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हिमाचली कविता-सड़कां

सड़कां हुण वणियां, पहलें रस्ते चलदे थे दिन रात। निड़र होई जांदे थे, सियाला हो चाहे वरसात।। हंड़दे थे लमियां वतां, चढदे उतरदे थे कुआलू। ज़ालू थकी...

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