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पंचायती वोट – हिमाचली कविता 

कुसकी जो पत्याणा लग्गे कुसकी तो जरकाणा लग्गे……………
सैह वोटां जो सरकाणे ताईं तरकीबां खूब बणाणा लग्गे।
कुसकी जो पत्याणा लग्गे कुसकी तो जरकाणा लग्गे।।
बस जोड़ तोड़ है वोटां दी, हुण खुल्ली थैली नोटां दी।
थडऱ्ा पीणे व़ाल़े दैं सैह मुम्हें व्हीस्की चुआंणा लग्गे।।
लाल बतियां काले शीशे, नौईयां कारां दे चमकारे भुल्ले
शिमलें डेरा लाणे तांई, घर घर अलख जगाणा लग्गे।।
देणे वाल़े मंगणा लग्गे,हुण खंगणे वाले संगणा लग्गे।
दिक्खी नजरा फेरदे थे,सैह गोडेयां हथ लगाणा लग्गे।।
ऊंच नीच समझाणा लग्गे, वोटां दो मुल्ल पाणा लग्गे।
खुल्ले नोट बणाणे तांई हन खुल्ले नोट बिछाणा लग्गे।।
लारे फिरी लगाणा लग्गे, फिरी भुलेखा पाणा लग्गे।
सपने फिरी दिखाणा लग्गे, सांझों फिरी ठगाणा लग्गे।।
बस टारगेट हुण जितणे दे, जे बणे कमांडर मिशनां दे।।
गुड चणे चबाई के भी हण केई दिनां लंगाणा लग्गे।।

Article  Shared by:- Devender Sharma ,Kangra

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