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जुवेनायल जस्टिस बिल कल राज्य सभा में पास हो गया लेकिन निर्भया प्रकरण का आरोपी इसके दायरे से बाहर था क्युकी यह बिल आगामी अपराध पर लागु होगा | अब में इस बिल से हट कर कुछ लिख  रहा हु ,

आप में जो दिल्ली में रहते है उन्होंने यह चीज नोट करी होगी| कई बार में दिल्ली की डी टी सी , ऑरेंज बस ( डेल्ही ट्रांजिट ) और आर टी बी में अक्सर के गैंग देखि जा सकती है, नेवी ब्लू रंग की शर्ट और डार्क ब्लू पैंट जो निचे से एक दम तंग होगी , हेयर स्टाइल अजीब से (हनी सिंह टाइप) , कंधो पर स्कूल बैग लटकाए, उम्र  12- 18 बर्ष | अक्सर तू तडाक कर के बात करते है और सरकारी बस में तो इनका पास होता है ,लेकिन प्राइवेट बसों में दादागिरी से यह टिकेट नही लेते है , कोई कंडक्टर भी इनकी यूनिफार्म देख कर ही टिकेट के लिए पूछने से डरता है | हर किसी पर टोंट बाजी करना इनकी दिनचर्या का के हिस्सा है |

इन्ही में से एक बडा बर्ग नशों और गलत धन्दो के तरफ बड रहा है , हालाँकि की मुझे पता नही है लेकिन जब भी निर्भया परकर्ण याद आता है तो मेरे मन में जो छवि आती है वो इसी गैंग के किसी लड़के के बनती है |

अब मुद्दे के बात पर आते है , क्या हमारा समाज और शिक्षा प्रणाली ऐसे बच्चो को जन्म दे रही है ? क्या स्कूलों में जहाँ एक तरह अंग्रेजी को अनिवार्य किया जा रहा है वही नैतिक सिक्षा को भी अनिवार्य नही किया जाना चाहिए ?

आज 9X Music या दूसरा मुजिक चैनेल लगते ही गाना बज रहा होता है – डैड मम्मी है नही घर में ,पार्टी करेंगे , न्यूज चैनल लगाने पर भाजपा कांग्रेस पर ,कांग्रेस भाजपा पर बयान बाजी कर रही होती है या बड़े बड़े अक्षरों में एक दो कोडी की घटिया न्यूज़ फ़्लैश हो रही होती है , धार्मिक चनेलो में एक ढोंगी बाबा उपदेश दी रहे होती है, दूरदर्शन ,किसान चैनेल या बाबा रामदेव का योगा कोई नही देखना चाहता |

साफ़ है मीडिया को पैसे बनाने से मतलब है न की युवाओ और किशोरों को सही मार्ग पर लाने से | हमारे देश की शिक्षा प्रणाली को होड़ लगी है अंग्रेजो से मुकाबला करने की सेक्स शिक्षा , मानसिक और शारीरिक शिक्षा, योगा , अध्यातम आदि हमारे शिक्षा तंत्र में है ही नही , क्युकी बुधिज्वियो को लगता है इस से हमारा देश पिछड़ जायेगा , अगर विज्ञानं की बात भी करे तो तो बड़े बड़े अविष्कार करने वाले विज्ञानिक भी भारत में बहूत कम है और जो आर्यभट आदि थे वो अध्यातम का भी अच्छा ज्ञान रखते थे | हमने बच्चो के कंधे पर बस किताबे लाद कर ज्ञानी बना रहे है ताकि वो गूगल ,ओरेकल और याहू जैसी बड़ी कम्पनियों की सेवा कर सके|

मेरे ख्याल से आज  जरूरत है इन किशोरों को एक अच्छी  गाईड लाइन की , कोंसलिंग की ,क्युकी यह इस देश का भविष्य है , अगर हम इनको सुधार लेंगे मतलब हम देश की नीव को सुधार लेंगे, हो सकता है फिर हमें किसी मोमबती गैंग का सदस्य न बनना पड़े ,  हो सकता है फिर जुव्नाय्यल बिल को प्रयोग करने की जरूरत ही न पड़े , हो सकता है की देश में कोई अगला निर्भया पर्करण ही न हो |

-सतीश मलांच चौधरी


 

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