शादी बहुत से रस्मों-रिवाजों का मेल होता है। हिमाचली शादी में आपको बहुत सी रस्में देखने को मिलती हैं। आज मैं चर्चा करने जा रही हूँ ऐसी ही एक रस्म सिरगुंदी की, जो कि विदाई से ठीक पहले की जाती है। लग्न वेदी होने के बाद जब सब बाराती और दुल्हा खाना खा लेते हैं और विदाई का समय पास आ रहा होता है तो उस समय यह रस्म निभाई जाती है। इसके तुरंत बाद विदाई कर दी जाती है।
सिरगुंदी के लिए लड़की को कणदेवा या देहरे के सामने बिठाया जाता है और लड़के को बुलाया जाता है। लड़के के साथ उसके दोस्त जिनको लजोड़ू कहते हैं, भी अंदर आते हैं। लड़की सहेलियां, जो सामान लड़के वाले लाए होते हैं, से उसका सोलह श्रृंगार करती हैं। लड़का एक एक श्रृंगार का सामान अपनी दुल्हन को सजाने के लिए देता है। एक ओर महिलाएं लोकगीत गा रही होती हैं, कुछ लड़के के साथियों का मजाक उड़ा रही होती हैं।
कईं बार इस रस्म के दौरान लड़की की बहनें अपने जीजा के साथ मजाक करती हैं और उसके साथ सेफ्टी पिन लगाकर चटाई चिपका देती हैं या जीजा के कान भी खींचतीं हैं। इसी तरह हसीं-मजाक में यह रस्म निभाई जाती है और लड़की को विदाई के लिए तैयार किया जाता है।
Sire Mere Chhail Gudaya -Sirgundi Song on YouTube :
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