दिल्ली मेट्रो की कहानी -4 | आखिर सीट लड़की को क्यों

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दिल्ली मेट्रो की कहानी -4 | आखिर सीट लड़की को क्यों

Delhi Metro Story No -4

लगभग रोज ही दिल्ली मेट्रो में मेरा ट्रेवल रहता है , सोमबार को कुछ मेडिकल टेस्ट के लिए लाजपत नगर जाना था | बदरपुर मेट्रो स्टेशन पर सुबह सुबह ही escalator से ही लाइन लग जाती है , ऐसी ही लाइन में एक छिछोरा पूरी लाइन को ओवरटेक करते हुए आगे लग गया जब किसी ने कुछ कहा तो भाई जल्दी में हु और तू कोई ठाणेदार नही यहाँ का कह कर वो एक दम चेकिंग करवाने लग गया | मेने तो कानो में हैडफ़ोन ठूस रखे थे तो मुझे ज्यादा सुनाई नही दिया लेकिन इतना जरूर था की CISF के जवान ने उसकी झंड करके सबसे लास्ट में भेज दिया , बही बंदा आगे जहा पर मेट्रो का टोकन लगा कर एंट्री करते है वहा SIS के सिक्यूरिटी गार्ड से लड़ रहा था | खैर यह सब तो रोज का काम है मेट्रो में |में थका हरा प्लेटफॉर्म पर पहुंचा और मेट्रो के आते है अपने प्रिये स्थान जोइंटर के पास पहुंच गया , जहाँ पर सामने सीनियर सिटीजन की सीट होती है |

जोइंटर पर में खड़ा था वहा पर एक हलकी सावली,गोदी में हैण्डबैग और एक और लैपटॉप टाइप का बैग लिए हुए | अगले स्टेशन पर एक अंकल आए अधेड़ उमर के,लेकिन लग रहा था सीनियर सिटीजन से थोड़े कम ही थे|और लड़की से सीट मांगी ,लड़की ने नही कहा तो वो अंकल बिगड़ गये | कहने लगे लडकियों के लिए कोच अलग है और हर कोच में अलग सीट होती है वहा बैठो नही तो खड़ी हो जाओ |
इतना सुनते ही आसपास के लडको ने भी वैसे ही उस अंकल को समर्थन दी दिया जिस प्रकार भ्रिस्टचार का नाम सुनते है दिल्ली के असंख्य युवाओ ने केजरीवाल को दिया था | बहूत से लड़के बोलने लगे ठीक कह रहे हो अंकल वैसे तो इनको Women Equality rights के लेक्चर याद आते है और सीट के लिए जहाँ मर्जी बैठ जाती है | पूरा कोच लड़की इस डाईलोग पर हसने लगा | मेने गौर से उस लड़की का चेहरा देखा वो बहूत ही असहज महसूस कर रही थी

इतने में उस लड़की ने अपनी गोदी में रखे बैग को हटाते हुए दोनों टांगो के बिच में रखी हुई बैसखिया निकली और संभलते हुए बिशाखियो के सहारे खड़े होते हुए बोली लो अंकल जी आप बैठ जाईये शायद आपको ज्यादा जरूरत है |
लड़की के यह शब्द तीर की तरह सबके दिल में उतर गये , अंकल जी का सिर शर्म से झुक चुका था और कोच में ठहाके लगाने वाले गलानी फील कर रहे थे |
अब जो भी सीट पर बैठा था अपनी सीट लड़की को ऑफर करने लगा लेकिन वो बोली मुझे को सहानुभूति नही चाहिए न ही कोई Equlity. इतना कहते हुए वो जोइंटर के पास आकर खडी हो गयी |

Note : इस से मिलता जुलती एक कहानी मेने कुछ दिन पहले  पढ़ी थी , जिसका रूपांतरण करके मेने दिल्ली मेट्रो से जोड़ा है | हर कहानी की तरह से एक प्रेम कहानी नही है लेकिन अगर अच्छी लगे तो शेयर जरूर करना

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मेट्रो का सच्चा प्यार – भाग 2

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Tags : Delhi Metro Story, Admin UK , Speakout himachal  delhi metro ,metro ki kahani

 

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