शिमला के धामी में 12 नवंबर से होगा मानव बलि का खेल : Himachal Pradesh – शिमला के धामी के चौरा में 12 नवम्बर को खेल का एक अनोखा नजारा देखने को मिलेगा यह खेल पथरो से खेल जाता है | इस दिन सैकड़ों लोग एक-दूसरे पर पत्थरों की बरसात करते है ये प्रथा सैकड़ों सालों से चली आ रही है इस प्रथा को स्थानीय लोग आज भी पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इसे देखने विदेशी पर्यटक भी आने लगे हैं।
पत्थर मेला –
कई शताब्दियों से धामी में यह अनोखी परंपरा चली आ रही है। इस में दीपावली के अगले दिन एक मेले का आयोजन होता है इसमें सबसे प्रमुख आकर्षण पत्थरों का युद्ध। होता है जिस में लोग एक दूसरे पे पत्थर मरते है धामी की स्थानीय बोली में इसे पत्थरों का भेड़ कहते हैं। इसमें 2 टोलियों होती है जो लोग एक-दूसरे को पूर्वनिर्धारित स्थानों से पत्थर मारते हैं। जब किसी व्यक्ति को पत्थर लग जाता है तो उसका खून माता काली के मंदिर में चढ़ा कर मेले की परंपरा को सम्पन्न किया जाता है।
![dhami pathar mela shimla, himachal pradesh](https://www.beingpahadi.com/wp-content/uploads/2015/11/dhami-pathar-mela-shimla-himachal-pradesh.jpg)
सैंकड़ो वर्षों पहले यहां मानव बलि की प्रथा थी। फिर बाद में जब एक राजा की मृत्यु हुई तो उनकी रानी ने सती होने का निर्णय लिया। यह रानी मानव बलि पर रोक लगाना चाहती थी इसलिए इस रानी ने सती होने के बाद माता काली से बात की और गुर के माध्यम से लोगों को बताया कि मानव बलि को बंद करके अन्य व्यवस्था की जाए।फिर थोड़ा समय तक पशु बलि का प्रावधान किया गया लेकिन कहा जाता है की माता काली ने इसे स्वीकार नहीं किया। बिना बलि के माता को मानव रक्त चढ़ाने के लिए पत्थर के युद्ध की शुरूआत की गई। इसके लिए दीपावली का अगला दिन निर्धारित किया गया और आज सैंकड़ों वर्षों से यह परंपरा निरंतर चलती आ रही है। इस परंपरा के लिए गांव के लोगों को 2 समूहों में बांटा गया है जोकि एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं और फिर इस खेल का आनंद लेते है |
अजय सिंह, काँगड़ा
Leave a Reply