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भांग की खेती को कानूनी दर्जा देने पर विचार करेगी हिमाचल सरकार, स्वरोजगार के साथ आर्थिकी होगी मजूबत

कोरोना वायरस (Corornavirus) और लॉकडाउन (Lockdown) के बाद से पूरे देश में अर्थव्यवस्था डगमगाई हुई है. सभी राज्य धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियों तो तेज करने और रोजगार के अवसर पैदा करने के नए-नए आयाम खोज रहे हैं. इस बीच हिमाचल प्रदेश सरकार आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक नायाब तरीका निकाला है. आने वाले कुछ दिनों में राज्य में भांग (cannabis) की खेती को लीगल बनाया जा सकता है. अगर सरकार भांग की नियंत्रित खेती को लीगल बनाती है तो इससे राज्य को हर साल करीब 18 हजार करोड़ की कमाई हो पाएगी.

एक जानकारी के अनुसार मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश में 2400 एकड़ भूमि पर भांग की अवैध खेती हो रही हैं. यहां से करीब एक हजार करोड़ रुपये का चरस दूसरे देशों में स्मगलिंग के जरिए भेजा जाता है. यहां के शिमला, चंबा, सिरमौर में पाया जाना वाले भांग की राजस्थान में बड़ी मात्रा में बिक्री होती है. कुछ विधायकों का कहना है कि अगर भांग की खेती को वैध बनाया जाता है तो इससे राज्य में 50 हजार नई नौकरियां उत्पन्न होंगी

भांग की खेती के लाभ और इसका दवा में इस्तेमाल के चलते हिमाचल सरकार इसे कानूनी दर्जा देने के लिए नीति बनाने पर विचार करेगी। यह बात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिमला स्थित हिमाचल विधानसभा में शुक्रवार को एक संकल्प के जवाब में कही। उन्होंने कहा कि भांग की खेती को सरकारी नियंत्रण में करने से यह आय का बड़ा साधन बन सकती है। अन्य राज्य भी कानूनी तौर पर इसकी खेती की अनुमति देने लगे हैं। इसका इस्तेमाल दवा में होता है और इसे वस्त्र, जूतों व रस्सी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके बहुत फायदे हैं, लेकिन दूसरा पहलू यह है कि इसे नशे के तौर इस्तेमाल किया जाता है जो युवाओं के भविष्य को खराब कर सकता है।

गौरतबल है कि कोविड-19 महामारी के बाद से हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से डगमगाई हुई है. राज्य सरकार में इन दिनों कर्ज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है. कोरोनावायरस की वजह से राज्य सरकार में 2020 में 60 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज बढ़ जाने से सरकार अब कमाई के नए तरीके तलाश रही है. बजट सत्र के दौरान हाल ही में सीएम जयराम ठाकुर ने इस बात के संकेत दिए थे कि राज्य में भांग की नियंत्रित खेती के माध्यम से राज्य की आय को बढ़ाया जा सकता है.

एनडीपीएस एक्ट का हवाला

सदन में उन्होंने कहा था कि राज्य में उत्पादित होने वाली भांग उच्च स्तर की है और इसकी काफी मांग भी है. इसकी नियंत्रित खेती की जा सकती है. उन्होंने कहा कि एनडीपीएस एक्ट 1985 में भांग की खेती इसके उत्पादन और रख रखाव के प्रावधान दिए गए हैं.

बता दें उत्तराखंड में है भांग की खेती लीगल

कि हिमाचल प्रदेश से पहले उत्तराखंड और मध्य प्रदेश ने भी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के उद्देश्य से भांग की खेती को कानूनी मान्यता दी है. उत्तराखंड ने 2017 में भांग की खेती को लीगल करार दिया था जबकि इसके बाद मध्य प्रदेश ने इसे वैध घोषित किया था.

image Credit alamy stock

2400 एकड़ भूमि में हो रही खेती

एक जानकारी के अनुसार मौजूदा समय में हिमाचल प्रदेश में 2400 एकड़ भूमि पर भांग की अवैध खेती हो रही हैं. यहां से करीब एक हजार करोड़ रुपये का चरस दूसरे देशों में स्मगलिंग के जरिए भेजा जाता है. यहां के शिमला, चंबा, सिरमौर में पाया जाना वाले भांग की राजस्थान में बड़ी मात्रा में बिक्री होती है. कुछ विधायकों का कहना है कि अगर भांग की खेती को वैध बनाया जाता है तो इससे राज्य में 50 हजार नई नौकरियां उत्पन्न होंगी

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