हिमाचली लोक संगीत का परिचय :-
हिमाचली लोक संगीत का इतिहास काफ़ी प्राचीन है |हिमाचल लोक संगीत दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले गरीब
लोगों के लिए सबसे बड़ी सांत्वना है ।
चंबा घाटी के जुन्जू(Junju) , सुकरात (Sukrat) , भूंख (Bhunkh )और (रूप्शु )Roopshu गाने,
बिलासपुर के मोहना (Mohna ) ,
सिरमौर की झूरी (Jhoori) ,
कुल्लू का लमन ( Laman)
हिमाचली लोक संगीत हमारे दैनिक जीवन और क्षेत्र की समृद्धक परंपरा में निहित हैं और प्रत्येक लोक संगीत की अपनी अपनी प्रमुख विशेषताएं हैं। गाने में अधिकांश वाद्य संगत की आवश्यकता होती है । हिमाचली संगीत कईं विषयों पर आधारित है जिसका मनुष्य के जीवन से गहरा संबंध है | कुछ गीत अनुष्ठानों के बारे मे है जैसे: ( जीवन- मरण, मानव प्रेम, प्रेमियों की जुदाई व सुहाग गीत ) आदि|
लमन , झूरी , गंगी , मोहना और टप्पे प्रेम गीत हैं ।
Dholru(ढोलरु) एक मौसमी गीत है।
बारे -हरेण (Bare-Haren)योद्धा गाथाओं के गीत है |
(Soohadiyan) सूहदियाँ बच्चे के जन्म पर गाए जाते हैं |
लोसी (Losi) और पक्काहद(Pakkahad ) और सुहाग गीत पारिवारिक गाने हैं ,करक प्रशंसा के गीत देवताओं के सम्मान में हैं | और अल्हैनी शोक का एक गाना है। हम इन सभी गीतों के गायन की विशिष्ट शैली का पालन और सम्मान करें | इन सभी हिमाचली लोक
संगीत का भौगोलिक तथ्यों पर गहरा प्रभाव है |
Article Shared by:- Sahil Thakur ,Kangra
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