तनाव की शिकार अक्सर महिलाएं ज्यादा क्यों होती हैं, आइये इसका मनोवैज्ञानिक कारण जानने की कोशिश करते हैं ।
APA की Journal of Abnormal Psychology में कहा गया है, की महिलाएं अपनी भावनाओं को छुपा कर रखने में सक्षम होती हैं; वे अंदर ही अंदर अपनी समस्याओं का समाधान ढूँढती है;
समाज में ज्यादा स्वीकारे जाने के लिए, और खुद को मज़बूत दिखाने के लिए वे सब कुछ मन में दबाये रखती है। इससे उनके मस्तिष्क पर तनाव ज्यादा होता है, और जब समस्याएं बढ़ जाती हैं, तो तनाव ज्यादा होता है।
दूसरी ओर, मर्द किसी चीज़ की परवाह ना करते हुए अकसर तात्कालिक परिस्थिति केअनुसार व्यवहार करते हैं। वे अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति कर लेते हैं, इससे उनके मस्तिष्क पर ज्यादा तनाव नहीं होता, और नकारात्मक ऊर्जा का निष्कासन होता है।
वैज्ञानिक रूप से, हॉर्मोन की अलग-अलग प्रक्रियाओं से भी औरतों में मानसिक समस्या ज्यादा होती है।
औरतों में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा कम होती है, और इसी वजह से, उनके दिमाग में भी सेरोटोनिन कम मात्रा में तैयार होता है, जो कि दिमाग को शांत रखने में अधिक मददगार होता है; पर इसकी कमी से महिलाओं में तनाव का असर भी ज्यादा होता है।
इसके अलावा, महिलाओं पर गर्भ-धारण, जन्म, और मातृत्व जैसी गम्भीर ज़िम्मेदारी होती है।
डर और दुखद घटनाओं का शिकार भी महिलाएं ज्यादा होती हैं। इस कारण उनमें PTSD, १०% अधिक रूप में पाया जाता है, जब की पुरुषों में सिर्फ ४% में यह घटना देखा गयी है।
शादी शुदा औरतों को नए घर, नए परिवार में खुद को ढालना पड़ता है, उनके हर काम को नापा जाता है, उनका मत स्वीकारा नहीं जाता, और इन सभी कारणों की वजह से वे दुखी रहती हैं।
अगर महिला ऑफिस में काम करती हो, तो वे घर में ज्यादा वक़्त नहीं दे पाने के लिए खुद को दोषी मानती हैं, पुरुष इस प्रकार नहीं सोचते; सामाजिक रूप से वे बाहर का काम करने के लिए ही अभ्यस्त हैं, अगर इच्छा हो तो घर का काम करेंगे, लेकिन औरतों को दोनों काम पर बराबर ध्यान देना होता है। इससे खुद के लिए वक़्त नहीं मिलता उन्हें, अधिक काम करके थक जाती हैं, और तनाव बढ़ता है।
कर्म-क्षेत्र में भी लिंग जनित कारण के लिए अगर वेतन कम मिले तो इससे महिलाओं के आत्मसम्मान को अधिक ठेस पहुँचाती है।
इलाज करवाने जाओ तो वहां भी भेद-भाव। औरत अगर निराशा ज़ाहिर करें, तो लोग अकसर उसे स्वाभाविक ‘जज़्बाती’ व्यवहार बताते हैं, लेकिन पुरुष को तनाव हो, तो जल्द दवाई और चिकित्सा का सुझाव बताया जाता है।
ध्यान रखें महिलाओं की मानसिक समस्या को नज़र अंदाज़ किया जाए, तो भविष्य में और गहरी समस्याओं का कारण हो सकती है।
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