फागली उत्सव और टुंडीया राक्षश

Spread the love

टुंडीया राक्षश से जुडा फागली उत्सव और देव नृत्य

देवभूमि कुल्लू में करीब एक महीने तक चलने वाले फागली उत्सव को लेकर लोगों में भारी चहल-पहल रहती है। यहां के हर गांव में फागली उत्सव की धूम दशहरे से कम नहीं रहती। हां इतना फर्क अवश्य है कि कुल्लू दशहरे में यहां के ऐतिहासिक मैदान में सैकड़ों देवी-देवता शिरकत करते हैं, लेकिन गांव में मनाए जाने वाले फागली उत्सव में वहां के दो या तीन देवी-देवता शिरकत करते हैं। यदि उत्सव के दृष्टिगत शनिवार को विश्व धरोहर नग्गर में चचोगी व रूमसू गांव में एक साथ फागली उत्सव मनाया जाता है। रूमसू गांव के देवता शुभ नारायण व चचागी गांव में देवता राजा बलि को लेकर उत्सव का आयोजन हुआ। इस उत्सव में क्षेत्र के हजारों लोग शिरकत करके इस पांरपारिक उत्सव में देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेते हैं। इसी कड़ी में रूमसू गांव में देवता शुभ नारायण के प्रांगण में पांच लोग मुखौटा पहने व शरीर को घास व पत्तियों को पहनकर नृत्य करते हैं, जिनके आगे एक आदमी जिसे धुरी के नाम से जाना जाता है, उन पांचों मखौटाधारी का नेतृत्व करता है।

फागली

ऐसा माना जाता है कि किसी जमाने में टूंडिया राक्षस इस गांव में आया और उसने देवता शुभनारायण व देवता राजा बलि क ी बहन से ब्याह रचाया। ऐसी मान्यता है कि जब टूंडिया राक्षस अपने ससुराल आता है तो उसके स्वागत में इस उत्सव को मनाया जाता रहा। मखौटे में नृत्य करने वाले पांचों लोगों को टूंडिया राक्षस का प्रतीक समक्ष जाता है। नाचते समय यह पांचों लोग हाथ पकड़ते हैं तथा हाथों में मुट्ठी भर घास लेकर नृत्य करते हैं। यदि नृत्य करने समय किसी का हाथ छूट जाता है और हाथ से घास भी गिर जाती है तो उसे अपशगुन माना जाता है। 

क्या आप हिमाचली जीवनसाथी ढूंड रहे है ? आज ही रजिस्टर करे हिमाचल कि सबसे बड़ी ऑनलाइन मटरीमोनिअल  सेवा हिमाचली रिश्ता डॉट कॉम (www.himachalirishta.com )पर 

भगवान् विष्णु को समर्पित फागली उत्सव में देव नृत्य

fagli festivalजिला कुल्लू में फागली उत्सव भगवान् विष्णु को समर्पित है पोश के महीनो में जहा घाटी के सब देवी देवता स्वर्ग परवास में होते है वहा भगवान् विष्णु फागली उत्सव में विद्यमान रहते है बुरी ब आसुरी शक्तिओ को भगवान् विष्णु मोहिनी अवतार धर कर मोहित कर भगा देते है प्रतिक स्वरुप घास से बने पहनावे ब मुखोटे पहन कर ये उत्सव मनाया जाता है

fagli utsab

यह फागली उत्सव टुन्डी नाम के एक राक्षस को समर्पित होता है और हर साल मनाया जाता है।

fagli festival dance

रूमसू गांव में देवता शुभ नारायण के प्रांगण में पांच लोग मुखौटा पहने व शरीर को घास व पत्तियों को पहनकर नृत्य करते हैं, जिनके आगे एक आदमी जिसे धुरी के नाम से जाना जाता है

fagli kullu

मखौटे में नृत्य करने वाले पांचों लोगों को टूंडिया राक्षस का प्रतीक समक्ष जाता है

भूतप्रेत आत्माओं को भगाना

पोषमहीने में यहां के देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर होते हैं और क्षेत्रोंं में भूत-प्रेतों का वास रहता है। इन प्रेत आत्माओं भूतों को भगाने के लिए देवता करथा नाग बासुकी नाग तथा इनके सहायक देवता आहिडू महावीर, सिहडू देवता, गुढ़वाला देवता, खोडू, दंईत देवता इस करथा उत्सव में इन राक्षस रूपी मखौटों के साथ नृत्य कर भूत-प्रेतों बूरी आत्माओं को भगाया जाता है।

लाहोल में फागली पर लोग मिलकर नाचते-गाते हैं और खाने के लिए पकवान बनाए जाते हैं। खाने के लिए पूड़ियां जिनको “खुरा” बोलते हैं, बनाई जाती है। इसके अलावा मेहमान को सब्जी, नमकीन चाय, लुग्ड़ी या शराब दिए जाते हैं।
मेहमान जब घर से जा रहे होते हैं तो घर का एक सदस्य मेहमानों को टीका लगाता है और फूल देता है और बड़ों से आशीर्वाद लेता है।

 

फागली उत्सव में होने वाला नृत्य

चचोगी फागली में होने वाला मखोटा नाचदेवभूमि कुल्लू में करीब एक महीने तक चलने वाले फागली उत्सव को लेकर लोगों में भारी चहल-पहल रहती है। यहां के हर गांव में फागली उत्सव की धूम दशहरे से कम नहीं रहती। हां इतना फर्क अवश्य है कि कुल्लू दशहरे में यहां के ऐतिहासिक मैदान में सैकड़ों देवी-देवता शिरकत करते हैं, लेकिन गांव में मनाए जाने वाले फागली उत्सव में वहां के दो या तीन देवी-देवता शिरकत करते हैं। यदि उत्सव के दृष्टिगत शनिवार को विश्व धरोहर नग्गर में चचोगी व रूमसू गांव में एक साथ फागली उत्सव मनाया जाता है। रूमसू गांव के देवता शुभ नारायण व चचागी गांव में देवता राजा बलि को लेकर उत्सव का आयोजन हुआ। इस उत्सव में क्षेत्र के हजारों लोग शिरकत करके इस पांरपारिक उत्सव में देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेते हैं। इसी कड़ी में रूमसू गांव में देवता शुभ नारायण के प्रांगण में पांच लोग मुखौटा पहने व शरीर को घास व पत्तियों को पहनकर नृत्य करते हैं, जिनके आगे एक आदमी जिसे धुरी के नाम से जाना जाता है, उन पांचों मखौटाधारी का नेतृत्व करता है। ऐसा माना जाता है कि किसी जमाने में टूंडिया राक्षस इस गांव में आया और उसने देवता शुभनारायण व देवता राजा बलि क ी बहन से ब्याह रचाया। ऐसी मान्यता है कि जब टूंडिया राक्षस अपने ससुराल आता है तो उसके स्वागत में इस उत्सव को मनाया जाता रहा। मखौटे में नृत्य करने वाले पांचों लोगों को टूंडिया राक्षस का प्रतीक समक्ष जाता है। नाचते समय यह पांचों लोग हाथ पकड़ते हैं तथा हाथों में मुट्ठी भर घास लेकर नृत्य करते हैं। यदि नृत्य करने समय किसी का हाथ छूट जाता है और हाथ से घास भी गिर जाती है तो उसे अपशगुन माना जाता है। शनिवार को जिस तरह से हजारों लोगों की उपस्थित में फागली उत्सव में यह आयोजन हुआ लोगों की अपने अराध्य देवी देवताओं से आशीर्वाद भी मिला।


हिमाचली शादी से जुड़े और भी अपडेटस के लिए इस पेज को लाइक और शेयर करना न भूले, अगर आप परिवार में किसी के लिए रिश्ता ढूंड रहे है तो हिमाचल कि पहली ऑनलाइन मटरीमोनिअल सेवा www.himachalirishta.com पर बिलकुल फ्री रजिस्टर करे

Posted by Himachali Rishta.Com on Thursday, February 9, 2017

 

बोध धर्म में भी फागली और लोसर को  मनाया जाता है I पांगी ,किन्नौर, लाहौल-स्पीति में बौद्ध धर्म के होने के कारण हिमाचल में भी लोग बहुत उल्लास से मनाते हैं।

लोसर का मतलब होता है नव वर्ष का उत्सव। बौद्ध धर्म में सितारों के हिसाब से फागली यानी लोसर के दिन से नया साल शूरू होता है और यह उत्सव लगभग एक महीने तक मनाया जाता है। इस दौरान लोग एक दूसरे के घर जाते हैं और शुभकामनाएं देते हैं। मेजबान के घर जब जाते हैं तो फूल लेकर जाते हैं और कहते हैं “लोसमा ताशी” जिसका मतलब है “नववर्ष की शुभकामनाएं” और जवाब में कहते हैं “ताशी”।
फागली के दिन जो पूजा की जाती है उसके लिए सत्तू और मक्खन से पिण्डी रूप बनाया जाता है जिसे “ब्रेंगयास” कहते हैं। उसे भगवान की तरह पूजते हैं और फूल अर्पित किए जाते हैं। उसके बाद घर के मुखिया और फिर परिवार के बाकी सदस्यों को फूल देते हैं।

लोसर

फागली से पिछले दिन “हाल्दा” होता है। उस दिन मशाल जलाते हैं और उसको किसी खास चुनी हुई जगह पर रखकर आते हैं। वहां से वापस आते समय कुछ पत्थर लेकर आते हैं और उसे भी ब्रेंगयास के साथ पूजा के स्थान पर रखा जाता है।
बौद्ध धर्म में “लो” का मतलब राशि होता है और 12 लो होते हैं। हर 12 साल बाद लो आता है और इस बार “चिड़िया” लो है। इसक मतलब है जो इस साल 12, 24, 36,48 साल के हुए या होने वाले हैं उनका लो चिड़िया है।

क्या आप हिमाचली जीवनसाथी ढूंड रहे है ? आज ही रजिस्टर करे हिमाचल कि सबसे बड़ी ऑनलाइन मटरीमोनिअल  सेवा हिमाचली रिश्ता डॉट कॉम (www.himachalirishta.com )पर 

 

नोट : यह जानकारी हमने विभिन्न स्त्रोतों से जुटाई है,इसमें त्रुटियाँ हो सकती है,जिसके लिए हम क्षमा चाहते है I हमारा उदेश्य हिमाचल कि संस्कृति को प्रतोसहित करना है अगर कोई गलती होती है तो आपसे कमेंट में संशोधन के अपेक्षा रहेगी

क्या आप हिमाचली है और अपने या किसी रिश्तेदार के लिए अच्छा रिश्ता ढूंड रहे है ?आज ही गूगल प्ले स्टोर से हिमाचली रिश्ता की एप डाउनलोड करे और चुने हजारो हिमाचली प्रोफाइल में उचित जीवनसाथी हिमाचली रिश्ता डॉट कॉम पर 

Himachal Matrimonial Service Himachali rishta

Facebook Comments

Leave a Reply