प्रो-कब्बडी का पांचवां सीजन शुरू हो गया है। यह कब्बडी में माहिर विभिन्न खिलाड़ियों के लिए अपनी प्रतिभा और क्षमता दिखाने का अच्छा प्लैटफार्म है। आई पी एल के बाद भारत में लोग प्रो-कब्बडी की लेकर उत्साहित रहते हैं। इससे क्रिकेट के अलावा बाकी खेलों और खिलाड़ियों को भी पहचान मिल रही है। ऐसे ही हिमाचल के एक प्रतिभाशाली और स्टार खिलाड़ी हैं अजय ठाकुर जिन्होंने इस खेल में अपनी अलग पहचान बनाई है।
अजय ठाकुर हिमाचल प्रदेश में नालागढ़ के दभोटा नामक गांव में एक साधारण से परिवार में पैदा हुए हैं। इनका जन्म 1 मई 1986 को पिता श्री छोटू राम और माता श्रीमती राजिन्दर कौर के घर हुआ। प्रारंभिक शिक्षा संत इशर सिंह पब्लिक स्कूल मोहाली से हुई। उसके बाद उन्होंने स्नातक राजकीय स्नातकोत्तर काॅलेज नालागढ से की।
अजय के पिता राज्य स्तरीय कुश्ती के खिलाड़ी थे और पुलिस में कार्यरत थे। वहीं इनकी माता एक शिक्षिका थीं। बचपन से ही इनके अंदर कब्बडी के लिए ललक थी जिसके चलते मात्र 10 साल की उम्र में वे एक कब्बडी टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए घर से भाग गए थे। उनके एक भाई राकेश भी भारतीय कब्बडी टीम के खिलाड़ी रह चुके हैं। वो अजय के लिए सबसे बड़ा प्रोत्साहन रहा है। अजय के अंकल कब्बडी कोच हैं और 2004 में 18 साल के अजय को उन्होंने स्पोर्ट्स अथाॅर्टी ऑफ इंडिया बिलासपुर के लिए ट्रायल देने की सलाह दी और उसके 3 साल में ही प्रतिभाशाली अजय ने भारतीय टीम में अपनी जगह बना ली थी। जब उन्होंने भारतीय टीम ज्वाईन की तो बहुत पतले हुआ करते थे और उन्होंने इस पर इतना काम किया कि मात्र 15 दिन में 12 किलो वजन बढा लिया।
इनके 14 साल से अधिक करियर में बहुत सी उपलब्धियां अपने नाम की हैं। अजय को भारतीय कब्बडी टीम में सबसे अच्छा रेडर माना जाता है। वे इंडस्ट्रियल नेशनल चैंपियनशिप में एयर इंडिया का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इसके अलावा 2007 में एशियन इंडोर गेम्स में गोल्ड मैडल प्राप्त किया है।
2013 में एशियन इंडोर एंड मार्शल आर्ट्स गेम्स में कब्बडी में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। 2014 की एशियन गेम्स में भी अजय ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। 2016 के कब्बडी विश्व कप में उनके शानदार और अद्भुत प्रदर्शन ने भारत को विश्व कप में जीत दिलवाई थी। इस फाइनल मैच में उन्होंने ईरान के खिलाफ 12 रेड प्वाइंटस के साथ टीम को जीत दिलाई थी। इस टूर्नामेंट में वे 68 प्वाइंटस के साथ सर्वाधिक प्वाइंट प्राप्त करने वाले खिलाड़ी भी रहे।
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प्रो-कब्बडी में शुरूआती 2 सीजन उन्होंने बेंगलूरू बुल्स के लिए खेले। उसके बाद पूनेरी पलटन के लिए खेले। इस बार 2017 के प्रो-कब्बडी सीजन में वे तमिल थलैईवास के लिए खेल रहे हैं। अपने प्रो-कब्बडी करियर में वे 59 मैच खेल चुके हैं और 333 प्वाइंट बना चुके हैं। इनमें 322 प्वाइंट उन्होंने रेड में और 11 प्वाइंट डिफेन्स में प्राप्त किए हैं। इसीलिए ये बैस्ट रेडर कहलाते हैं। 2014 में टायफाईड और बुखार होने के बावजूद भी अपने खेल के प्रति जोश को हारने नहीं दिया और काफी अच्छा प्रदर्शन किया। इनका सिग्नेचर मूव “फ्राॅग जूप” भी काफी मशहूर है। जब अजय प्वाइंट हासिल करते हैं तो हवा में उछलर खुशी जाहिर करते हैं, उसे फ्राॅग जंप के नाम से जाना जाता है जिसके बारे में अजय नहीं जानते थे और मीडिया में ही उन्हें यह पता चला था। हिमाचल सरकार ने खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए उन्हें हिमाचल पुलिस में डी एस पी पद से नवाजा है।
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कब्बडी के अलावा अजय को कुश्ती और बाॅक्सिंग देखना पसंद है। अजय मशहूर बाॅक्सर विजेंदर सिंह को अपना आदर्श मानते हैं। इसके अलावा वे हिमाचल के शांत वातावरण में बाईक चलाना भी पसंद करते हैं। अजय अपना खाली समय अपने दो कुत्तों पीटर और बादल के साथ बिताते हैं। अजय अपने गांव और प्रदेश के उन युवाओं के लिए जो कब्बडी में करियर बनाने के सपने देखते हैं, एक एकेडेमी खोलना चाहते हैं।
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