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Cashless System,Its Challenge and Benefits

क्या है कैशलेस अर्थव्यवस्था ?

भारत  अर्थव्यवस्था में किसी भी व्यापर में  पैसे का प्रयोग नगदी  के रूप में सदियों से होता आया है ,पुराने समय में  नगदी को सोने ,चांदी ताम्र के सिक्को में परिभाषित किया जाता रहा है , आधुनिक दोर में नगदी को  कागज के नोटों और धातु के सिक्को के रूप में प्रयोग किया जाता है | नगदी का प्रयोग दैनिक कार्यो और व्यापर आदि के  लिए होता रहा है | आठ नबम्बर को  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  रात को  पांच सो और हजार के नोट तत्काल बंद कर के देश को आश्चर्य चकित कर दिया , इस निर्णय का देशवासियों ने दिल खोल कर स्वागत किया और हंस कर इस से पैदा होने वाली समस्याओ को देश हित में समझ कर पूर्ण समर्थन किया , लेकिन पांच सो और हजार के नोट भारत में परचलित नगदी का 86 प्रतिशत हिस्सा थे , जिसकी पूर्ति करने के लिए कम से कम 6 महीने का समय चाहिए | बिना नगदी के किसी भी देश कि अर्थ्व्यव्श्ता ठप हो सकती है इसमें कोई भी दो राय नही है | इस के लिए कोई न कोई विक्प्ल्प अवश्य चाहिए था |

असे में ठीक एक महीने बाद वित् मंत्री ने कैशलेस इकॉनमी  के बारे में बता कर इस और चर्चित शब्द हर बच्चे बूढ़े कि जुबान पर ला लिया , यू तो कैशलेस इकॉनमी नया शब्द नही है लेकिन सुर्खोयों में यह शब्द केवल नोटबंदी के बाद ही आया |

क्या है कैशलेस प्रणाली ?

मोटी मोटी  भाषा  में समझे तो कैशलेस का मतलब यह है कि बिना कैश ( यानि कि नगद रुपयों ) के व्यापर करना , इसमें पैसे तो होते है लेकिन वो भोतिक तोर पर नही होते वल्कि वर्चुअल तोर पर लिये दिए जाते है , जैसे कि चेक से , क्रेडिट ,डेबिट कार्ड ,नेट बैंकिंग या मोबाइल वॉलेट से

1.नेटबैंकिंग :-

नेट बैंकिंग के द्वारा आप किसी भी मित्र या व्यापारी को अपने बैंक अकाउंट से उसके बैंक अकाउंट में कैश ट्रान्सफर कर सकते है , नेट बैंकिंग में तीन प्रकार से मनी ट्रान्सफर होती है जो इस प्रकार है : NEFT (National Electronics Fund Transfer ), RTGS IMPS

NEFT (National Electronics Fund Transfer ), यह फंड ट्रांसफर का सरल और अहम तरीका है,  इसके तहत फंड ट्रांसफर एक निर्धारित समय पर ही होता है। मसलन, कार्यदिवस के दौरान हर एक घंटे पर इसके तहत फंड ट्रांसफर होते हैं। NEFT में   कंप्यूटरइस्जेड तरीके से एक घंटे का बैच लगा होता है  ,आपकी पेमेंट को तुरंत काट लिया जाता है और जिसको पेमेंट भेजनी हो यह उसके अकाउंट में आगामी बैच में क्रेडिट हो जाति है | एनईएफटी में न्यूनतम राशि का कोई प्रतिबंध नहीं है। एनईएफटी पर फीस लगती है और 2 लाख रुपये से अधिक के ट्रांसफर पर  25 रुपये तक फीस लगती है। आरटीजीएस/एनईएफटी से पैसे ट्रांसफर करने के लिए आपके पास लाभार्थी के खाते की जानकारी जैसे उसका नाम, बैंक का नाम, खाता संख्‍या और आईएफएससी कोड होना चाहिए।  2 लाख से कम रकम ट्रांसफर करने के लिए एनईएफटी तरीका अपनाया जा सकता है।

समय  :

सोमवार से शुक्रवार  – 8 AM से 6.30 PM

शनिवार :   8 am to 12.30 pm.

छुट्टी और रविवार : कोई लेन देन नही

लिमिट : 2 लाख से कम

 

 

RTGS ( Real Time Gross Settlement ) : रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट बैंक के जरिये पैसे ट्रांसफर करने का सबसे तेज तरीका है। सभी बैंकों की हर ब्रांच में नहीं होती यह सुविधा। कुछ ब्रांचों में ही होती है। कम-से-कम 2 लाख रुपये की रकम इस तरीके से ट्रांसफर की जा सकती है। अधिकतम रकम की कोई सीमा नहीं है।

समय  :

सोमवार से शुक्रवार  – 9 am to 4.30 pm

शनिवार s – 9 am to 1 pm

छुट्टी और रविवार : कोई लेन देन नही

IMPS (Immediate Payment Service) : यह भी neft कि ही तरह है लेकिन  इस में एक बार बेनिफिसरी ऐड करने के बाद आप तुरंत फण्ड भेज सकते है , IMPS में इधर आपके अकाउंट से फण्ड कटा और उधर दुसरे अकाउंट में फण्ड ट्रांसफर हो जाता है l

समय  :  किसी भी दिन चोबीस घंटे ,लेकिन बेनफिसरी का  अकाउंट सिर्फ कार्यदिवस को  ही ऐड होता है , एक बार ऐड होने पर फंड छुट्टी वाले दिन भी भेजे जा सकते है I

  1. क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड :-

 

डेबिट कार्ड : 

डेबिट कार्ड को सामान्य भाषा में बहुत से लोग एटीएम कार्ड कह देते है , गांव बगेर में लोगो के लिए इसका मतलब सिर्फ एटीएम मशीन से पैसे निकलवाने तक ही सिमित है ,लेकिन बास्तव में डेबिट कार्ड से ऑनलाइन पेमेंट ,शोपिंग  आदि भी कि जा सकती है , इसका पैसा आपके बैंक अकाउंट से कटता है I डेबिट कार्ड से आप किसी दुकान पर जिसके पास POS (पॉइंट ऑफ़ सर्विस ) मशीन हो ,पेमेंट कर सकते है I इस से कि गयी शोपिंग पर कुछ अतिरिक्त शुल्क भी देना /नही देना पड़ सकता है I

 

क्रेडिट कार्ड :

 

क्रेडिट कार्ड भी डेबिट कार्ड के ही तरह होता है सिर्फ फर्क इतना होता है कि क्रेडिट कार्ड में आपको बैंक अकाउंट में बैलेंस होने कि जरूरत नही है , यह पोस्टpaid मोबाइल के तरह होता है जिसमें आप एक तय सीमा तक खर्च कर सकते है I

क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड में एक अंतर यह भी है कि बहुत सारी वेबसाइट / मर्चेंट में आप क्रेडिट कार्ड का नंबर सेव कर के ऑटोमतिकाली महीने / वार्षिक  पेमेंट कट सकती है जैसे बिजली का बिल , मकान या लोंन कि क़िस्त आदि

UPI यूपीआई क्या है

यूपीआई यानी यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (Unified Payment Interface) पैसे भेजने का एक सिस्टम है। अभी तक NEFT, RTGS और IMPS सिस्टम के जरिए पैसा भेजा जाता रहा है। यूपीआई इनसे ज्यादा एडवांस्ड तरीका है। इस पेमेंट सिस्टम को इस तरह से बनाया गया है कि आम लोग भी इसे आसानी से इस्तेमाल कर सकें। यूपीआई अब तक की सबसे सुरक्षित ई-बैंकिंग का माध्यम है क्योंकि अभी चाहे ऑनलाइन बैंकिंग हो, मोबाइल वॉलेट हो या फिर डेबिट-क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करना हो सभी के लिए आपको बैंक खाते से जुड़ी जानकारी साझा करनी पड़ती है. वहीं यूपीआई का फायदा ये है कि इसमें वर्चुअल आईडी के जरिए कैश भेजा जा सकता है और आपको बैंक खाते की जानकारी देने की जरुरत नहीं है. यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस सिस्टम मोबाइल एप पर आधारित है। यानी ये इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले स्मार्टफोन में काम करता है। यूपीआई को इस्तेमाल करने के लिए इंटरनेट से जुड़ा होना जरूरी है। फिलहाल यूपीआई एप एन्ड्रॉएड ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए ही बनाया गया है। आपको पता ही होगा कि दुनिया के 80% फोन एन्ड्रॉएड ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं। भविष्य में यूपीआई आईफोन और विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम में भी काम करेगा।

मोबाइल वालेट क्या है ? 

मोबाइल वॉलेट जैसे PayTM,FreeCharge,PayUmoney,जिओमनी  या Mobilewik यह कुछ ऐसी सेवाये है जिनके माध्यम से आप अपने मोबाइल वॉलेट में क्रेडिट/डेबिट कार्ड /netbanking आदि से पैसे डलवा कर जरूरत के अनुसार किसी भी मर्चेंट के पास पेमेंट कर सकते है , नोटबंदी के  बाद PayTM भारत कि सबसे बड़ी सेवा बन कर निकली है , देश के छोटे मोटे दुकानदार जैसे ढाबे वाले , गोलगप्पे वाले , छोटेकिराने वाले दुकान दार भी मोबाइल वॉलेट से ग्राहकों से पैसे ले रहे है I

भीम (BHIM) एप क्या है ?

Bharat Interface for Money payment

पीएम मोदी द्वारा 31 दिसंबर को लॉन्च किया गया ऐप BHIM भारत में एंड्रॉयड पर सबसे अधिक फ्री डाउनलोड करने वाला ऐप बन गया  है. डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए पीएम ने इसे लॉन्च किया था. भीम यानी भारत इंटरफेस फॉर मनी पेमेंट प्लेटफॉर्म है जोकि यूपीआई के जरिए तुरंत पेमेंट की सुविधा मुहैया करवाता है.

  • भीम ऐप एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है. ऐपल फोन और आईओएस प्लेटफॉर्म के लिए इसे जल्द ही लॉन्च कर दिया जाएगा. भीम ऐप को नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने विकसित किया है.
  • भीम यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेड (UPI) पर काम करता है. इसे एनपीसीआई ने डेवलप किया है. यूपीआई IMPS इंफ्रास्ट्रक्चर की तर्ज पर बना है और इससे पेमेंट तुरंत किया जा सकता है.
  • भीम ऐप के जरिए ट्रांजेक्शन के लिए कोई फीस नहीं लगती है. लेकिन यह संभव है कि आपका बैंक यूपीआई या आईएमपीएस ट्रांसफर फीस ले.
  • भीम ऐप का इस्तेमाल करने के लिए जरूरी नहीं है कि आपने मोबाइल बैकिंग चालू कर रखी हो. हां, यह जरूरी है कि आपका मोबाइल नंबर बैंक विशेष के पास रजिस्टर होना चाहिए.
  • फिलहाल, भीम सिर्फ एक बैंक अकाउंट से लिंक होता है. जब आप इस पर अपना अकाउंट बनाते हैं तब अपनी मर्जी का बैंक डिफॉल्ट अकाउंट के तौर पर चुन सकते हैं. यदि आप दूसरा बैंक अकाउंट इससे जोड़ना चाहते हैं तो आपको मेम मैन्यू में जाना होगा, वहां से दूसरे बैंक अकाउंट का चयन करना होगा. आपको जो भी पैसा ट्रांसफर किया जा रहा है वह आपके डिफॉल्ट अकाउंट में पहुंचेगा.
  • जब आप भीम ऐप डाउनलोड कर लेंगे तब यह आपका फोन नंबर मांगेगा. वेरिफिकेशन के बाद यह आपसे भीम पिन मांगेगा. आपको अपने अकाउंट वाले बैंक का चयन करना होगा और ऐप ऑटोमैटिक रूप से बैंक अकाउंट डीटेल वहां प्रदर्शित कर देगी.
  • पैसा भेजना चाहते हैं तो जिसे भेजना चाहते हैं उसका फोन नंबर संबंधित सेक्शन में लिखना होगा. अब यदि इस नंबर का इस्तेमाल करके यूपीआई या भीम अकाउंट क्रिएट किया गया है तो आप पैसा भेज सकते हैं. यदि कोई यूपीआई आईडी या नंबर लिंक नहीं है तो भी आप बैंक अकाउंट डीटेल या IFSC कोड के जरिए पैसा तो भेज ही सकते हैं.
  • पैसे भेजने और प्राप्त करने के अलावा, आप बैंक अकाउंट में मौजूद बैलेंस भी इससे चेक कर सकते हैं. भीम ऐप के जरिए आप अपनी ट्रांजैक्शन डीटेल भी चेक कर सकते हैं.
  • आप चाहें तो पेमेंट अड्रेस का इस्तेमाल करते हुए QR Code डाउनलोड कर सकते हैं.
  • प्रति ट्रांजैक्शन आप 10 हजार रुपए का आदान-प्रदान कर सकते हैं. और, 24 घंटे में कुल मिलाकर 20 हजार रुपए का ट्रांजैक्शन कर सकते हैं.

 कैशलेस होने में  आने वाली सबसे बड़ी चुनोतिया

1.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को कैशलेस इकॉनमी में बदलने की कवायद में फिलहाल कई तरह की परेशानियां अभी भी बरकरार है। कैशलेस लेनदेन को पूरी तरह से सफल बनाने के लिए सरकार को पहले इंटरनेट, मोबाइल बैंकिंग और डिजिटल प्रशिक्षण पर जोर देना होगा। आईटी विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने बताया कि एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार 2017 में मोबाइल पेमेंट से ठगी के मामलों 67 फीसदी बढ़ेंगे। ऐसे में लोग कैशलेस पेमेंट से बचेंगे। वेसे भी हमारे देश में साइबर सिक्यूरिटी को ले कर  कोई विशेष ठोस कानून नही है , हमारे देश में कत्ल  और लूट के ही हजारो मामले लंबित है तो साइबर क्राइम तो बहुत बड़ी बात है |   शायद हिमाचल या पुरे देश में ही कोई ऐसा घर नही होगा जिस घर में ठगी वाली कॉल न आई हो जिसमे कोई व्यक्ति यह दावा करता है कि वो फलाने बैंक से बोल रहा है और आपका डेबिट कार्ड सुरक्षित नही या फिर कोई और कहानी सुना कर  आपके कार्ड कि डिटेल लेने कि कोशिश करता है , कम पढ़े लिखे लोग तो ठीक है लेकिन मेरे ऑफिस में MBA किये हुए और मेरी रिश्तेदारी में एक BSC लास्ट सेमस्टर का एक लड़का भी इस ठगी का शिकार हो कर  अपने अकाउंट से पैसे उडवा चूका है जिसकी उसने वकयदा बैंक में शिकयत भी करी और बैंक वालो ने इसमें कोई सहायता करने में नाकामी जाहिर करी और पुलिस केस करने को कहा

  1. कैशलेस व्यवस्था की राह में सबसे बड़ा रोड़ा खराब मोबाइल नेटवर्क होना भी है। मोबाइल वॉलेट व्यवस्था तभी बेहतर साबित होगी जब सरकार नेटवर्क सही से उपलब्ध करा सकें। देश में अभी भी ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां इंटरनेट की गति बहुत ही खराब है। जबकि कैशलैस अपनाने वाले देश इस मामले में शीर्ष पर हैं। में अपने ही अनुभव कि बात करूंगा नगरोटा बगवां हिमाचल के अच्छे विकसित शहरों में से एक है गत महीने HDFC बैंक से 24000 रूपये निकलवाने थे लेकिन उसमे बैलेंस कम था तो मे बैंक के अंदर गया और वहीँ अपने येस बैंक कि मोबाइल अप्प से २००००रुपये ट्रान्सफर करने कि कोशिश के लेकिन 3-4 बार प्रयास करने के बाद भी खराब नेटवर्क कि बजह से कर नही पाया , फिर में थोडा बाहर आया और बस स्टैंड के पास आकर यह कोशिश करी ,  मेने जिओ और एयरटेल दोनों नेटवर्क को अपने मोबाइल में  ले कर कोशिश करी , आखिर 20-२५ मिनट के बाद मुझे सफलता मिली  , लेकिन जब मेने 4-5 दिन बाद अपनी येस बैंक कि स्टेटमेंट देखि तो मेरे 60000 रूपये ट्रांसफ़र हो गये थे ,  यह तो गनीमत थी कि मेने अपने ही hdfc बैंक के अकाउंट में किये थे अगर यह किसी दुसरे के अकाउंट में होते तो 40000 रूपये किसी और के अकाउंट में चले जाते क्युकी एक बार बेंफिसरी ऐड करने के बाद ट्रान्सफर होने में दिक्कत नही आती और मोबाइल एप में सिर्फ एक पिन होता है उसमे हर बार OTP नही आता है I

 

3.लोगों को कैशलेस लेन-देन अपनाने के लिए भले जितनी भी अपील की जा रही हो लेकिन बैंकिंग से लेकर सरकारी क्षेत्र में अब तक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें लोगों के लिए नकदी लेन-देन ही सस्ता आसान लगता है।

4.कार्ड से भुगतान लेने पर दुकानदारों को दो फीसदी तक शुल्क सिर्फ बैंक को ही देना पड़ता है। इसी तरह रेलवे की टिकट आप नकदी से लेते हैं तो सस्ती पड़ती है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से पेट्रोल खरीदने पर भी क्रेडिट कार्ड पर अतिरिक्त शुल्क वसूला जा रहा है।

5.इसी तरह डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग या रूपे कार्ड पर भी प्रत्येक लेन-देन पर दस रुपये और उस पर सेवा कर लिया जाता है।

6.सरकारी उपक्रम होने के बावजूद रेलवे मोबाइल वॉलेट पर भी 1.28 फीसदी से लेकर 1.80 फीसदी तक ट्रांजेक्शन चार्ज अलग से वसूल जाता है।

7.इसके अलावा इनकम टैक्स बचाने में नगद भुगतान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह बचा हुआ इनकम टैक्स काले धन के रूप में जमा होने लगता है।  अभी मुझे डेल्ही में अपने लिए फर्नीचर लेना था  दुकानदार ने बाहर पेटीएम का बोर्ड भी लगा रखा था लेकिन उसने पेटीएम से लेने से साफ़ मना कर दिया और कहा कि पेटीएम से वो 15% के आसपास सर्विस टेक्स लेगा , अब कोन अपना 15% का नुकसान करेगा जब उसको वही चीज उसी गारंटी के साथ मिल रही है

बिसनेस टुडे मग्जिन के अनुसार विश्व कि सबसे बड़ी  अर्थव्यवस्थाये  निम्न है :

 TOP CASHLESS COUNTRIES

COUNTRIES CASHLESS TRANSACTIONS
1-Singapore 61%
2-Netherlands 60%
3-France 59%
4-Sweden 59%
5-Canada 57%
6-Belgium 56%
7-United Kingdom 52%
8-USA 45%
9-Australia 35%
10-Germany 33%
11-South Korea 29%
12-Spain 16%
13-Brazil 15%
14-Japan 14%
15-China 10%
India 2%

 

 पहला कैशलेस गांव : नोटबंदी के बाद देश का पहला कैशलेसे गांव बना महाराष्ट्रा का धसई गांव।  

अब सवाल यह उठता है कि आखिर कैशलेस समाज बनाने की जरूरत क्या है?

  1. अभी मेने हिमाचल बिजली बोर्ड का बिल ऑनलाइन दिया, PayUMoney से पेमेंट करने पर मुझे 9 रूपये अधिक देने पड़े,लेकिन यही काम में नगरोटा बगवा जाकर करता तो मेरे 9 रूपये जरुर बच जाते लेकिन 20 रूपये का पेट्रोल लग जाता और शायद 2-3 घंटे लाइन भी लगती, और शायद खुले पैसे न होने कि बजह से 9-10 रूपये ज्यादा ही लग जाते,तो कैशलेस होने के अपने ही फायदे है

2.नोटबंदी के बाद सरकार चाहती है कि लोग कैशलेस लेन-देन को अपनाएं ताकि कालेधन और नाजायद धंधों पर रोक लगे।

3.नगद रुपये का बाजार में ज्यादा प्रचलन होता है तो कई तरह की दिक्कतों का सामान करना पड़ता है।  पहला यह कि जाली नोटों की संख्या बढ़ने लगती है जो अर्थव्यवस्था के लिए सबसे घातक है।    दूसरा यह कि यदि अनुमान से अधिक काला धन जमा होने लगेगा तो हर वस्तु के दाम आसमान में जाने लगेगे।   उक्त दोनों ही कारणों से एक समानांतर अर्थ व्यवस्था निर्मित हो जाती है  नगद के अत्यधिक प्रचलन, जाली नोटों की भरमार और बेहिसाब काले धन से नक्सलवाद, आतंकवाद और माफियाओं की समानांदर सरकार कायम हो जाती है   जिसके चलते राज्य में विद्रोह और अपराधिक गतिविधियां इतनी बढ़ जाती है कि जिन्हें संभालना मुश्किल हो जाता है।

टलेगा नहीं अपराध, बढ़ेगा साइबर क्राईम

ज्यादा दिन नहीं हुए जब खबर आई थी कि एसबीआई ने अपने छह लाख से ज्यादा ग्राहकों के एटीएम कार्ड ब्लॉक किए हैं जबकि तीस लाख डेबिट कार्ड पर खतरा बताया गया था। वजह बताई गई थी एसबीआई के इन डेबिट कार्ड की सुरक्षा में सेंध का लगना। विदेश में तो यह समस्या आम है जहां पूरा सिस्टम ही कैशलैस पर टिका हुआ है।

इसके अलावा टेक्नोलॉजी के उपयोग के साथ ही देश में साइबर क्राइम भी काफी बढ़ा है। जिसका शिकार पढ़े लिखे लोग भी होते रहे हैं। अखबारों में शायद ही कोई दिन जाता हो जब ठगों द्वारा लोगों से ऑनलाइन फ्रॉड या उनसे बातचीत कर खाता नंबरों की जानकारी हासिल कर खाते से रकम उड़ाने की खबरें न दिखाई देती हों।

एनसीआरबी के आंकडों के अनुसार पिछले दस सालों में साइबर क्राइम में 14 गुणा बढोत्तरी हुई है जिसका शिकार पढ़े लिखे और अनपढ़ दोनों लोग हुए हैं। ऐसे में इस खतरे के बीच लोगों को अपना ऑनलाइन खाता बचाए रखना खासा चुनौतीपूर्ण होगा। राज्यसभा में पूर्व में एक सवाल के जवाब में सरकार ने जानकारी दी थी कि साल 2014-15 में एटीएम, क्रेडिट-डेबिट कार्ड और नेट बैंकिंग से संबंधित कुल 11,997 मामले दर्ज किए गए थे।

कैशलेस इकोनॉमी देश के बेहतर भाविष्य में अहम भूमिका निभा सकती है, लेकिन इसके लिए आधारभूत व्यापक संरचना का निर्माण करना सरकार की पहली प्राथमिकता में होनी चाहिए. इसके लिए व्यापक स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है. विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या के निवासस्थली में युवाओं की पीढ़ी भले देश की जनसंख्या की लगभग 50 फीसदी हो, लेकिन देश में केवल 34 करोड़ लोग की पहुंच तक इंटरनेट है. विश्व में दूसरे स्थान पर स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या होने के बावजूद इनमें से अधिकतर कभी-कभार इंटरनेट का उपयोग करते हैं. भारत में मोबाइल कनेक्शन धारकों की संख्या भले 2 करोड़ है, लेकिन इनमें से केवल लगभग पंद्रहा फीसद के पास ब्राडॅबैंड की सुविधा उपलब्ध है. फिर स्वीडन, बेल्जियम और ब्रिटेन की बराबरी के लिए भारत को अभी व्यापक स्तर पर होमवर्क करने की जरूरत है, भ्रष्टाचार और कालाबाजारी पर रोक लगाने की दिशा में कैशलेस इकोनॉमी कारगर सिद्ध हो सकती है, लेकिन भारतीय परिदृष्य में सुविधाओं का वैसा जाल बिछाना अभी संभव नजर नहीं आ रहा है. क्योंकि देश की साइबर सुरक्षा और नेटवर्क हैकिंग से जनता को निजात दिलाने में अभी काफी कुछ विदेशों से सिखने की जरूरत है.अभी भारतीय अर्थव्यवस्था में दो फीसद डिजिटल भुगतान होता है, जिसे आगे बढ़ाने में काफी समय लग जाएगा. भारत में इंटरनेट के संजाल को और व्यापक स्तर से फैलाने की जरूरत है, देश के दूर-दराज के क्षेत्र अभी भी इस अद्भुत खिलौने से वाकिफ नहीं है. 4G का जमाना आ जाने के बावजूद भी इंटरनेट की धीमी गति गले की समस्या बनी हुई है. विकसित देशों की तुलना में क्रेडिट कार्ड और डेबिड कार्ड की स्वैपिंग मशीनें भी भारत में काफी कम हैं, प्रति दस लाख जनसंख्या पर लगभग 850 मशीनें ही डिजिटल भुगतान के दौर में काफी सिद्ध नहीं हो सकती हैं. कैशलेस इकोनॉमी से देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ पर्यावरण को भी फायदा हो सकता है, क्योंकि नोटों को छापने के लिए पेड़ों की कटाई भी की जाती है. सरकार का नजरिया देश की व्यवस्था को उचित ढर्रे पर ले जाने वाला दिख रहा है, लेकिन समस्याओं का निदान सरकार की पहली प्राथमिकता में होना चाहिए और ग्रामीण जनता और दूर-दराज के इलाकों में कैशलेस भुगतान के फायदों से लोगों को वाकिफ कराना चाहिए. कैशलेस भुगतान की समस्याओं से निपटने के लिए उचित व्यवस्था का चुनाव करना बेहद जरूरी है.

कैसे बनाये  कैशलेस को कामयाब  ?

निशंदेह कैशलेस प्रणाली देश हित में , इस से  जो बिचोलिये सर्विस टैक्स या अन्य टैक्स खा जाते थे वो सीधा सरकार तक पहुच कर देश कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा ,इसको सफल बनाने के लिए कुछ कदम सरकार को उठाने होगे कुछ देशवासियों को

क्या करना चाहीये जनता को ?

  1. ऑनलाइन फ्रोड से बचने के लिए अपने किसी भी कार्ड , मोबाइल वॉलेट , या नेट बैंकिंग के पिन , पासवर्ड या OTP को किसी से भी शेयर न करे , न ही कही लिख कर रखे ,आगर लिख कर रखना भी है तो उसको सुरक्षित जगह पर रखे
  2. अपने मोबाइल में लॉक लगा कर रखे
  3. कोई आपसे फ़ोन कर के आपकी बैंक डिटेल मांगे तो न दे , चाहे वो बैंक अधिकारी ही क्यों न हो , क्युकी बैंक वालो के पास अआपकी सारी डिटेल पहले से ही होती है अगर उनको कुछ वेरिफिकेशन करनी होती है तो वो आपके अकाउंट /कार्ड के अंतिम कुछ डिजिट पूछते है और आपका ,आपके पति/माता का नाम या जन्मतिथि आदि I आपको कोई ऐसी कॉल आती है तो  आप उस नंबर की पुलिस शिकायत करवा कर जिम्मेवार नागरिक बने
  4. अगर कोई सिर्फ टैक्स बचाने के लिए ऑनलाइन /डिजिटल पेमेंट लेने से इंकार करता है तो भी उसकी शिकायत करेI

क्या करना चाहीये सरकार को ?

  1. सरकार को डिजिटल पेमेंट को सुरक्षित बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए और साइबर अपराध के लिए ठोस कानून बनाने चाहिए
  2. मोबाइल नेटवर्क को मजबूत करना होगा , हमारे देश में इन्टरनेट कि स्थिति बहुत ही दयनीय है , 4G तो बहुत दूर लेकिन 2G नेटवर्क भी अभी प्रदेश/देश के बहुत से लोगो कि पहुच से बाहर है I
  3. आम जनता को डिजिटल पेमेंट के फायदों के लिए जागरूक करना होगा और इसके लिए समय समय पर शिविर बगेर लगा कर जानकारी देनी चाहिए
  4. बैंको को अपनी सुचना प्रोद्योगिकी कि सुरक्षा को और मजबूत बनाना होता ताकि हैकर , जनता कि गाढ़ीकमाई पर निशाना न लगा सके

Written By : Satish Kr Malanch,Information Security Annalist

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