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आपने बहुत से घरों में देखा होगा की भाभी-ननद में अक्सर नोक-झोंक होती रहती है. क्या आप जानते है, की इसका आरंभ भगवान शिव के परिवार से हुआ था. भगवान शिव के परिवार से तो सभी परिचित है. लेकिन बहुत कम लोग ये जानते है, की भगवान शिव की एक बहन भी थी, जिसका उल्लेख बहुत कम ग्रंथों में किया गया है. आइये जानते है, भगवान शिव की बहन कौन थी? और भाभी-ननद की नोक-झोंक के पीछे क्या कारण था?

भाभी-ननद के झगड़े की शुरुआत हुई थी शिव जी के परिवार से शुरू

आप सोंच रहे होंगे की भगवान शिव तो अजन्मे थे, फिर उनकी बहन कैसे हो सकती है? तो हम आपको बता दें, की असावरी देवी भगवान शिवकी बहन थी.

भगवान शिव की पत्नी पार्वती और उनके बच्चो गणेश-कार्तिक के बारे में तो सारी दुनियां जानती हैं. लेकिन बहुत कम लोगो को ये बात पता हैं कि भगवान शिव की एक बहन भी थी जिसका देवी असावरी था. आज हम आपको शिव भगवान की इस बहन के जन्म की कहानी सुनाएंगे

यह उस समय की बात है, जब भगवान शिव व माता पार्वती का विवाह हुआ था. विवाह के बाद कैलाश पर आकर माता पार्वती को अकेलापन महसूस होने लगा. जिसके कारण उनके मन में अक्सर यही विचार आता की काश उनकी कोई ननद होती, जिसके साथ वह अपने मन की बातें करती और उनका अकेलापन भी दूर हो जाता.

भगवान शिव को माता पार्वती के अंतर्मन की यह बात जैसे ही पता चली, तो उन्होंने अपनी माया से एक देवी को प्रकट किया, जो देखने में बहुत ही विचित्र थी. भगवान शिव ने उस देवी का नाम असावरी बताया.

असावरी देवी देखने में पूरी तरह शिवजी जैसी ही थी. पैदा होते समय उनके पैर में एक बड़ी सी दरार थी और वो जानवर की खाल के आलवा कुछ नहीं पहने थी.देवी असावरी के प्रकट होने पर माता पार्वती की इच्छा पूर्ण हो गई.

asavari-devi-sister of lord shiva

अपनी ननंद को देख पार्वती जी बड़ी खुश हुई. उन्होंने अपनी ननंद को सजाने के लिए अपने कपड़े दिए लेकिन वो छोटे पड़ गए. इसके बाद जब ननंद ने भोजन की फरमाइश की तो पार्वती ने बड़े प्यार से ननंद को भोजन खिलाना शुरू किया.

लेकिन असावरी देवी का पेट इतनी आसानी से नहीं भरा वे धीरे धीरे कर कैलाश पर्वत में रखा सारा भोजन ग्रहण कर गई. अब यहाँ भगवान शिव और कैलाश के अन्य लोगो के लिए खाने को कुछ भी नही बचा था.

असावरी की इस हरकत को देख पार्वती जी टेंशन में आ गई और खाने की समस्यां की शिकायत लेकर शिवजी के पास जानने लगी. लेकिन तभी असावरी देवी को एक शरारत सूझी और उन्होंने पार्वती जी को अपने पैरो की दरारों के बीच छिपा लिया.

थोड़ी देर बाद जब शिवजी ने आकर पार्वती के बारे में पूछा तो असवारी ने कहा उन्हें कुछ नही पता हैं. लेकिन शिवजी असावरी की शरारत समझ गए. उन्होंने असावरी से पार्वती को आजाद करने की विनती करी. इसके बाद असावरी ने अपना पैर झटका और उसमे से पर्वती माँ बाहर गिर गई.

अब पार्वती जी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच चुका था. उन्होंने शिवजी से विनती करी कि वे असावरी को ससुराल भेज कैलाश पर्वत से विदा करे. जिसके बाद शिवजी ने असावरी देवी को कैलाश से विदा कर दिया.

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