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इस समय में अगर कोई जादू टोने की बात करता है तो लोग उसे अंधविश्वासी, पागल और गंवार कहते हैं। लेकिन मेरा मानना है कि अगर आप भगवान को मानते हो, दैवीय शक्तियों और चमत्कारों में विश्वास रखते हो तो आपको इस बात पर भी यकीन मानना चाहिए कि ये सब भी सच है। यह सब काला जादू आदि सब अब भी दुनिया में है। अब इंसान पढा-लिखा हो गया है। जो लोग गांव में रहकर बचपन में इन सबसे संबंधित बहुत सी ऐसी घटनाएं देखते हैं वो भी अब इन चीजों को नकारते हैं। मैंने खुद बहुत सी ऐसी घटनाएं देखीं हैं गांव में रहते हुए।

जैसे अगर कोई मुसीबत में होता है और भगवान का नाम लेता है या फिर पूजा-पाठ करता है, मंत्र बोलता है तो एक पोजिटिव तरंगें पैदा होती हैं उसी प्रकार अगर कोई व्यक्ति जादू-टोना करता है और मंत्र पढता है तो नेगेटिव तरंगें पैदा होती हैं। आप सबने यह भी सुना होगा कि अमावस्या के दिन इन सब नेगेटिव तंरंगों का ज्यादा असर होता है।

डैनी वांस या डुगवांस-भादों की अमावस्या

ऐसी ही एक अमावस्या है भाद्रपद यानि भादों की अमावस्या जिसे डैनी वांस या डुगवांस कहा जाता है हिमाचल में। इसके बारे में मैं बचपन से सुनते और देखते आई हूँ और कहा जाता है कि इस दिन सभी जादू-टोना करने वाले, डायनें, चेले घोघर धार जाते हैं। बहुत से लोग इस बात पर यकीन नहीं मानेंगे लेकिन हां यह सब अभी भी होता है हिमाचल में। मैंने एक डाॅक्यूमेंटरी देखी थी बहुत पहले जो कि मुझे मिली नहीं, वरना आप सबके साथ जरूर शेयर करती। उस डाॅक्यूमेंटरी में दिखाया था कि अमावस्या वाले दिन घोघर धार में क्या-क्या होता है।

घोघर धार मे आत्माओं और देवताओं के बीच युद्ध

घोघर धार हिमाचल के मंडी जिले मे पधर तहसील के अंतर्गत आती है। जो कि मैंने सुना और देखा है इस दिन सब बुरी शक्तियों वाले लोग वहां इक्कठा होते हैं और बुरी आत्माओं का आवाह्न करते हैं। यह भी कहा जाता है कि इस दिन बुरी आत्माओं और देवताओं के बीच युद्ध होता है और उस युद्ध का सारा हाल आने वाले नवरात्रों में देवी-देवताओं के पुजारी या गुर बताते हैं। अगर इस युद्ध में देवताओं की जीत होती है तो सारा साल सुखमय रहता है और अगर बुरी शक्तियां जीत जाती हैं तो आने वाले साल में आपदा आतीं हैं।

पहले मुझे घोघर धार का पता नहीं था लेकिन उस डाक्युमेंटरी को देखने के बाद पता चला कि यह किसी जगह का नाम है। वैसे तो भादों माह में सब लोग घरों के बाहर दिया जला के रखते हैं लेकिन खासकर इस अमावस्या यानि डुंगवांस के दिन सब लोग दिया जरूर जलाते हैं। इस दिन सब लोग पटाखे फोड़ते हैं और यहाँ तक कि पुराने घड़े भी आंगन में जरूर फोड़ते हैं और जोर जोर से बोलते हैं-
चलिया वो डैणी डागियों अपणे हंडकुआं डिबकुंआं लेई कने घोघड़ा रिया धारा।

बड़े-बुजुर्गों से मैंने सुना है कि इस दिन वे सभी सूप यानि छज्ज षर बैठकर घोघर धार जाते हैं। यह भी कहा जाता है कि इस दिन अगर चचड़, पिस्सू, पिथड़, जुंए आदि को जलाया जाए तो उन सबसे छुटकारा मिल जाता है। इस दिन हिमाचल के नीचले और ऊपरी दोनों क्षेत्रों में दहशत रहती है। देवी-देवता इन बुरी शक्तियों से युद्ध करके अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और खेलते हैं और अंगारों पर चलकर अपने भक्तों के ऊपर आने वाली आपदाओं को दूर करते हैं। इसके अलावा इस दिन के कुप्रभाव से बचने के लिए लोग पतरोड़े बनाते हैं और घरों में तिरमिरा और ग्वारपाठा(द्वारया) लटकाते हैं।डायनों की छाया से बचने के लिए डगवांस की शाम के समय घर व गौशाला के दरवाजों की चौखट के ऊपरी कोनों पर गाय के गोबर की छोटी-छोटी टिक्कियों के सहारे टिंबरे के पत्ते चिपकाकर उस पर अभिमंत्रित की गई सरसों चिपकाई जाती है।

घर के सभी कमरों व छत पर सरसों के दाने रखे जाते हैं। परिवार के सभी सदस्यों की जेब व दुप्पटे के कोने मे सरसों के दाने रखे व बांधे जाते हैं।

देवताओ के हारने से आती है समृधि,जितने पर होती होती है तबाही

आपको शयद यह सुनने में अटपटा लगे लेकिन बुजुर्गो का मानना है की देवताओ में हारने और डायनो के जितने से सुख समृधि आती है , लोगो का मानना है की देवता जीत के अहंकार में जश्न मनाते रहेते है और भारी मानसून और ओलावर्ष्टि से फसले वर्वाद हो जाती है ऐसा माना जाता है कि घोघड़ाधार मे यदि देवता हार जाएं तो वर्ष भर सुख-समृद्धि बनी रहती है। ऐसी भी दंतकथा है कि डायनें देखने में खूबसूरत, लेकिन अदृश्य होती हैं। कभी-कभी ये मानव रूप धारण कर लेती हैं।

हालकी बहुत से लोगो और जानकारों का इसमें सबसे बड़ा विरोधाभास है कि देवता जीते तो विनाश होता है। वहीं डायनें जीते तो विकास होता है।

शिमला सोलन में भी है ऐसी ही मान्यता

ठीक ऐसी ही मान्यता हिमाचल के शिमला और सोलन के गांवो में भी है जिसे डोगली की अमावस या चुड़ैल की रात कहते है, इस बार  21 अगस्त यानी कल डगयाली थी  इस अमावस्या की रात को माना जाता है कि जितने भी काली विद्या वाले तांत्रिक होते है वह काली शक्तियों को जागृत कर किसी का अहित करने के लिए तंत्र का सहारा लेते है। शमशान से लेकर घरों तक  काली शक्तियों का राज होता है। जिनसे बचने के लिए ऊपरी शिमला में तो देवता रात भर खेलते हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते है।

Tags:Ghoghar Dhar,Dangwans,Dev Dayan Yudh Mandi,Danguwas amawasya

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यह लेख मेने अपने निजी अनुभब दोस्तों और रिश्तेदारों से हुई बातचीत और इन्टरनेट पे किये शोध के आधार पर लिखा है , इसमें कोई सुधार या कोई गलती हो तो कमेंटस में जरुर लिखे,इस लेख के पीछे किसी अंधविश्वास की भावना को बढावा देना नही है वल्कि हिमाचल की एक सदियों से चली आ रही परम्परा से आपका परिचय करवाना है –प्रियंका शर्मा ( एडमिन हिमाचली रिश्ता डॉट कॉम )

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