हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला की शिखा रानी जो कि अभी ऑस्ट्रिया गईं थी।शिखा रानी स्पेशल ओलंपिक्स भारत की एक ऐसी एथलिट है जिसने ज़िन्दगी से कभी हार नही मानी। ज़िन्दगी ने उसे जो दिया उसने हँस कर उसे गले से लगा लिया। जब शिखा कईं शारीरिक और मानसिक विकलांगताओं के साथ पैदा हुईं तो परिवार के लिए उनकी देखभाल करना एक बड़ी चुनौती बन गई। उनको 15 साल तक देखभाल के लिए एक आवासीय सुविधा केंद्र में भेजा गया था, लेकिन उनके मन में अपने माता-पिता से मिलने की आशा बनी हुई थी। शिखा बिना उंगलियों और पैर के अंगूठों तथा चेहरे पर विकृतियों के साथ पैदा हुईं थी। जिसके कारण उनको लोगों से दूर रखा गया और हमेशा उनका चेहरा छिपाकर रखा गया।
जब उन्होंने विशेष ओलंपिक के लिए प्रशिक्षण लेना शुरू किया उसके बाद उनको आत्म-विश्वास मिला और उन्होंने नए कौशल सिखे। जिससे उनको पहली बार उनको सार्वजनिक प्रशंसा और स्वीकृति मिली।
धीरे-धीरे उनकी क्षमता में सुधार हुआ। उनके पैरों का संतुलन बहुत मुश्किल था, लेकिन उन्होंने उसको खोने नहीं दिया। बिना उंगलियों के बोकस की गेंद को पकड़ना बहुत ही मुश्किल था लेकिन अब उन्होंने इस कला में महारत हासिल कर ली है। अब वो अपनी पहली विश्व खेलों के लिए तैयार हैं। उनके परिवार ने उनको स्वीकार करना शुरू कर दिया है और उनका अपने घर में फिर से स्वागत कर रहे हैं।
Austria में होने जा रहे स्पेशल ओलंपिक्स वर्ल्ड विंटर गेम्स 2017 के लिए, शिखा रानी भी उन सभी 46 स्पेशल गर्ल एथलीट्स में से एक हैं जो भारत का नाम 2017 के विंटर गेम्स में रोशन करने और अपने सपनो को एक नया मक़ाम देने के इरादे के साथ निकल पड़ी हैं।
प्रियंका शर्मा ,बिलासपुर के द्वारा सिटी वूमेन मैगज़ीन के आभार से
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