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आज के समय में जब भी, शादी का कहीं कोई जिक्र होता है : तो एक बात सबसे पहले आती है कि, आपका बजट कितना है ? अर्थात आप शादी में कितना दहेज़ दोगे ? अधिकाँश लड़के वालों के लिए दहेज़ लेना, शान की बात बनती जा रही है : वो लड़की वालों से दहेज़ लेना अपना जन्म-सिद्ध अधिकार मानने लगे हैं ! लड़के वालों की जायज या नाजायज दहेज़ की मांग को पूरा करने के फेर में अधिकाँश लड़की वाले अपनी झूठी शान की खातिर अपनी सामर्थ्य से भी ज्यादा दहेज़ देने को विवश होते  जा रहे हैं ! दहेज़ लेने-देने के इसी फेर में, अब शादी में दहेज़ देना अनिवार्य सा बन गया है ! चिंता की बात यह है कि आज के दौर में दहेज़ एक बहुत बड़ी सामजिक बुराई बनती जा रही है !!!

बड़े-बुजुर्गों द्वारा ऐसा बताया जाता है कि : कुछ समय पहले तक, जब शादी होती थी : तो, लड़की के माता-पिता अपनी ख़ुशी से अपनी बेटी के लिए घर-गृहस्थी से सम्बंधित कुछ जरूरी सामान देते थे ! वो यह सोचते थे कि, अभी तो उनकी बेटी एक संयुक्त परिवार में जा रही है, लेकिन भविष्य में जब कभी भाइयों के बीच में घर संपत्ति का बंटवारा होगा, तो उस समय उनके द्वारा — अपनी बेटी को दिए गया सामान (बर्तन, पलंग, कुछ कपडे और जो भी जरूरी लगता था), उनकी बेटी के ही काम आएगा और उसे, उस समय किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा ! अतः वो अपनी सामर्थ्य के अनुसार, जो भी उचित समझते थे : ख़ुशी –ख़ुशी अपनी बेटी को दे, देते थे ! शादी बहुत कम पैसे में पूरी सादगी और आसानी के साथ हो जाती थी ! दोनों परिवारों के बीच बहुत मधुर और प्रगाढ़ सम्बन्ध बनते थे !

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लेकिन आज के समय में, लड़की का होना किसी भी माँ-बाप के लिए चिंता का सबब बनता जा रहा है ! जैसे ही किसी दम्पत्ति के यहाँ बेटी जन्म लेती है, तो वो उसी वक़्त से, अपनी जरूरतों को कम करके बेटी की शादी के लिए, पैसे जोड़ने शुरू कर देते हैं ! समाज के लोग और घर-परिवार के बड़े-बुजुर्ग आये दिन, इस बात को याद दिलाते रहते हैं कि बेटा, थोडा सोच-समझ कर खर्च करो क्यूंकि तुम एक बेटी के पिता हो ! कल को इसकी शादी भी तो करनी है, तो उस समय दहेज़ देने के लिए पैसा कहाँ से लाओगे ?

महंगाई के इस दौर में, जैसे-तैसे पेट काटकर माँ-बाप अपनी बेटी को अच्छी से अच्छी शिक्षा देते हैं, ताकि उनकी बेटी का भविष्य बेहतर हो सके, लेकिन असल मुश्किल तब आती है : जब वो लड़की की शादी के लिए लड़का देखना शुरू करते हैं !

आज कुछ चंद दहेज़ लोभियों के कारण, समाज में ऐसा माहौल बन गया है : जैसे कि  आप किसी बाज़ार में खड़े हों और लड़कों के ऊपर उनका मूल्य (rate) लिखे गये हों ! अगर आपको सरकारी लड़का चाहिए, तो आपको इतने पैसे देने होंगे और अगर प्राइवेट चाहिए तो इतने ! मतलब जिस तरह का लड़का चाहिए, आपको उस तरह के पैसे खर्च करने होंगे !

यह मेरा निजी अनुभव है कि, आज के दौर में दहेज़ लोभियों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही है : जिनको इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी लड़की…..

  • कितनी पढ़ी लिखी है ?
  • कितनी योग्य है ?
  • वो संस्कारी है, भी कि नहीं ?
  • उसमें सेवा-भाव या सम्मान-भाव है की नहीं ?

असली फर्क पड़ता है, तो इस केवल बात का कि……

  • लड़की के बाप की हैसियत कैसी है ?
  • क्या वो उनकी जायज या नाजायज दहेज़ की मांग को पूरी कर पायेगा ?
  • क्या वो भविष्य में लड़के वालों को, उनकी तरह-तरह की रश्म-रिवाजों के नाम  पर ढेर सारा धन दे पायेगा की नहीं ?

अगर हाँ तो फिर शादी पक्की ! और अगर नहीं – तो कोई और पार्टी देखते हैं !

आपको जानकार हैरानी होगी कि कुछ दहेज़ लोभी लोग : इस प्रवृत्ति के होते हैं कि यदि उनकी शादी के फेरे हो रहे हों, और कोई उनको यह कह दे कि, आप यह शादी तोड़ दो — हमारे पास इससे भी ज्यादा पैसे वाली पार्टी है : तो वो दहेज़-लोलुप लोग उस शादी को तोड़ने में जरा भी संकोच नहीं करेंगे  ! क्यूंकि दहेज़-लोभियों के लिए अगर कुछ है तो वो है —- पैसा !!!

दोस्तो,

हालात तब और मुश्किल हो जाते हैं, जब दहेज़ रुपी इस गंदे काम को समाज के वो लोग आगे बढाते हैं, जो पूरी तरह से सुख-सुविधा से सम्पन्न हैं ! जिनके पास भगवान् का दिया गया सब कुछ होता है ! वो यदि चाहें तो, समाज के सामने दहेज़ विरोध (dowry free society) की एक मिशाल कायम कर सकते हैं : लेकिन आज वो ही लोग, बड़ी बेशर्मी के साथ  ऐसी बातें करते हैं कि…………

  • अरे, इतने में आज–कल क्या होता है ?
  • भाई ! हमें तो कुछ चाहिए ही नहीं, आप जो कुछ भी दोगे अपनी लड़की को दोगे – अपने दामाद को दोगे ?
  • अरे, आज-कल शादी में गाडी न मिली — तो क्या मिला ? (चाहे उसके घर में गाडी खड़ी करने को जगह भी न हो)
  • पडोसी के लड़के की शादी में तो — ये मिला वो मिला तो हम क्या किसी से कम हैं क्या ?
  • और भी न जाने क्या क्या ?

लड़की के बाप को देख-कर उनकी भूखी-नंगी आँखों में एक अजीब सी चमक आ जाती है ! वो ये सोचते हैं कि इसको जितना लूटा जाए उतना लूट लो ! उनको लगता है कि ये तो लड़की का बाप है : इसका जनम तो, दहेज़ देने के लिए ही हुआ है : और लड़की वाला भी इस भ्रम में रहता है कि चलो आज कहीं से उधार ले लेते हैं कल चुका देंगे ! हमारी लड़की तो अच्छे घर में पहुँच जाएगी — और ये गन्दा खेल ऐसे ही चलता रहता है ! लड़की वाला देते देते थक जाता है, लेकिन दहेज़ के भूखे-नंगे लोग थकते ही नहीं ! उनकी जबान पर एक ही नाम रहता है : अरे क्या दिया ? ये तो सब लड़की वाले अपनी लड़की को देते ही हैं ! हैरत की बात यह है कि, वो दहेज़ लेते समय यह भूल जाते हैं कि कल को वो या उनका कोई अपना भी लड़की का पिता, या भाई बनेगा ! उस समय उसके मन पर क्या बीतेगा ???

आज समाज में दहेज़ और दहेज़-लोभियों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही  है ! इस बुराई ने, न जाने कितनी लड़कियों और उनके परिवार की जिंदगियां बर्बाद  कर दी हैं और शर्म की बात यह है कि ये बदस्तूर जारी है !!!

समाधान

दोस्तो,

इतिहास और वर्तमान में यह देखा गया है कि, किसी भी आन्दोलन को सफल बनाने में नौजवानों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही है ! उम्मीद की बात यह है कि, आज हमारे देश में 65 % आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है ! यदि हम नौजवान लोग, इस बात का प्रण लें और दहेज़ के विरोध में अपनी आवाज को बुलंद करें, तो हम इस सामाजिक बुराई को बहुत आसानी से खत्म कर सकते हैं !

यह देश, यह समाज हमारा है, और इसमें आई कोई भी गन्दगी को साफ़ करना : हमारा परम कर्तव्य है ! आपको ऐसा लग सकता है कि, कि क्या केवल आपके ऐसा करने से यह बुराई खत्म हो जाएगी ?

नहीं — लेकिन जब आप ऐसा करोगे, तो समाज में थोड़ी ही सही — लेकिन एक अच्छाई की रौशनी तो रौशन होगी ! और ऐसे ही थोड़ी-थोड़ी सी अच्छाई इस बुराई  को एक दिन जड़ से मिटा देगी !

दोस्तो,

आज हममें से बहुत से लोग : लड़के पक्ष से हैं — लेकिन कल आप या आपके अपने भाई बंधू, किसी लड़की के पापा बनेंगे और यदि आपके साथ ऐसा होगा तो ???

तो आइये ! इस बुराई को जड़ से मिटाने का संकल्प लें !!!

आज आपको यह बात बताते हुए, मुझे ख़ुशी हो रही है कि आपके इस मित्र : प्रणव भारद्वाज ने दहेज़ का विरोध करते हुए अपनी शादी में दहेज़ लेने से इनकार कर दिया था और दहेज़ रहित शादी की थी !

इसीलिए आज, मैं आपसे भी यही उम्मीद कर रहा हूँ कि : आप भी मेरी यह प्रार्थना स्वीकार करोगे और और मुझे पूरा भरोसा है कि, आप समाज से इस बुराई को मिटाने में अपना अहम योगदान दोगे !

तो आइये ! अपने समाज को इस दहेज़ रुपी बीमारी से मुक्ति दिलाएं और दहेज़ लोभियों से भी और दहेज़ मुक्त समाज की मजबूत नींव रखें !!! Lets make a dowry free society.

Credit :Pranav Bhardwaj

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