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मेट्रो का सचा प्यार भाग -3
दिल्ली मेट्रो में सफर करने का मजा ही कुछ और है , ए सी की ठंडी ठंडी हवा के विच में बार बार होती अन्नोऊसमेंट आगे फलाना स्टेशन ,ढमकाँणा स्टेशन , दरवाजे ता दी पासे खुलेंगे ,बखे होई जानेयो बगेरा बगेरा इन सभी चीजो के बिच बिच में महिला या सीनियर सिटीजन की सीट पर बैठने या किसी आन्या मुद्दे पर हुई गरमा गर्मी से हुई लडाई घलाटी तो AC की हवा में मनोरंजन का तड़का लगा देती है , बीते शनिवार को चौधरी साब काँगड़ा वाले अपने परम मित्र कुछ चीजो को डिसकस करने गये अगले दिन सुबह पवन भाई ने मुझे फरिदवाद सेक्टर 28 मैट्रो स्टेशन पर छोड़ दिया,रविबार तो था ही इसलिए पूरा प्लातेफ़ोर्म खाली , में गेट से अंदर जाते हुए अपने मोबाइल में स्पीकआउट हिमाचल  के पोस्ट स्क्रॉल कर कर के पढ रहा था , उपर जाकर देखा तो एक भी सवारी नही थी प्लेटफार्म पर …. मेट्रो के सचे प्यार की दोनों कहानियो के भाग मेरे दिमाग में स्लाइड शो की तरह नेक्स्ट नेक्स्ट हो रहे थे |

करीब 7-8 मिनट बाद एक लड़की लहराते वालो वाली ,5 फीट 8-9 इंच ,white फरोक पहने जिस लेफ्ट राईट तो छोटे छोटे बच्चे चल रहे थे ,शायद उसके छोटे भाई होंगे .. एक दम क्लोज अप वाली मसूहुरी की तरह… हम भी मारने लग गये कल्पनाओ के सागर में डूबकी.. इतना गैप मेट्रो में मेने कभी नही देखा था मुझे प्लेटफॉर्म पर इन्तजार करते तकरीबन 10 मिनट हो गये थे जब अनौस्मेंट हुई – एस्कॉर्ट मुजेसर से मंडी हाउस ,छ डिब्बो वाली ट्रेन प्लातेफ़ोर्म न 2 पर आ रही है .. ट्रेन पहुंचते ही वो लड़की तुरंत जहाँ ट्रेन का दरवाजा खुलता है वहा पहुंच गयी ,रीता के पीछे में भी (रीता मैंने उसका नाम मान लिया ) , पूरी उम्मीद थी की सन्डे है मेट्रो खाली होगी |
लेकिन उम्मीद के विपरीत मेट्रो एकदम भरी पड़ी थी, कोच नम्बर 5 में हम चारो सवार हो गये , मेट्रो का ड्राईवर या तो अनाड़ी था या उसको मेरे पॉइंट बनवाने थे क्युकी एक ही झटके में मेट्रो चल पड़ी ,जिससे वो लगबघ गिर ही चुकी थी की मेरे बाजुयो में न जाने कहा से फुर्ती आई और मैंने उसका हाथ से पकड़ लिया , और पूछा आप ठीक तो हो , उसका जवाब वही था – हम्मम, व्हाट्सएप और फेसबुक वाला हम्मम, जिसका मतलब होता है तेरी इस वकवास का मेरे पास अब कोई जवाब नही है , नो मोर कोनवरसेसन प्लीज | खैर उसके बाद कोई बात नही हुई उस से ,चूँकि वो लेडिज कोच में जा नही सकती थी क्युकी तो निक्के निक्के (इतने निक्के भी नही थे 2nd या 3rd में तो होंगे दोनों ) इसलिए वो भी 5-6 कोच के जोइंटर पर खड़ी हो गयी इतने में बालकटी ( एक दम स्कूल की प्रिंसिपल टाइप ) और उसने अंग्रेजी अल्फाजो में कुछ बाते कही जो बिलकुल मेरे ऊपर से गयी लेकिन मेने भी अपने अनपढ़ होने के सारे सबूत मिटाते हुए वहा से खिसकने में ही भलाई समझी , शायद उसके कहने का मतलब यह था की जोइंटर पर मत खड़े हो लोगो को दिक्कत होती है , मेरे पीछे पीछे #रीता एंड गैंग भी आ गयी , उस समय दिल एक दम गार्डन गार्डन हो गया .. अब में गेट के सामने खड़ा था और दुसरे गेट पर रीता एंड गैंग , मेने उसकी तरफ गोर से देखा , मासूम चेहरा ,कोई मेकअप नही , जब में उसको घुर रहा था उसके चेहरे पर एक बार समाइल आई ..बस अब तो में पूरा डूब चुका था प्यार में |
अगले स्टेशन पर एक सफेद कपडे पहने हरयाणवी ताऊ आ गया .. दूध के 2 बड़े बड़े डब्बे ले कर .. और इक डिब्बा लगबघ में पैर से मात्र आधा मिलीमीटर दूर फेंक कर बोला “रे भाई यो थोडा पाछे ने डट ले ,दिखू न तन्ने दूध निक्क्ड गया मेरा तेरे चकरो में “|
ताऊ की सेहत और नर्म बोली देख कर दुसरे कोने में दुबक गया .. रीता इस बिच अपने फ़ोन की स्क्रीन को उंगलियो से अलादीन के चिराग की तरह रगड़े जा रही थी , में देख रहा था की कहा सीट खाली हो और कहाँ में बात शुरू करू |लेकिन दुर्भाग्य को कुछ और ही मंजूर था एकाएक मेट्रो में अनौस्मेंट हुई अगला स्टेशन सराय है , दरवाजे बाई तरफ खुलेगे | दरवाजे बाई तरफ खुले और वो बाहर चली गयी ,शायद उसको रिलायंस माल जाना था | उसके बाद मेरा स्टेशन था , जैसे ही मेरे स्टेशन पर मेट्रो रुकी मेने देखा दो पुलिस वाले एक लड़के को बाजू से पकड कर ले कर जा रहे है ,मेने लोगो से पता किया तो पता चला लड़की को छेड़ दिया था , माहो में गलाया ऐसी तैसी मेट्रो दे सचे प्यार की , माना की खोपड़ी उलटी है पर इतनी भी उलटी नी है , अज्जे ते बाद बाजीसार इना मेट्रो दिया कहानिया ते |
मेट्रो वाली फिल्म बनाने का आईडिया कैंशल, लेकिन वो जो कांगड़ा जमींन ली है उसमे में अब भैस पालूंगा और जो कांगड़ा केंद्रीय बैंक में लोन के लिए अप्लाई किया है उस पैसे को में भैंसों में इन्वेस्ट करूंगा |
लेकिन एक भैंस का नाम #रीता जरूर रखूंगा

Tags : Delhi Metro Story, Delhi Metro ki Kahani ulti khopdi

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