कोरोना वायरस ने भारत सहित पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। ओमीक्रोन वेरिएंट के आने के बाद नए दैनिक मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। देश में रोजाना दो लाख के करीब नए मामले सामने आ रहे हैं और सैकड़ों लोगों की मौत हो रही है। एक्सपर्ट्स इसे कोरोना की तीसरी लहर मान रहे हैं।
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच एक उम्मीद भरी खबर हिमाचल प्रदेश से आई है. हिमाचल प्रदेश के मंडी में स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) के शोधकर्ताओं ने बताया है कि यहां पाए जाने वाले बुरांश के फूल से भी कोविड-19 संक्रमण को मात देने में मदद मिल सकती है. एक प्रयोग के दौरान ये साबित हुआ है कि इसके फूलों की पंखुड़ियों में मौजूद फाइटोकैमिकल कोरोना को मल्टीप्लाई होने से यानी बढ़ने से रोकता है
बुरांश का वैज्ञानिक नाम रोडोड्रेंड्रॉन अर्बोरियम (Rhododendron arboreum) है. इसके फूल के अर्क का इस्तेमाल पहाड़ पर रहने वाले लोग पीने के लिए करते हैं. पहाड़ पर रहने वाले लोग फूल के जूस का इस्तेमाल तमाम अन्य प्राकृतिक इलाज के तौर पर भी करते हैं. अब इसको लेकर वैज्ञानिकों ने एक नया शोध किया है जिसमें पाया गया है बुरांश की पंखुड़ियों के अर्क ने कोविड-19 वायरस को बनने से रोका है.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (आईसीजीईबी) के शोधकर्ताओं ने इस हिमालयी फूल की पंखुड़ियों में फाइटोकेमिकल्स की पहचान की है, जो संभवत कोविड-19 संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं.
रिसर्च टीम के निष्कर्ष हाल ही में जर्नल ‘बायोमोलेक्यूलर स्ट्रक्चर एंड डायनेमिक्स’ में प्रकाशित हुए हैं. रिसर्च टीम की सदस्यों के अनुसार, COVID-19 महामारी में दो साल, शोधकर्ता वायरस की प्रकृति को समझने और संक्रमण को रोकने के नए तरीकों की खोज करने की कोशिश कर रहे हैं. जबकि टीकाकरण (Vaccination) शरीर को वायरस के खिलाफ लड़ने की ताकत प्रदान करने का एक जरिया है. गैर-वैक्सीन दवाओं की दुनिया में ये खोज मानव शरीर के वायरल आक्रमण को रोक सकती हैं. आईआईटी मंडी के स्कूल ऑफ बेसिक साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर श्याम कुमार मसकापल्ली (Shyam Kumar Masakapalli) ने कहा कि ये रसायन शरीर की कोशिकाओं और वायरस को उनमें प्रवेश करने से रोकते हैं.
प्रोफेसर श्याम कुमार मसकापल्ली ने आगे कहा कि, पौधे में कई प्रकार के मेडिकल एजेंटों का अध्ययन किया जा रहा है. कम विषाक्तता (Fewer Toxicity) के चलते इस प्राकृतिक स्रोत को विशेष रूप से आशाजनक माना जा रहा है. हिमालयी बुरांश पौधे (Buransh Plant) की पंखुड़ियां स्थानीय आबादी द्वारा कई तरह के स्वास्थ्य लाभों के लिए कई रूपों में सेवन की जाती हैं. शोधकर्ताओं ने बुरांश की पंखुड़ियों से फाइटोकेमिकल्स (Phytochemicals) निकाले और इसके एंटीवायरल गुणों को समझने के लिए जैव रासायनिक परख और कम्प्यूटेशनल सिमुलेशन अध्ययन किया. इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी हेल्थ ग्रुप के रंजन नंदा ने कहा, “हमने हिमालयी वनस्पतियों से प्राप्त रोडोडेंड्रोन अर्बोरियम पंखुड़ियों के फाइटोकेमिकल्स की जांच की है और इसे कोविड वायरस के खिलाफ एक आशाजनक केमिकल के रूप में पाया है.” पौधे की पंखुड़ियों के गर्म पानी के अर्क में क्विनिक एसिड और इसके डेरिवेटिव प्रचुर मात्रा में पाए गए
बुरांश के फूलों से तैयार अर्क का इस्तेमाल कई रोगों में किया जाता है, जैसे- हृदय रोग, जुकाम, सिरदर्द, बुखार और मांसपेशियों का दर्द. इसके अलावा इसकी पत्तियों से चटनी भी बनाई जाती है जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है. अब कोविड में भी इसका इस्तेमाल हो सकेगा
पहाड़ों पर खिलने वाला लाल बुरांश का फूल न सिर्फ दिखने में बेहद खूबसूरत लगता है बल्कि सेहत के लिहाज से भी कई मायनों में खास होता है। गर्मियों में लू, खांसी, बुखार जैसी बीमारियों को दूर भगाने के लिए यह दवा जैसा ही काम करता है। बुरांश के फूलों से तैयार जूस व अन्य उत्पादों का सेवन करने से आपके दिल की सेहत बने रहने के साथ शरीर में खून की कमी भी दूर होती है
बुरांश के जूस का सेवन करने से लीवर संबंधी रोग नहीं होते। इसके अलावा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है
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