nag mandir
Spread the love

श्री शेष नाग देवताज् जमुआलां दा नाग

naag mandir

कांगड़ा देवीदेवताओं की पवित्र भूमि है और जिला कांगड़ा का विशेष महत्व है। यहां प्रत्येक देवीदेवता अपनीअपनी पवित्र अमर कथा से सुशोभित है, जिनसे यहां की संस्कृति पर देव पूजा की अमूल्य छाप है।

ऐसा ही एक पवित्र मंदिर है च्श्री शेष नाग देवताज् जमुआलां दा नाग है, जोकि जिला कांगड़ा के गांव चेलियां(रानीताल) में स्थित है। यह नाग मंदिर के नाम से विख्य़ात है। यह पवित्र स्थान होशियारपुरधर्मशाला

सड़क पर स्थित रानीताल से करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर है। बुजुर्गों के अनुसार लोग इस दिव्य शक्ति को श्री नाग देवता (जमुआलां दा नाग) के नाम से जानते हैं, परंतु मंदिर के पुजारी प्रमोद सिंह जमुआल इसे श्री शेष नाग के नाम से संबोधित किया है।

naag mandirउनके अनुसार सदियों पहले जमुआल परिवार जम्मू से गांव चेलियां में बस गया था। नाग देवता जमुआल परिवार के कुल देवता हैं और इन्हें वह अपने साथ नहीं लाए। नाग देवता भी इस गांव चेलियां में आना चाहते थे। जब जमुआल परिवार पूर्ण रूप से बस गया तो नाग देवता ने परिवार के विद्वान बुजुर्ग को रात को स्वप्न में कहा, च्च्मैं भी आपके साथ गांव चेलियां में आना चाहता हूं।ज्ज् तब जमुआल परिवार ने एक पालकी तैयार की और उन्हें सम्मान सहित गांव में लाया गया। यहां पर नाग देवता जी की पिंडी को विधि विधान से वर्तमान जगह पर विराजमान किया गया।

जमुआल परिवार शुभ अवसरों पर भोग लगा देते थे और कुल देवता की विधी विधान से पूजा अर्चना करते थे, परंतु उन्हें इनकी अलौकिक शक्ति का बोध नहीं था। फिर एक दिन मंदिर की पिछली तरफ की पहाड़ी पर गांव कोठार से जमींदार का ग्वाला प्रतिदिन की भान्ति पशुओं को चराने लाया। लोगों के अन्य पशुओं के झुंड भी यहां चर रहे थे, परन्तु चरते चरते जमींदार के बैल को सांप ने काट लिया। बैल देखते ही देखते धरती पर गिर गया और बेहोशी की स्थिति में गया। यह सब देखकर ग्वाला घबरा गया और सोचने लगा यदि बैल मर गया तो मालिक या तो मुङो मार देगा या बैल की कीमत मुझसे वसूल करेगा जो मैं देने में सक्षम नहीं हूं। ग्वाले के मन में विचार आया कि यह जो जमुआल परिवार के कुल देवता की मूर्ति है। वहां जाकर प्रार्थना की जाए ताकि बैल बच जाए। अत: ग्वाले ने निर्मल मन से प्रार्थना की और मन्नत मांगी कि यदि बैल बच गया तो मैं अगले दिन अपनी रोटी से कुछ बचाकर आपकी मूर्ति पर चढ़ाउंगा। ग्वाले ने मूर्ति के ऊपर से कच्चे धागे को अपने पास एक बंधन के रूप में रखा जो आज दिन तक प्रसाद के रूप में दिया जाता है तथा मिट्टी को पानी में घोल कर पिला दिया। और कुछ क्षणों में बैल ठीक हो गया।

naag

अगले दिन उसने रोटी खाई और बाबा जी के नाम की रोटी रखना भूल गया। वह पशुओं को चराने के लिए उन्हें मुक्त करने लगा तो वह धरती पर गिर पड़ा और उसकी स्थिति पिछले दिन जैसी हो गई। उसने मालिक को सारा वृतान्त सुनाया। मालिक ने नाग देवता से ग्वाले की मन्नत का समर्थन किया और कहा कि जो मन्नत मेरे ग्वाले की है वो तो मैं चढ़ाउंगा ही, साथ ही अलग से आटा उसमें मीठा डालकर आपकी मूर्ति के समक्ष भेंट करुंगा। परन्तु मेरा बैल ठीक हो जाए। उसके कुछ क्षणों बाद ही बैल स्वस्थ हो गया। उन्होंने सारा वृतान्त जमुआल परिवार के बड़े बुजुर्ग विद्वान को सुनाया तथा उनकी उपस्थिति में अपनी मन्नत को मूर्ति के समक्ष भेंट किया। जमुआल परिवार के बड़े बुजुर्ग विद्वान ने ग्वाले द्वारा बताए कच्चे धागे, चरणामृत एवं मिट्टी को मूर्ति से स्पर्श करके दर्शन करने वालों को प्रसाद के रूप में में देना प्रारम्भ किया जो कि आज भी प्रचलन में है।

आज भी लोग यहाँ की मिटटी घर ले जाते है

इस मंदिर की परिक्रमा करने के बाद आज भी लोग यहां से मिटटी घर ले जाते है और उसे पानी में घोल कर घर के आस पास छिड़कते है ,ऐसी मान्यता है की ऐसा करने से घर में साँप ,बिच्छू आदि जहरीले जीव घर से दूर रहते है

कब आएं – रानीताल में स्थित नाग मंदिर

mandir

नाग देवता के दर्शनों के लिए श्रावण मास के हर शनिवार व मंगलवार को उत्तम माना गया है, क्योंकि नाग देवता का जन्म शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास में हुआ था। नाग पंचमी भी प्राय: इसी मास में आती है। उसी समय से श्रावण मास के हर शनिवार व मंगलवार को नाग देवता के वारों (मेलों) का शुभारंभ हुआ जो आज भी प्रचलित है।

himachali rishta nagrota bagwan

क्या आप हिमाचली है और अपने या किसी रिश्तेदार के लिए अच्छा रिश्ता ढूंड रहे है ?आज ही गूगल प्ले स्टोर से हिमाचली रिश्ता की एप डाउनलोड करे और चुने हजारो हिमाचली प्रोफाइल में उचित जीवनसाथी हिमाचली रिश्ता डॉट कॉम पर 

Himachal Matrimonial Service Himachali rishta

Facebook Comments

Leave a Reply