला मंदिर इससे 1000 फ़ीट ज्यादा ऊंचाई पर स्तिथ है। मंदिर के अंदर बाबा हरभजन सिंह की एक फोटो और उनका सामान रखा है।

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सैनिको का कहना है की हरभजन सिंह की आत्मा, चीन की तरफ से होने वाले खतरे के बारे में पहले से ही उन्हें बता देती है। और यदि भारतीय सैनिको को चीन के सैनिको का कोई भी मूवमेंट पसंद नहीं आता है तो उसके बारे में वो चीन के सैनिको को भी पहले ही बता देते है ताकि बात ज्यादा नहीं बिगड़े और मिल जुल कर बातचीत से उसका हल निकाल लिया जाए।

मृत्यु के बाद भी ड्यूटी

बाबा हरभजन सिंह अपनी मृत्यु के बाद से लगातार ही अपनी ड्यूटी देते आ रहे है. इनके लिए उन्हें बाकायदा तनख्वाह भी दी जाती रही है. नियमानुसार उनका प्रमोशन भी किया जाता रहा है.

यहां तक की उन्हें कुछ साल पहले तक 2 महीने की छुट्टी पर गाँव भी भेजा जाता था.

इसके लिए ट्रेन में सीट रिज़र्व की जाती थी, तीन सैनिको के साथ उनका सारा सामान उनके गांव भेजा जाता था तथा दो महीने पूरे होने पर फिर वापस सिक्किम लाया जाता था.

जिन दो महीने बाबा छुट्टी पर रहते थे उस दरमियान पूरा बॉर्डर हाई अलर्ट पर रहता था क्योकि उस वक्त सैनिकों को बाबा की मदद नहीं मिल पाती थी लेकिन बाबा का सिक्किम से जाना और वापस आना एक धार्मिक आयोजन का रूप लेता जा रहा था, जिसमे की बड़ी संख्या में जनता इकठ्ठी होने लगी थी.

कुछ लोगो इस आयोजान को अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाला मानते थे इसलिए उन्होंने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया क्योंकि सेना में किसी भी प्रकार के अंधविश्वास की मनाही होती है. लिहाजा सेना ने बाबा को छुट्टी पर भेजना बंद कर दिया.

मंदिर में बाबा का एक कमरा भी है जिसमे प्रतिदिन सफाई करके बिस्तर लगाए जाता है. बाबा की सेना की वर्दी और जूते रखे जाते हैं. कहते है की रोज पुनः सफाई करने पर उनके जूतों में कीचड़ और चद्दर पर सलवटे पाई जाती है

इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यदि इस मंदिर में बोतल में भरकर पानी को तीन दिन के लिए रख दिया जाए तो उस पानी में चमत्कारिक औषधीय गुण आ जाते है। इस पानी को पीने से लोगो के रोग मिट जाते है।

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