फागली उत्सव
(उमा वरदा ,कुल्लू ): हिमाचल प्रदेश अपनी प्राचीनतम , संस्कृती व परम्पराओं के लिए विश्व विख्यात है । हिमाचल के प्रत्येक गाँव में कोई न कोई जात्र (मेला) व उत्सव मनाया जाता है । प्रत्येक उत्सव किसी न किसी प्राचीन कथा से जुड़ा हुआ है । हिमाचल के कुछ इलाकों में फागली उत्सव मनाया जाता है । जिनमें से एक है जि़ला कुल्लू का फागली उत्सव ।
कुल्लू में फागली उत्सव का शुभारम्भ किया जाता है महर्षी मनु की नगरी मनाली से ।
कब मनाया जाता है उत्सव :-
इस उत्सव का आरम्भ माघ महीने की 11 प्रबिष्ट को किया जाता है । देवता मनु के द्वारा चूने गये कारकून ढोल , करनाल आदि वाद्द यंत्र लेकर गाँव की यात्रा पर निकल पड़ते है इस यात्रा में केवल पुरूष शामिल होते है महिलाओं का इसमें शामिल होना वर्जित है क्योंकि इसमें अश्लील गालियों का उच्चारण किया जाता है ताकि गाँव पर मंडराने वाली सभी बुरी शक्तियाँ इन्हे सुनकर दूर भाग जाएं।
क्यों मनाया जाता है यह उत्सव :–
पौराणिक कथाओं के अनुसार गाँव पर टुंडी नामक राक्षस का आतंक था । राक्षस रोज किसी न किसी को खा जाता । गाँव वाले बहुत परेशान थे । वे लोग इस समस्या के समाधान के लिए मनु जी के पास गये । मनु जी ने इस समस्या का एक समाधान खोजा । गाँव के धाऊगरी कुल की एक कन्या का अत्यंत सुन्दर थी जिसे देखकर कोई भी उसके प्रेम में पड़ जाता । देवता मनु ने गाँव वालों से कहा कि वो राक्षस के समक्ष उस कन्या से विवाह का प्रस्ताव रखे और बदले में शर्त रखे कि वो बिना कोई नुकसान करे कन्या को लेकर वहां से चला जाए । गाँव वालो ने वैसा ही किया । राक्षस कन्या के रूप पर मोहित हो गया और गाँव वासियों की शर्त स्वीकार कर ली । देवता मनु ने कन्या के त्याग भाव को देखते हुए कहा कि अब से हमेशा उसके सम्मान में यह उत्सव मनाया जाएगा और विशेष पकवानों के साथ उसका स्वागत किया जाएगा। फिर धूमधाम से उसकी विदाई की गयी । तभी से यह उत्सव मनाया जाता है । आज भी फागली उत्सव की शुरूआत उसी कन्या के घर से की जाती है।
बनाए जाते है विशेष पकवान : –
इस दिन लोग आक्सू , गीचे , चीले (एंकलू) गराणी , पूरी तथा अन्य तरह के पकवान बनाते है तथा मेहमानों को बुलाकर उन्हे खिलाते है। लुगढ़ी नामक पेय से मेहमानवाज़ी की जाती है ।
आप भी माघ व फाल्गुन मास में जि़ला कुल्लू में इस उत्सव का लुत्फ़ उठा सकते है ।
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